<p style="text-align: justify;">G-20 की अध्यक्षता के अलावा भारत इस साल संघाई सहयोग संगठन (SCO) की भी अध्यक्षता कर रहा है. प्रधानमंत्री <a title="नरेंद्र मोदी" href="https://www.abplive.com/topic/narendra-modi" data-type="interlinkingkeywords">नरेंद्र मोदी</a> ने 2018 में चीन में शंघाई सहयोग संगठन (SCO) शिखर सम्मेलन में फॉर ए SECURE एससीओ की अवधारणा पेश की थी. उन्होंने SECURE अवधारणा की व्याख्या करते हुए कहा था कि नागरिकों के लिए सुरक्षा ‘एस’, आर्थिक विकास के लिए ‘ई’, कनेक्टिविटी इन रीजन, यू’ एकता के लिए, ‘आर’ संप्रभुता और अखंडता के सम्मान के लिए, और ‘ई’ पर्यावरण संरक्षण के लिए बताया था. यह 2023 में एससीओ शिखर सम्मेलन का थीम है. इसी साल सितंबर में होने वाले शिखर सम्मेलन में सभी सदस्य देशों के प्रमुख नेता भारत में आएंगे. बदलते वैश्विक आर्थिक-राजनीतिक परिदृश्य में एससीओ देशों का अपना अलग ही महत्व है.</p>
<p style="text-align: justify;">भारत अपनी अध्यक्षता में चीन के साथ एलएसी पर चल रहे टकराव की स्थिति को लेकर बातचीत के माध्यम से हल निकालने की बात को उठा सकता है. भारत के रूस से अच्छे और पुराने संबंध है. दोनों देश के बीच रणनीतिक संबंध भी हैं. अभी चूंकि रूस यूक्रेन के साथ युद्ध में फंसा हुआ है और ऐसे में भारत ने रूस के ऊपर अमेरिका और यूरोपीय संघ द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों का समर्थन नहीं किया है. भारत ने संयुक्त राष्ट्र में भी रूस की निंदा प्रस्ताव का समर्थन नहीं किया है. ऐसे में भारत के प्रति रूस का विश्वास और बढ़ा है. दोनों देश आपसी सहयोग खास करके रक्षा के क्षेत्र में और भारत रूस से सस्ते दामों में कच्चे तेल के आयात को लेकर बातचीत कर सकता है.</p>
<p style="text-align: justify;">एससीओ सदस्य देशों के 207 स्थल यूनेस्को के विश्व धरोहर की लिस्ट में एससीओ के आठ सदस्य देशों की दुनिया की आबादी का लगभग 42% और वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद का 25% प्रतिनिधित्व करते हैं. इस क्षेत्र में पर्यटन की अपार संभावनाएं हैं. जिसे एससीओ देशों के बारे में जागरूकता बढ़ाकर बढ़ावा दिया जा सकता है. एससीओ सदस्य देशों, पर्यवेक्षकों और भागीदारों की कुल सांस्कृतिक विरासत में 207 यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल शामिल हैं. 2030 तक एससीओ आर्थिक विकास रणनीति का मसौदा तैयार करने पर पहली बैठक की अध्यक्षता ताजाकिस्तान ने की है. इसके तहत रणनीतिक रूप से सदस्य देशों के बीच निवेश, वित्तीय, व्यापार और आर्थिक सहयोग के अन्य क्षेत्रों की रूपरेखा तैयार की जाएगी. </p>
