Pakistan Grey List: पाकिस्तान को एफएटीएफ (FATF) ने बड़ी राहत दी है. आतंक को पालने परोसने के इल्जाम में FATF (Financial Action Task Force) की ग्रे लिस्ट शामिल पाकिस्तान को अब बाहर कर दिया गया है. शुक्रवार (21 अक्टूबर) को पेरिस में हुई FATF की बैठक में इस पर बड़ा फैसला लिया गया. हालांकि, ग्रे लिस्ट में रहने के कारण पाकिस्तान को काफी नुकसान भी हुआ है. चार साल में पाकिस्तान को इससे करीब तीन लाख करोड़ का नुकसान हुआ.
पाकिस्तान को 2018 में FATF की ग्रे लिस्ट में डाला गया था. पाकिस्तान को मनी लॉन्ड्रिंग पर एशिया पैसिफिक ग्रुप के साथ काम करने, एंटी-मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकवाद विरोधी वित्तपोषण प्रणाली को बेहतर बनाने के चलते यह फैसला लिया गाया है. इस खबर के बाद पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ (Shebaz Sharif) की खुशी का मानो ठिकाना ही नहीं रहा.
Pakistan 🇵🇰 exiting the FATF grey list is a vindication of our determined and sustained efforts over the years. I would like to congratulate our civil & military leadership as well as all institutions whose hard work led to today’s success. Aap sab ko bohat bohat Mubarak 🙂
— Shehbaz Sharif (@CMShehbaz) October 21, 2022
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क्या बोले शहबाज शरीफ?
पीएम शहबाज ने तुरंत ट्वीट कर कहा, “पाकिस्तान को ग्रे सूची से हटाया जाना आतंकवाद के खिलाफ जंग में दी गई कुर्बानियों को मान्यता देने के भी समान है. मैं अपनी सरकार और सैन्य नेतृत्व के साथ-साथ उन सभी संस्थानों को बधाई देना चाहता हूं, जिनकी कड़ी मेहनत के चलते आज हमें यह कामयाबी मिली है.”
पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट में रहने पर कितना नुकसान हुआ
- ग्रे लिस्ट में रहने की वजह से पाकिस्तान को हर साल 10 बिलियन डॉलर का नुकसान हुआ
- भारतीय रुपयों में ये नुकसान करीब 75 हजार करोड़ सालाना का है
- साल 2018 से ग्रे लिस्ट में था पाकिस्तान
- फरवरी 2022 तक ग्रे लिस्ट की वजह से 3 लाख करोड़ का नुकसान पाकिस्तान को हो चुका है
पाकिस्तान को क्या समस्या आई?
FATF दुनिया में आतंकवाद की आर्थिक रसद पर नकेल कसने वाली सर्वोच्च संस्था है. पाकिस्तान 2018 से FATF की ग्रे लिस्ट में था. FATF में रहना क्यों पाकिस्तान को भारी पड़ रहा था, इसे समझने के लिए ये जानना जरूरी है कि उसको क्या-क्या समस्या आई. ग्रे लिस्ट में होने की वजह से पाकिस्तान को लोन लेने में भारी दिक्कतें हो रहीं थी. पाकिस्तान को IMF, वर्ल्ड बैंक, एशियन डेवलपमेंट बैंक और यूरोपियन यूनियन जैसी संस्थाओं से लोन मिलना मुश्किल हो गया था. हालांकि, अब पाकिस्तान को इन संस्थानों से लोन लेने में आसानी होगी.
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