India In Blue Pacific: एक पर्यवेक्षक के रूप में भारत ने ब्लू पैसिफिक (Partners In Blue Pacific) के विदेश मंत्रियों की बैठक में भाग लिया, जिसमें भागीदारों ने प्रशांत क्षेत्र का समर्थन करने का लक्ष्य रखा. इसी के साथ सभी भागीदार प्रशांत क्षेत्र में शिक्षा और बुनियादी ढांचे जैसी तमाम अतिरिक्त संभावनों पर एक साथ काम करने के लिए राजी हुए.
यूके सरकार (UK Government) ने बयान जारी कर कहा कि ऑस्ट्रेलिया, जापान, न्यूजीलैंड, यूके और अमेरिका ने प्रशांत क्षेत्र के साथ साझेदारी के लिए जर्मनी और कनाडा के बढ़ते फोकस और ब्लू पैसिफिक के भागीदारों में शामिल होने के इरादे की घोषणा का स्वागत किया. भागीदारों ने कहा कि यह सिस्टम ब्लू पैसिफिक महाद्वीप और मौजूदा प्रशांत क्षेत्र के लिए पीआईएफ की 2050 की रणनीति से निर्देशित होगा.
इन मुद्दों पर हुई गहन चर्चा
- जलवायु परिवर्तन लचीलापन, अनुकूलन और आपदाएं
- सुरक्षित और लचीली प्रौद्योगिकी और कनेक्टिविटी, महासागर और पर्यावरण की सुरक्षा
- जन-केंद्रित विकास, संसाधन और आर्थिक विकास और राजनीतिक नेतृत्व और क्षेत्रवाद
भारत के अलावा, ऑस्ट्रेलिया, फिजी, फ्रेंच पोलिनेशिया, जापान, किरिबाती, नाउरू, न्यूजीलैंड, नीयू, पलाऊ, पापुआ न्यू गिनी, मार्शल द्वीप गणराज्य, समोआ, सोलोमन द्वीप समूह, टोंगा, यूनाइटेड किंगडम, वानुअतु, कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, कोरिया गणराज्य, प्रशांत द्वीप समूह फोरम और यूरोपीय संघ के प्रतिनिधि शामिल हुए.
आखिर किया है PBP
पीबीपी प्रशांत द्वीपों का समर्थन करने और क्षेत्र में राजनयिक, आर्थिक संबंधों को बढ़ावा देने के लिए पांच देशों का “अनौपचारिक तंत्र” है. 24 जून को घोषित, यह निकट सहयोग के माध्यम से प्रशांत क्षेत्र में “समृद्धि, लचीलापन और सुरक्षा” बढ़ाने की बात करता है. इसका सीधा सा मतलब है कि पीबीपी के माध्यम से, ये काउंटियां – एक साथ और व्यक्तिगत रूप से – चीन के आक्रामक आउटरीच का मुकाबला करने के लिए यहां अधिक संसाधनों को निर्देशित करेंगी.
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