<p style="text-align: justify;"> ’काशी’ (वाराणसी) को एससीओ की पहली सांस्कृतिक राजधानी इस वर्ष भारत अध्यक्षता करते हुए एससीओ के टूरिज्म एक्सपर्ट वर्किंग ग्रुप की दो दिवसीय 14 और 15 मार्च को दूसरी बैठक वाराणसी में होस्ट कर रहा है. इस बैठक में पर्यटन में सहयोग के विकास पर एससीओ सदस्य राज्यों की सरकारों के बीच समझौते को लागू करने के लिए संयुक्त कार्य योजना पर चर्चा हुई. एससीओ के सभी सदस्य देशों के विशेषज्ञों ने सहयोग के क्षेत्रों के तहत विभिन्न गतिविधियों को प्राथमिकता देने की बात कही. जिसमें एससीओ पर्यटन ब्रांड को बढ़ावा देना, सदस्य देशों की सांस्कृतिक विरासत को बढ़ावा देना, सूचना और डिजिटल प्रौद्योगिकी को साझा करना, पर्यटन को बढ़ावा देना आदि शामिल है. चिकित्सा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में आपसी सहयोग को बढ़ाना, सेवाओं की गुणवत्ता में सुधार करने पर जोर दिया गया. चूंकि कोरोना संक्रमण के बाद से इस सभी सदस्य देशों के पर्यटन क्षेत्र को बहुत अधिक आर्थिक नुकसान पहुंचा है.</p>
<p style="text-align: justify;">इससे सबसे अधिक चीन की अर्थव्यवस्था को झटका लगा है. वहीं भारत में पर्यटन क्षेत्र का जीडीपी में 8 प्रतिशत का योगदान है. सभी सदस्य देशों ने विचार-विमर्श के बाद विशेषज्ञों द्वारा तैयार की गई कार्य योजना को एससीओ पर्यटन मंत्रियों की बैठक (TMM) जोकि 17 और 18 मार्च को वाराणसी में होगी उसमें उसे अंतिम रूप दिया जाएगा. बता दें कि ‘काशी’ (वाराणसी) को एससीओ की पहली सांस्कृतिक राजधानी के रूप में नामित किया गया है. इसका उद्देश्य एससीओ के सदस्य देशों की सांस्कृतिक संपदा को उजागर व प्रदर्शित करना और क्षेत्र के सामाजिक आर्थिक विकास के संसाधन के रूप में संस्कृति के मूल्य को पहचानना है. बता दें कि एससीओ देशों में पर्यटन की संभावनाओं को प्रदर्शित करने के लिए हर साल एक शहर किसी एक शहर को पर्यटन और सांस्कृतिक राजधानी के रूप में नामित करने का निर्णय लिया है.</p>
<p style="text-align: justify;">युवा परिषद में सामुदायिक विकास की गतिविधियों को बढ़ावा देने पर जोर वहीं, मंगलवार यानी 14 मार्च को ही एससीओ युवा परिषद की 16वीं बैठक नई दिल्ली में हाइब्रिड मोड में आयोजित की गई. एससीओ युवा परिषद की बैठक का उद्घाटन केंद्रीय युवा मामले और खेल मंत्री अनुराग सिंह ठाकुर ने किया था. इस दौरान सदस्य देशों के युवा प्रतिनिधियों ने भाग लिया. सभी ने समाज की भलाई के लिए सामुदायिक विकास की गतिविधियों में शामिल होने व उसे बढ़ावा देने पर जोर दिया. सभी सदस्य देशों ने भारत के एससीओ युवा परिषद के काम की सराहना की और नई दिल्ली में एससीओ युवा सम्मेलन और एससीओ युवा परिषद की बैठक के आतिथ्य और उच्च स्तरीय आयोजन के लिए भारत का आभार व्यक्त किया.</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>दो दशक बाद तापी परियोजना पर चर्चा </strong></p>
<p style="text-align: justify;">14 मार्च यानी मंगलवार को एससीओ के उर्जा मंत्रियों के बीच हुई बैठक में भारत, ईरान और पाकिस्तान के बीच गैस पाइपलाइन की परियोजना और तुर्केमेनिस्तान-अफगानिस्तान-पाकिस्तान और भारत के बीच तापी परियोजना को आगे बढ़ाने के लिए बातचीत हुई. सभी आठ सदस्य देशों ने इस कनेक्टिंग परियोजनाओं को विकसित करने की बात कही है. सभी ने बायोफ्यूल के उत्पादन और आपूर्ति में भी सहयोग देने की बात कही. बता दें कि दो दशक पहले तापी परियोजना की परिकल्पना को अमलीजामा पहनाया गया था लेकिन भारत ने बाद में इसमें अपनी रुचि नहीं दिखाई. लेकिन अब बदलते वैश्विक आर्थिक-राजनीतिक संबंधों को देखते हुए इसे फिर से आगे बढ़ाया जा सकता है.</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>सभी सदस्य देशोें में न्याय प्रणाली को स्मार्ट बनाने की चर्चा</strong></p>
