China Pakistan Crisis Dragon Now Not Showing Interest In CPEC Project Xi Jinping World News

Pakistan and China Relation: पाकिस्‍तान और चीन के बीच की दोस्ती पूरी दुनिया जानती है. चीन समय-समय पर पाकिस्तान की मदद करता रहता है, लेकिन अब इस रिश्ते में खटास आने लगी है और चीन पाकिस्तान में अपने नागरिकों की सुरक्षा को लेकर काफी चिंतित नजर आने लगा है. अब उसे पाकिस्तान पर पहले जैसा भरोसा नहीं रहा है.

हैरानी की बात ये है कि इस खटास की वजह वही प्रोजेक्ट है, जिसकी वजह से इनके बीच दोस्ती इतनी अच्छी है. पाकिस्तानी अखबार द एक्सप्रेस ट्रिब्यून के मुताबिक, चीन ने चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (CPEC) परियोजना के तहत ऊर्जा, जल प्रबंधन और जलवायु परिवर्तन जैसे कई क्षेत्रों में पाकिस्तान के प्रस्तावों को मानने से इनकार कर दिया है.

चीन के गुस्से को शांत करने में जुटा पाकिस्तान

इस रिपोर्ट के मुताबिक चीन के इस गुस्‍से को देखते हए अब पाकिस्‍तान एक्शन में आ गया है. पाकिस्तानी सेना ने इस प्रोजेक्ट पर काम कर रहे चीनी इंजीनियरों और उनके व्‍यवसायिक हितों की रक्षा के लिए सुरक्षा व्‍यस्‍था पहले से कहीं अधिक मजबूत कर दी है. यही नहीं अब पाकिस्तान के मंत्री सामी सईद समय-समय पर सुरक्षा व्यवस्था की समीक्षा करते रहेंगे. यह फैसला पाकिस्‍तान और चीन के बीच सीपीईसी की टॉप लेवल की कमिटी की बैठक में लिया गया है.

क्यों नाराज हुआ चीन

दरअसल, इस प्रोजेक्ट पर काम करने वाले चीनी नागरिकों पर लगातार हमले हो रहे थे. पाकिस्तान चीनी लोगों की सुरक्षा करने में सफल नहीं हो रहा था. ऐसे में चीन ने इसे गंभीरता से लिया और चीन ने सीपीईसी के विस्‍तार से किनारा कर लिया. रूठे चीन को मनाने के लिए ही पाकिस्तान ने सुरक्षा को लेकर कई तरह के आश्वासन दिए. अब तय हुआ है कि सीपीईसी प्रोजेक्‍ट में काम कर रहे चीनी नागरिक जब भी घर से बाहर जाएंगे उन्‍हें बुलेटप्रूफ कार में ले जाया जाएगा.

नाराजगी के बाद लिए ये फैसले

सीपीईसी की कमिटी की बैठक के एक दस्तावेज के मुताबिक, चीन ने गिलगित-बाल्टिस्तान, ख़ैबर पख़्तूनख़्वाह और पाकिस्तान प्रशासित कश्मीर में क्रॉस बॉर्डर टूरिज़्म और तटीय पर्यटन के प्रचार के प्रस्तावों पर सहयोग करने से साफी इनकार कर दिया है. इसके अलावा ड्रैगन ने डॉक्युमेंट्स से कई बिजली कंपनियों की वित्तीय चुनौतियों से जुड़ी डिटेल भी हटा दी है. पाक ने चीन से ग्वादर में बन रहे 300 मेगावॉट वाली बिजली प्रोजेक्ट को टालने या स्थानीय कोयले का इस्तेमाल करने के लिए इस प्रोजेक्ट को थार (थारपरकर) शिफ़्ट करने की बात कही थी, जिसे चीन ने मानने से इनकार कर दिया.

ये भी है इसके पीछे की वजह

ऐसा पहली बार नहीं है कि चीन इस प्रोजेक्ट में पैसा लगाने से बच रहा है. अब सवाल ये है कि आखिर दिक्कत सिर्फ सुरक्षा की है या कुछ और भी है. निक्केई एशिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक, सीपीईसी के तहत बने पावर प्लांट्स के लिए पाकिस्तान ने कोई भुगतान नहीं किया, जो चीन की नाराजगी का एक कारण है. इसके अलावा सीपीईसी के तहत बनने वाली सबसे बड़ी रेलवे लाइन की लागत को कम करवाने के लिए भी पाकिस्तान चीन से मोलभाव कर रहा है.

क्या है सीपीईसी परियोजना

सीपीईसी चीन और पाकिस्तान के बीच एक द्विपक्षीय परियोजना है. अगर इसकी लंबाई की बात करें तो यह चीन के उत्तर-पश्चिमी झिंजियांग उइगुर स्वायत्त क्षेत्र और पाकिस्तान के पश्चिमी प्रांत बलूचिस्तान में ग्वादर बंदरगाह को जोड़ने वाले बुनियादी इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट का 3,000 किलोमीटर लंबा मार्ग है. इस प्रोजेक्ट सका मकसद ऊर्जा, औद्योगिक और अन्य बेसिक इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवेलपमेंट प्रोजेक्ट के साथ हाइवे, रेलवे एवं पाइपलाइन्स के नेटवर्क के जरिये पूरे पाकिस्तान में कनेक्टिविटी को बढ़ावा देना है. यह चीन के लिए ग्वादर बंदरगाह से मध्य-पूर्व और अफ्रीका तक पहुंचने का रास्ता बनाएगा.

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By jaghit

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