Shashi Tharoor In Raisina Dialogue: रूस और यूक्रेन के बीच पिछले एक साल से जंग जारी है और यह युद्ध कब खत्म होगा, इसके बारे में कोई नहीं जानता है. हालांकि, भारत इस जंग को खत्म कराने की पूरी कोशिश कर रहा है. इस बीच कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने शनिवार (4 मार्च) को कहा, “रूस-यूक्रेन युद्ध पर भारत का रुख कुछ व्यावहारिक राजनीति से निकला है.” उन्होंने यह बात रायसीना डायलॉग में ‘ईस्टर्न प्रॉमिस: द पावर शिफ्ट्स इन ईयू पॉलिटिक्स’ पर जवाब देते हुए कही.
थरूर ने कहा, “भारत अपने तरीके से एक समाधान के लिए जोर दे रहा है.” उन्होंने आगे कहा, “भारत रूस को अपने रुख के बारे में बता सकता था. पीएम मोदी इसे समरकंद में दुनिया के कैमरों के सामने कर सकते थे.”
विदेश मंत्री एस जयशंकर के बयान का थरूर ने दिया जवाब
थरूर से जब विदेश मंत्री एस जयशंकर के उस बयान पर प्रतिक्रिया देने के लिए कहा गया था कि जिसमें उन्होंने कहा था कि यूरोप सोचता है कि उसकी समस्याएं दुनिया की समस्याएं हैं लेकिन दुनिया की समस्याएं यूरोप की समस्याएं नहीं हैं, साथ ही पूछा गया कि क्या आपको लगता है कि यूक्रेन युद्ध यूरोप का स्थानीय युद्ध है? कांग्रेस सांसद ने कहा, “जयशंकर जिस बात की ओर इशारा कर रहे थे, वह शायद यह है कि जब चीन भारत की सीमा का उल्लंघन करता है या पाकिस्तान से आतंकवाद फैलाया जाता है तो यूरोप ऐसा व्यवहार करता है जैसे कि यह भारत की समस्या है. इस पर कोई बड़ी एकजुटता व्यक्त नहीं की जाती है, लेकिन जब एक यूरोपीय सीमा का उल्लंघन किया जाता है तो उम्मीद की जाती है कि बाकी दुनिया को चिंतित होना चाहिए.”
‘मैं विपक्ष में हूं’
थरूर ने कहा, “मुझे लगता है कि वह यूरोप के डबल स्टैंडर्ड के बारे में बात कर रहे थे.” उन्होंने आगे कहा, “मुझे लगता है कि यह जयशंकर की चिंता है. हालांकि, मुझे उनके लिए नहीं बोलना चाहिए, मैं विपक्ष में हूं.” थरूर ने कहा, “मैं संसद का एकमात्र सदस्य था जिसने संसद में भारत की स्थिति के खिलाफ बोला क्योंकि मुझे लगा कि हमने ऐसे कई सिद्धांतों को छोड़ दिया है जिन पर हम आजादी के बाद से हमेशा खड़े थे.”
रूस-यूक्रेन युद्ध का वैश्विक असर
कांग्रेस नेता ने आगे कहा, “ऐसा नहीं है कि रूस-यूक्रेन युद्ध एक स्थानीय युद्ध है. शाब्दिक अर्थों में यह स्थानीय मुद्दा है क्योंकि आकस्मिक विनाश एक ही स्थान पर यानी यूक्रेन में हुआ है. बाकी दुनिया अगर प्रत्यक्ष रूप से प्रभावित नहीं हुई है तो अप्रत्यक्ष तरीकों से प्रभावित हुई है.” थरूर ने इस बात को स्वीकार किया कि यह युद्ध भारत पर भी अपना प्रभाव डालेगा.
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