<p style="text-align: justify;">इससे पहले 10 और 12 मार्च को नई दिल्ली में एससीओ सदस्य देशों के सर्वोच्च न्यायालयों के अध्यक्षों/मुख्य न्यायाधीशों की 18वीं बैठक की अध्यक्षता नई दिल्ली में हुई थी. बैठक में भारत, कजाकिस्तान, चीन, किर्गिज़, पाकिस्तान, रूस, ताजिकिस्तान और उज़्बेकिस्तान के सर्वोच्च न्यायालयों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया. इस बैठक में पर्यवेक्षक देशों के सर्वोच्च न्यायालयों के अध्यक्षों – बेलारूस और ईरान के साथ-साथ एससीओ सचिवालय और RATS के कार्यकारी समिति के प्रतिनिधियों ने भी भाग लिया. जिसमें अदालत प्रणाली को डिजिटल बनाने, "स्मार्ट" अदालतें बनाने, न्यायिक शक्ति का भविष्य, न्याय और पारदर्शिता तक समान पहुंच सुनिश्चित करने और कानून-प्रवर्तन समस्याओं का मुकाबला करने की तकनीकों के मुद्दों पर चर्चा की.</p>
<p style="text-align: justify;">सभी ने इस बात पर जोर दिया कि एससीओ सदस्य राज्यों के सर्वोच्च न्यायालयों के बीच व्यावहारिक सहयोग से उन्हें नागरिकों के अधिकारों और स्वतंत्रता की रक्षा करने, न्याय को मजबूत करने, कानून और कानून व्यवस्था को मजबूत करने और न्यायिक और कानूनी सुधार को आगे बढ़ाने के लिए उनके संयुक्त प्रयासों में सुधार करने में मदद मिलेगी. बैठक के बाद, प्रतिभागियों ने एक संयुक्त बयान भी जारी किया. एससीओ सदस्य देशों के सर्वोच्च न्यायालयों के अध्यक्षों की अगली नियमित बैठक 2024 में उज़्बेकिस्तान गणराज्य की अध्यक्षता में होगी.</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>भारत के लिए अध्यक्षता के क्या हैं मायने</strong></p>
<p style="text-align: justify;">पहला, क्षेत्रीय दृष्टिकोण से- चीन-भारतीय सीमा पर तनाव और राजनीतिक रूप से अस्थिर पड़ोसी पाकिस्तान के बीच एससीओ का पहला दक्षिण एशियाई देश होने के नाते भारत खुद को कैसे पेश करेगा, यह इस क्षेत्र के लिए महत्वपूर्ण होगा.</p>
<p style="text-align: justify;">दूसरा भू-राजनीतिक दृष्टिकोण से अगर देखा जाए तो नई दिल्ली को मध्य एशिया के प्रति अपनी नीति को नए सिरे से अपनाते हुए देखा जा सकता है. मध्य एशियाई देशों की ओर भारत की पहुंच बनाने की दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है.</p>
<p style="text-align: justify;">तीसरा, एससीओ की अध्यक्षता संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत की अस्थाई सदस्यता से पहले है. इसके साथ ही भारत जी-20 शिखर सम्मेलन की मेजबानी कर रहा है. इस प्रकार भारत की बहुपक्षवाद की समझ और अंतरराष्ट्रीय और क्षेत्रीय संगठनों में इसके व्यवहार में किसी भी निरंतरता या परिवर्तन को प्रतिबिंबित करेगा.</p>
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