World Bank: विश्व बैंक के अध्यक्ष डेविड मालपास ने बृहस्पतिवार को कहा कि, भारत ने सामाजिक सुरक्षा कार्यक्रम बेहतर तरीके से तैयार करने और उसका लाभ गरीबों तक पहुंचाने में डिजिटलीकरण का अच्छा लाभ उठाया है. मालपास के मुताबिक विश्व बैंक की गरीबी पर हाल की रिपोर्ट के अनुसार कुछ देश नकद अंतरण प्रणाली और डिजिटलीकरण के माध्यम से कोविड -19 संकट के प्रभाव और गरीबी को कम करने में सफल रहे हैं. इसीलिए हम इसका स्वागत करते हैं लेकिन मुझे लगता है कि भारत संघीय सरकार के स्तर पर, नागरिक समाज के स्तर पर तथा राज्य के भीतर दक्षता में सुधार के लिये प्रशासनिक मोर्चे पर अभी काफी कुछ कर सकता है.’’
मालपास ने अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष और विश्व बैंक की सालाना बैठक के बाद संवाददाता सम्मेलन में कहा कि, ‘‘हमें दुनिया के भीतर डिजिटलीकरण के महत्व को समझना चाहिए क्योंकि यह गरीब देशों को भी देशभर के लोगों के साथ जुड़ने का मौका देता है. डिजिटलीकरण से पहले यह सुविधा उपलब्ध नहीं थी और भारत ने सामाजिक सुरक्षा कार्यक्रम तैयार करने और इसका लाभ गरीबों तक पहुंचाने में इसका अच्छा लाभ उठाया है.’’
डायरेक्ट कैश ट्रांसफर स्कीम से गरीबों को पहुंचा लाभ
सरकारी आंकड़ों के अनुसार, वर्ष 2013 से भारत में प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (डीबीटी) के जरिये 24.8 लाख करोड़ रुपये ट्रांसफर किये गये हैं. इसमें से 6.3 लाख करोड़ वित्त वर्ष 2021-22 में ट्रांसफर किये गये. वित्त वर्ष 2021-22 के आंकड़ों के अनुसार, रोजाना औसतत 90 लाख से अधिक डीबीटी भुगतान का प्रसंस्करण किया गया.
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डीबीटी के जरिये विभिन्न सामाजिक कल्याण योजनाओं के तहत लाभ और सब्सिडी का भुगतान सीधे लाभार्थियों के बैंक खाते में किया गया. यह व्यवस्था न केवल प्रभावी साबित हुई बल्कि बिचौलियों की भूमिका भी समाप्त हुई.
विश्व बैंक ने किया आगाह-आर्थिक मंदी की तरफ बढ़ रही दुनिया
विश्व बैंक के अध्यक्ष डेविड मालपास ने बृहस्पतिवार को आगाह किया कि वैश्विक अर्थव्यवस्था खतरनाक रूप से मंदी की ओर बढ़ रही है. उन्होंने गरीबों को लक्षित समर्थन देने का भी आह्वान किया. उन्होंने कहा कि, ‘‘हमने 2023 के लिये आर्थिक वृद्धि दर के अनुमान को तीन प्रतिशत से घटाकर 1.9 प्रतिशत कर दिया है. वैश्विक अर्थव्यवस्था खतरनाक रूप से मंदी की ओर बढ़ रही है. वैश्विक मंदी कुछ परिस्थितियों के अंतर्गत हो सकती है.’’
विकासशील देशों के सामने कर्ज संकट बढ़ता जा रहा है
उन्होंने कहा कि मुद्रास्फीति की समस्या है, ब्याज दर बढ़ रही है और विकासशील देशों में जो पूंजी प्रवाह हो रहा था, वह बंद हो गया है. इससे गरीबों पर असर पड़ रहा है. मालपास ने कहा, ‘‘हम विकासशील देशों में लोगों को आगे बढ़ने में मदद करने पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं. इन देशों में कर्ज बढ़ने का कारण उच्च ब्याज दर है. एक तरफ कर्ज बढ़ रहा है और दूसरी तरफ उनकी मुद्राएं कमजोर हो रही हैं. मुद्रा के मूल्य में गिरावट कर्ज का बोझ बढ़ा रही है. विकासशील देशों के समक्ष कर्ज संकट की समस्या है.’’
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