कोरोना महामारी अब भले ही गुजरे दिनों की बात हो गई हो और इसके मामले पूरी दुनिया में बहुत कम रह गए हों, लेकिन अभी तक इसका असर खत्म नहीं हुआ है. महामारी के 2-3 सालों ने दुनिया पर इस तरह से असर डाला है कि उसकी भरपाई करने में कई साल लग जाएंगे. एक हालिया प्रकाशित पुस्तक की मानें तो महामारी के सबसे गहरे असर में से एक ये रहा कि इसने अमीर देशों और गरीब देशों की खाई चौड़ी कर दी.
2020 में इतना कम हुआ ट्रेड
अरुण कुमार की नई किताब ‘The Global Trade Paradigm: Rethinking International Business in the Post-Pandemic World’ में महामारी के असर को लेकर कई बातें बताई गई हैं. किताब के अनुसार, महामारी ने पूरी दुनिया में 64 करोड़ से ज्यादा लोगों को बीमार किया और इसके चलते 64 लाख मौतें हुईं. इसके चलते महीनों तक लगे लॉकडाउन व अन्य पाबंदियों ने व्यापार को भी खूब प्रभावित किया. लेखक ने अंकटाड के आंकड़ों का हवाला देते हुए बताया है कि 2020 में ग्लोबल ट्रेड में 2.5 ट्रिलियन डॉलर यानी करीब 9 फीसदी की गिरावट आई.
2021 में तेजी से हुई रिकवरी
बकौल अरुण कुमार, भले ही ट्रेड में यह गिरावट पहले के अनुमानों से कम रही, लेकिन इसके बाद भी इसने बहुत ज्यादा प्रभावित किया. इससे पहले अनुमानों में कहा जा रहा था कि महामारी के चलते 2020 में वैश्विक बाजार में 10 फीसदी से ज्यादा की गिरावट आ सकती है. उसके बाद साल 2021 में व्यापार में तेज रिकवरी दिखी. 2021 में ग्लोबल ट्रेड 28.5 ट्रिलियन डॉलर की नई ऊंचाई पर पहुंच गया, जो महामारी से पहले के स्तर की तुलना में करीब 13 फीसदी ज्यादा था.
विकसित देशों की पूरी रिकवरी
इस रिकवरी के ट्रेंड में जो चिंताजनक बात सामने आई, वह ये कि इसकी रफ्तार एक समान नहीं रही. किताब के अनुसार, 2020 में जो गिरावट आई थी, उसकी रफ्तार पूरी दुनिया में लगभग एक समान थी. विकसित देशों के आयात और निर्यात में 2020 में 10 फीसदी के आस-पास की गिरावट आई थी. अगले साल इनकी रिकवरी भी लगभग इतनी ही रही.
इन देशों को सबसे ज्यादा नुकसान
वहीं दूसरी विकसित देशों का व्यापार 2020 में 10-12 फीसदी कम हुआ था. अगले साल यानी 2021 में इनके निर्यात में 15 फीसदी की रिकवरी आई, जबकि आयात 12 फीसदी की दर से सुधरा. अल्प विकसित देशों की बात करें तो 2020 में इन्होंने 11 से 14 फीसदी की गिरावट का सामना किया, लेकिन 2021 में जब रिकवरी की बारी आई तो इनके निर्यात में महज 6 फीसदी की तेजी देखी गई, जबकि आयात 11 फीसदी की दर से बढ़ा.
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