आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (EWS) को दिए गए रिजर्वेशन को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने बरकरार रखा है. सोमवार (7 नवंबर) को सुप्रीम कोर्ट ने दाखिलों और सरकारी नौकरियों में ईडब्ल्यूएस के लिए 10 फीसदी आरक्षण का प्रावधान करने वाले 103वें संविधान संशोधन के पक्ष में फैसला सुनाया. शीर्ष अदालत ने अपने फैसले में कहा कि ईडब्ल्यूएस रिजर्वेशन संविधान के बुनियादी ढांचे का उल्लंघन नहीं करता. कांग्रेस (Congress) ने सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले का स्वागत किया है.
छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री ने क्या बोले
छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने भी आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) के लिए रिजर्वेशन की वैधता को बरकरार रखने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत किया है. उन्होंने कहा, “अनुसूचित जनजाति (एसटी) और अनुसूचित जाति (एससी) को उनकी जनसंख्या के आधार पर आरक्षण का लाभ मिलना चाहिए.”
जजों ने फैसले में क्या कहा
सुप्रीम कोर्ट के जजों ने फैसला सुनाते हुए कहा, “संविधान ने सरकार का यह कर्तव्य तय किया है कि वह हर तरह के कमजोर तबके को उचित प्रतिनिधित्व दे कर उसे मुख्यधारा में लाने की कोशिश करें. ऐसे में गरीबी के चलते पिछड़ रहे सामान्य वर्ग के लोगों को रिजर्वेशन देने की व्यवस्था बनाने में कोई संवैधानिक गलती नहीं है. सुप्रीम कोर्ट ने 50 फीसदी आरक्षण की सीमा पहले से आरक्षण पा रहे SC, ST और OBC के लिए तय की थी. नया 10 फीसदी रिजर्वेशन सामान्य वर्ग को दिया गया है”.
जजों ने यह भी कहा कि “इस 10 फीसदी आरक्षण में SC, ST और OBC का कोटा तय करने की कोई जरूरत नहीं है, क्योंकि यह वर्ग पहले से रिजर्वेशन का लाभ ले रहा है”. सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार (7 नवंबर) को ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए दाखिले और सरकारी नौकरियों में ईडब्ल्यूएस के लिए 2019 में शुरू किए गए 10 प्रतिशत आरक्षण को बरकरार रखा. एससी/ एसटी/ओबीसी श्रेणियों के गरीबों को इस रिजर्वेशन के दायरे से बाहर रखा गया था.
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