Gulmarg Glass Igloo Becomes New Tourist Attraction In Jammu Kashmir

Gulmarg Glass Igloo: जम्मू कश्मीर की जितनी तारीफ की जाए, उतनी कम है. कश्मीर में घूमने के लिए वैसे तो काफी सारी जगह हैं. लेकिन गुलमर्ग की बात ही कुछ और है. गुलमर्ग घूमने के लिए हर साल बड़ी संख्या में लोग आते हैं. हालांकि इस बार यहां आने वाले पर्यटक ‘कांच के इग्लू’ को देखकर उत्साहित हो गए हैं. पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक, दिल्ली के निवासी एक पर्यटक ने बताया कि कांच के इग्लू को देखना पूरी तरह से एक अलग अनुभव था. वह कहते हैं कि उन्हें इसे देखकर काफी अच्छा लगा. ग्लू के अंदर बैठना और खाना और पीना जबरदस्त अनुभव था. मालूम हो कि इग्लू स्नो यानी बर्फ से बना हिमकुटी (छोटा सा घर) होता है.

पर्यटक ने होटल स्टाफ और ‘ग्लास इग्लू’ के निर्माताओं की सराहना करते हुए कहा कि ये उन्हें नेचर के और ज्यादा करीब ले गया. दिल्ली के ही रहने वाली एक दूसरी टूरिस्ट नेहा कोहली ने बताया कि ‘कांच का इग्लू’ हमेशा याद रखने वाला अनुभव है. ऐसा इसलिए क्योंकि ऐसी चीजें अब तक केवल फिल्मों और किताबों में देखने और सुनने को मिलती थीं. उन्होंने यह भी कहा कि मैंने कभी नहीं सोचा था कि जिस इग्लू को हम किताबों में देखते थे, एक दिन उसी इग्लू के अंदर हम वास्तव में बैठे होंगे और खाना खाएंगे.

3 साल तक की गई रिसर्च

गुलमर्ग में ‘कांच के इग्लू’ लाने वाले सैयद वसीम ने कहा कि यहां आने वाले टूरिस्ट को ये अद्भुत अनुभव देने के लिए 3 साल तक रिसर्च की गई. होटल के मालिक वसीम ने कहा कि मैं बहुत ट्रेवल करता हूं. एक यात्रा के दौरान मैं फिनलैंड गया था. जो लोग नॉर्दन लाइट्स देखने आते हैं, वे ग्लास के इन इग्लू में बैठना पसंद करते हैं. मुझे ये काफी इंटरेस्टिंग लगा. इसी के बाद मैंने इस चीज को जम्मू-कश्मीर में लाने के बारे में सोचा.

50 लाख रुपये में खरीदे 6 इग्लू

वसीम ने कहा कि ‘कांच के इग्लू’ के बारे में ज्यादा जानकारी हासिल करने के लिए वे ऑस्ट्रिया गए, जहां इनका निर्माण होता है. ऑस्ट्रिया में इन इग्लू का निर्माण करने वाली कंपनी की एक टीम 2022 में यानी पिछले साल जम्मू-कश्मीर आई थी. इस टीम ने गुलमर्ग के वैदर और क्लाइमेट पर एक स्टडी की, ताकि ऐसा इग्लू तैयार किया जा सके, जो लंबे समय तक चल सके. वसीम कहते हैं कि पिछले 2 सालों में उन्होंने अपने होटल के बाहर एक कांच के इग्लू को बनवाया, जिसे देखकर कई टूरिस्ट उनके होटल की ओर आकर्षित हुए. हालांकि इस साल अच्छी स्नोफॉल न होने की वजह से नेचुरल ‘इग्लू’ नहीं बन सके. वसीम ने बताया कि उन्होंने कांच के कम से कम 6 इग्लू 50 लाख रुपये में खरीदे हैं.

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By jaghit

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