आदिपुरुष विवाद: बॉलीवुड फिल्म आदिपुरुष को लेकर जारी विवाद खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है. अब ये मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच चुका है. सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में हिंदू महाकाव्य रामायण पर बनी फिल्म ‘आदिपुरुष’ पर हिंदुओं और फिल्म में दिखाए गए भगवानों के भक्तों की भावनाओं को आहत करने का आरोप लगाया गया है, इसके साथ ही फिल्म पर तुरंत प्रभाव से रोक लगाने की भी मांग की गई है. याचिकाकर्ता की तरफ से फिल्म के डायलॉग्स का भी जिक्र किया गया है और कहा है कि सिर्फ ‘गली बॉयज’ ही ऐसी अपमानजनक भाषा का इस्तेमाल करते हैं.
याचिकाकर्ता ने दी ये दलील
सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करने वालीं ममता रानी ने कहा है कि फिल्म को सेंसर बोर्ड की तरफ से मिले सर्टिफिकेट को रद्द किया जाना चाहिए, क्योंकि ये सिनेमैटोग्राफ अधिनियम 1952 की धारा 5B में वैधानिक प्रावधानों का उल्लंघन है. याचिका में तर्क देते हुए कहा गया है कि पवित्र ग्रंथों पर समाज का हर शख्स भरोसा करता है और उससे उसकी भावनाएं जुड़ी हुई हैं. वो शख्स अपनी संस्कृति और परंपराओं के बिना पेड़ से गिरे किसी सूखे पत्ते की तरह होता है.
डिस्क्लेमर को लेकर भी आपत्ति
याचिकाकर्ता की तरफ से फिल्म ‘आदिपुरुष’ के डिस्क्लेमर पर भी आपत्ति जताई गई है. याचिका में दावा किया गया है कि फिल्म के डिस्क्लेमर में ‘भ्रामक’ चीजें लिखी गई हैं. इसके अलावा याचिका में कहा गया है कि फिल्म में भगवान श्रीराम और हनुमान को उनके चरित्र और पात्रों के विपरीत दिखाया गया है. याचिकाकर्ता ने इस बात की भी आशंका जताई है कि भगवान को इस तरह से दिखाने पर ये लोगों को अलग नैतिकता और आदर्शों पर विश्वास करने के लिए प्रभावित करेगा. इस याचिका में माता सीता के रोल को लेकर भी सवाल उठाए गए हैं.
हाईकोर्ट ने लगाई फटकार
सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई से पहले इलाहाबाद हाईकोर्ट में इस मामले को लेकर सुनवाई हुई थी. हाईकोर्ट ने फिल्म के डायलॉग राइटर मनोज मुंतशिर को एक नोटिस जारी कर जवाब मांगा, साथ ही सेंसर बोर्ड की भूमिका पर भी सवाल उठाया. हाईकोर्ट ने फिल्म की आलोचना करते हुए कहा कि लोगों के लिए रामायण एक मिसाल है, फिल्म में जिस तरह से हनुमान और माता सीता को दिखाया गया है वो किसी को समझ नहीं आ रहा. हाईकोर्ट की तरफ से एक हफ्ते में जवाब दाखिल करने को कहा गया है.
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