Garuda Purana Niti Grantha: शादीशुदा दंपति संतान प्राप्ति की इच्छा रखते हैं. लेकिन इसी के साथ ही हर माता-पिता चाहते हैं उनके संतान स्वस्थ्य होने के साथ ही श्रेष्ठ, संस्कारी और योग्य भी हों. शास्त्रों व गरुड़ पुराण में बताया गया है कि बच्चा जन्म के बाद कैसे होगा यह काफी हद तक उसके पूर्व जन्म के कर्म, मां का आचरण और गर्भधारण का समय महत्वपूर्ण होता है. इसे ही गर्भसंस्कार भी कहा जाता है.
जिस तरह के गर्भसंस्कार में गर्भधारण से लेकर बच्चे के जन्म तक यानी पूरे 9 माह तक माता के स्वास्थ्य, खान-पान, दिनचर्चा और योग आदि के बारे में बताया गया है. ठीक उसी प्रकार से 18 महापुराणों में एक ग्रंथ गरुड़ पुराण में भी गर्भधारण के समय और नियम के बारे में बताया गया, जिसका पालन करने पर दंपति को श्रेष्ठ संतान की प्राप्ति होती है.
गर्भधारण के समय इन बातों का रखें ध्यान
गरुड़ पुराण के अनुसार जब महिला को माहवारी होती है, तब उसके साथ मर्यादित व्यवहार करें और दंपति ब्रह्मचर्य का पालन करें. इससे श्रेष्ठ संतान की प्राप्ति होती है.
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माहवारी से शुद्ध होने के आठवीं और चौदहवीं दिन को गर्भधारण के लिए सबसे अच्छा माना गया है. ऐसे संतान न सिर्फ योग्य होते हैं बल्कि वे गुणवाण, भाग्यशाली और कुशल व्यवहार वाले भी होते हैं.
माहवारी से शुद्ध होने के सात दिनों तक स्त्री को गर्भधारण नहीं करना चाहिए. इन दिनों में गर्भवती होने पर माता और शिशु के दोनों के स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ सकता है. क्योंक इन दिनों में महिला शारीरिक रूप से कमजोर होती है.
शुभ दिन की बात करें तो गर्भधारण के लिए शास्त्रों में सोमवार, बुधवार, गुरुवार और शुक्रवार को शुभ माना जाता है. इसलिए अलावा पंचांग की अष्टमी, दशमी और बारहवीं तिथि भी शुभ होती है.
शुभ दिन के साथ ही गर्भधारण के लिए शुभ नक्षत्र भी महत्वपूर्ण माने जाते हैं. इनमें रोहिणी, मृगशिरा, हस्त, चित्रा, पुनवर्सु, अनुराधा, श्रवण, धनिष्ठा, शतभिषा, उत्तरा, भाद्रपद, उत्तराषाढ़ा और उत्तराफाल्गुनी को शुभ माना जाता है.
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