UP ATS Arrests Eight Suspected Terrorist Accused Of Running Ghazwa E Hind Campaign In India And Bangladesh ANN

UP ATS Action Against Terrorists: उत्तर प्रदेश पुलिस (UP Police) के आतंकवाद निरोधी दस्ते (ATS) ने सोमवार (10 अक्टूबर) को बताया कि विभिन्न आतंकी संगठनों से जुड़े आठ संदिग्ध आतंकियों (Terrorists) को गिरफ्तार किया गया है. ये संदिग्ध आतंकी अलकायदा इंडियन सब कॉन्टिनेंट (Al Qaeda Indian Subcontinent), अलकायदा बर्र-ए-सगीर (Al Qaeda Barr-e-Saghir) और सहयोगी आतंकी संगठन जमात-उल-मुजाहिद्दीन बांग्लादेश (Jamaat-ul-Mujahideen Bangladesh) के बताए जा रहे हैं.

एटीएस ने अलग-अलग जगहों से इन संदिग्धों को दबोचा है. एटीएस के हत्थे चढ़े संदिग्ध आतंकियों में सहारनपुर का लुकमान, कारी मुख्तार, कामिल और मोहम्मद अलीम, शामली का शहजाद, बांग्लादेश का अली नूर उर्फ जहांगीर मण्डल उर्फ इनामुल हक, झारखंड का नवाजिश अंसारी और हरिद्वार का मुदस्सिर शामिल है. एटीएस को संदिग्धों के पास से कथित आतंकी इरादों वाली जिहादी किताबें, पेन ड्राइव और मोबाइल समेत अन्य सामग्री बरामद हुई है.

एटीएस ने प्रेस रिलीज में दी ये जानकारी

एटीएस की प्रेस रिलीज में बताया गया है कि आतंकवाद विरोधी गतिविधियों की रोकथाम के लिए मुहिम चलाई जा रही है. इस मुहिम के तहत पिछले कुछ समय से सूचना मिल रही थी कि अलकायदा इंडियन सब कॉन्टिनेंट या अलकायदा बर्र-ए-सगीर और सहयोगी आतंकी संगठन जमात-उल-मुजाहिद्दीन बांग्लादेश पिछले कुछ वर्षों से भारतीय उपमहाद्वीप, खासकर भारत और बांग्लादेश में गजवा-ए-हिंद के लक्ष्य को पूरा करने के लिए आतंकी नेटवर्क बढ़ा रहे हैं. 

प्रेस रिलीज में आगे बताया गया है कि आतंकी संगठन अपने मंसूबे को अंजाम देने के लिए सीमावर्ती राज्यों- पश्चिम बंगाल और असम में कट्टरपंथी विचारधारा वाले लोगों को जोड़ रहे थे और इन जगहों के मदरसों में पैठ बना रहे थे. इसके बाद उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, मध्य प्रदेश और बिहार के कट्टरपंथी विचारधारा वाले लोगों को जोड़ा गया और जकात, हदिया या इमदाद के तौर पर टेरर फंड जुटाया गया. 

खास मोबाइल ऐप इस्तेमाल करते हैं आतंकी

एटीएस के मुताबिक, बांग्लादेशी आतंकी गुप्त तरीके से कट्टरपंथी विचारधारा वाले लोगों को जिहाद का न्यौता देकर आतंकी संगठनों से जोड़ते हैं. एटीएस ने प्रेस रिलीज में यह भी बताया है कि बांग्लादेशी आतंकी पुलिस और अन्य एजेंसियों को चकमा देने के लिए कुछ खास मोबाइल ऐप का इस्तेमाल करते हैं और संगठन में जुड़ने वाले नए लोगों को संवाद के कोड और प्रशिक्षण देते हैं.

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By jaghit

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