Bharat Jodo Yatra: कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा इन दिनों शॉर्ट ब्रेक पर चल रही है. अगले साल इस यात्रा की फिर से शुरुआत होने वाली है. यात्रा में शामिल होने के लिए पार्टी ने उत्तर प्रदेश में विपक्षी नेताओं को एकजुट होने के लिए आमंत्रित भी किया और इनमें से प्रमुख विपक्षी नेताओं के यात्रा में शामिल नहीं होने की खबरें सामने आई हैं. राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा उत्तर प्रदेश में विपक्षी भागीदारों के मामले में खाली हाथ जरूर रह गए हों लेकिन जम्मू-कश्मीर में ऐसा देखने को नहीं मिलेगा.
जम्मू-कश्मीर में तो ये यात्रा मार्च के महीने में पहुंचेगी लेकिन इसमें शामिल होने के लिए नेशनल कॉन्फ्रेंस से लेकर पीडीपी और गुपकार अलायंस इस यात्रा में शामिल होने की बात कही है. भारत जोड़ो यात्रा 9 दिन के लिए आराम पर है. अगले साल 3 जनवरी 2023 को फिर से हुंकार भरने वाली है और कन्याकुमारी से शुरू हुई ये यात्रा कश्मीर में जाकर खत्म होगी.
कश्मीर में राहुल फहराएंगे तिरंगा
भारत जोड़ो यात्रा की तैयारियों को अंतिम रूप देने के लिए जम्मू पहुंचे कांग्रेस नेता और सांसद केसी वेणुगोपाल ने कहा कि जब यात्रा यहां पहुंचेगी तो राहुल गांधी कश्मीर में राष्ट्रीय ध्वज फहराएंगे. उन्होंने यात्रा में फारूक अब्दुल्ला, उमर अब्दुल्ला, महबूबा मुफ्ती और तारिगामी की भागीदारी की भी पुष्टि की है. तो वहीं, नेशनल कांफ्रेंस के संरक्षक फारूक अब्दुल्ला और उनके बेटे उमर अब्दुल्ला ने यात्रा शुरू होने से पहले अपनी भागीदारी की घोषणा की थी.
नेशनल कॉन्फ्रेंस की प्रतिक्रिया
फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि जब यात्रा जम्मू-कश्मीर की सीमा पर लाखापुर में प्रवेश करेगी तो उसका स्वागत करेंगे. इसके बाद में, उमर अब्दुल्ला ने कहा कि जब पार्टी अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला ने भागीदारी की घोषणा की है, तो पार्टी के सभी लोग भाग लेंगे.
पीडीपी की प्रतिक्रिया
इसको लेकर जम्मू-कश्मीर की पूर्व सीएम ने कहा है कि मुझे भारत जोड़ो यात्रा में राहुल गांधी जी के साथ कश्मीर में जुड़ने का आज न्योता दिया गया. उनके अदम्य साहस को सलाम करती हूं और मेरा मानना है कि उस व्यक्ति के साथ खड़े होना मेरा कर्तव्य है, जिसमें फासीवादी ताकतों को चुनौती देने की हिम्मत है.
उत्तर प्रदेश के हालात
तो वहीं, उत्तर प्रदेश में किसी भी प्रमुख विपक्षी दल के भाग लेने की संभावना नहीं है, हालांकि कांग्रेस ने समाजवादी पार्टी, जयंत चौधरी की राष्ट्रीय लोकदल और मायावती की बहुजन समाज पार्टी को निमंत्रण दिया था. जयंत चौधरी पहले ही घोषणा कर चुके हैं कि वह पहले की व्यस्तताओं की वजह से यात्रा में शामिल नहीं हो पाएंगे.
कांग्रेस से दूरी बनाए और पूर्व सहयोगी अखिलेश यादव की भी यात्रा में शामिल होने की संभावना नहीं है, हालांकि यह स्पष्ट नहीं है कि वह प्रतिनिधि भेजेंगे या नहीं. तो वहीं, बीएसपी प्रमुख मायावती के भी इस यात्रा में शामिल होने की संभावना न के बराबर मानी जा रही है.