Mukul Rohatgi: वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने भारत का अगला अटॉर्नी जनरल बनाए जाने के केंद्र सरकार के प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया है. रविवार को उन्होंने इसके लिए सरकार को धन्यवाद कहा और अपना फैसला सुना दिया. उन्होंने कहा है कि उनके फैसले के पीछे कोई खास वजह नहीं है. इससे पहले रोहतगी जून 2014 से जून 2017 तक अटॉर्नी जनरल थे और उनके बाद के.के. वेणुगोपाल को जुलाई 2017 में इस पद पर नियुक्त किया गया था.
वेणुगोपाल की जगह लेने की केंद्र ने की पेशकश
बता दें कि केंद्र सरकार ने 91 वर्षीय के.के. वेणुगोपाल की जगह लेने के लिए इस महीने की शुरुआत में रोहतगी को अटॉर्नी जनरल पद देने की पेशकश की थी. वेणुगोपाल का कार्यकाल 30 सितंबर को समाप्त हो जाएगा. अटॉर्नी जनरल के रूप में वेणुगोपाल का कार्यकाल 2020 में ही समाप्त होना था और उन्होंने केंद्र सरकार से जिम्मेदारियों से मुक्त करने का अनुरोध भी किया था, लेकिन सरकार ने उन्हें एक और कार्यकाल तक पद पर रहने के लिए कहा. हालांकि, ये भी कहा था कि उनका यह कार्यकाल दो साल तक के लिए ही रहेगा.
मुकुल रोहतगी ने कर दिया इनकार
अब दो साल के बाद के. के. वेणुगोपाल का कार्यकाल समाप्त हो रहा है तो केंद्र सरकार ने 67 वर्षीय मुकुल रोहतगी को फिर से इस पद पर नियुक्त करने का प्रस्ताव दिया लेकिन उन्होंने इसे अस्वीकार कर दिया है.
मुकुल रोहतगी को एक अनुभवी अधिवक्ता के तौर पर जाना जाता है. गुजरात दंगों के मामले में उन्होंने राज्य सरकार का प्रतिनिधित्व किया था. इसके अलावा देश की सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट में कई हाईप्रोफाइल मामलों में उन्होंने काम किया है. इसके अलावा उन्होंने राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग से जुड़े मामले में भी दलील दी थी.
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