Law Commission Recommendation: विधि आयोग ने शुक्रवार (2 फरवरी) को सरकार से उन मौजूदा कानूनों में संशोधन सिफारिश की. ऐसा करने का मकसद राष्ट्रीय राजमार्गों या सार्वजनिक स्थानों पर बार-बार होने वाली नाकेबंदी को रोकना और ऐसे कृत्यों के लिए जिम्मेदार किसी भी व्यक्ति या संगठन पर सार्वजनिक या निजी संपत्तियों को हुए नुकसान के बाजार मूल्य के बराबर भारी जुर्माना लगाया जाना है.
विधि आयोग ने कहा कि अपराधियों को जमानत पाने की शर्त के तौर पर उनकी ओर से नुकसान पहुंचाई गई सार्वजनिक संपत्ति का अनुमानित मूल्य जमा करना पड़े तो यह ऐसे कृत्यों के खिलाफ निवारक के रूप में काम करेगा.
लॉ पैनल की सरकार से सिफारिश
टीओआई की रिपोर्ट के मुताबिक, विधि आयोग ने कहा, ”जुर्माने का मतलब होगा और इसमें वह राशि शामिल होगी जो नुकसान पहुंचाई गई सार्वजनिक संपत्ति के बाजार मूल्य के बराबर होगी या जहां क्षतिग्रस्त संपत्ति का मूल्य रुपये के रूप में आंका जाने में सक्षम नहीं है, ऐसी राशि को अदालत मामले के तथ्यों और परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए तय कर सकती है.”
आयोग ने कहा कि ‘केरल निजी संपत्ति को नुकसान की रोकथाम और मुआवजा भुगतान अधिनियम’ की तरह सरकार इस उद्देश्य के लिए एक अलग कानून ला सकती है.
न्यूज एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, विधि आयोग ने सिफारिश में कहा कि लंबे वक्त तक सार्वजनिक जगहों को अवरुद्ध करने से निपटने के लिए एक नया व्यापक कानून बनाया जाए या संशोधन के जरिए भारतीय दंड संहिता या भारतीय न्याय संहिता में संबंधित विशेष प्रावधान जोड़ा जाए.
आयोग ने अधिकार समूहों और राजनीतिक दलों को किया आगाह
आयोग ने अधिकार समूहों और राजनीतिक दलों को भी इस तथ्य को लेकर आगाह किया है कि उनके अधिकार का प्रयोग संयम और शांतिपूर्वक किया जाना चाहिए. इस संबंध में इसने लोक संपत्ति नुकसान निवारण अधिनियम, 1984 का हवाला दिया, जिसका उद्देश्य सार्वजनिक संपत्ति पर बर्बरता के कृत्यों को अपराध बनाना है.
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