NCERT New Syllabus: Congress On RSS Banned And Hindu Muslim Unity Chapter Missing In Textbook

Congress On NCERT Syllabus Change: “गांधीजी की मौत का देश में सांप्रदायिक हालातों पर जादुई असर पड़ा, गांधी की हिंदू-मुस्लिम एकता के काम ने हिंदू अतिवादियोंं को उकसाया और आरएसएस जैसे संगठनों पर कुछ समय के लिए प्रतिबंध लगा दिया गया था” ये भाग नए शैक्षणिक सत्र मेंं कक्षा 12 की राजनीति विज्ञान की टेक्स्ट  बुक मेंं हटाए गए टेक्स्ट मेंं से हैं.

कांग्रेस ने बुधवार (5 अप्रैल) को एनसीईआरटी की 12वीं कक्षा की नई पाठ्यपुस्तकों से गायब इस तरह के कुछ पाठों को लेकर सरकार पर निशाना साधा. इसे लेकर कांग्रेस सहित अन्य राजनीतिक दलों ने इसे मोदी सरकार का बदले की नीयत से उठाया गया कदम बताया है. इसे लेकर बीजेपी और विपक्षी दलों मेंं जुबानी जंग तेज हो चली है. 

उधर नेशनल काउंसिल ऑफ एजुकेशनल रिसर्च एंड ट्रेनिंग (एनसीईआरटी) का दावा है कि इस साल सिलेबस मेंं कोई कटौती नहीं की गई है और पिछले साल जून मेंं पाठ्यक्रम को तर्कसंगत बनाया गया था. एनसीईआरटी के निदेशक दिनेश सकलानी ने कहा,” सिलेबस को तर्कसंगत बनाने की पूरी कवायद बीते साल की गई थी, इस साल कुछ भी नया नहीं हुआ है.”

उन्होंने ये भी कहा कि मुगलों के इतिहास को किताबों से नहीं हटाया गया है ये झूठ है. हालांकि इस दौरान उन्होंने सिलेबस को तर्कसंगत बनाने के दौरान किताबों से हटाए गए अंशों पर कोई टिप्पणी नहीं की.

‘बदले की भावना से अपनी गलती पर पर्दा डालने की कोशिश’

एक मीडिया रिपोर्ट को टैग करते हुए कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने ट्विटर पर कहा, ” ये बदले की भावना से अपनी गलती पर पर्दा डालने की कोशिश है.” उन्होंने मुगलों और दलित लेखकों से संबंधित अध्यायों को भी पाठ्यपुस्तकों से हटाने का दावा करने वाली एक अन्य रिपोर्ट को भी  टैग किया है. इसे लेकर कांग्रेस नेता ने  कहा, “यह सत्तारूढ़ शासन की सच्ची मानसिकता को प्रकट करता है. आखिरकार, आरएसएस ने न केवल गांधी पर हमला किया था, बल्कि डॉ आंबेडकर भी कड़ा विरोध भी किया था.”

उधर दूसरी तरफ केंद्रीय मंत्री शोभा करंदलाजे ने पाठ्यपुस्तकों से कुछ संदर्भों को हटाने के फैसले का बचाव किया. उन्होंने कहा कि कांग्रेस भारत के ऐतिहासिक तथ्यों मेंं जोड़ -तोड़ करने वाली पार्टी है और बीजेपी केवल अतीत के गलत कामों को सुधार रही है. उन्होंने आगे कहा, ” जो तथ्य  @INCIndia को धमकी देते थे और इसे कभी भी पाठ्यपुस्तकों मेंं शामिल नहीं किया गया – मुगलों की बर्बरता, आपातकाल का युग, कश्मीर पंडितों और सिखों का नरसंहार, कांग्रेस का भ्रष्टाचार, बीजेपी केवल आपके गलत कामों को सुधार रही है.”

‘भारत का इतिहास 2014 से शुरू होना चाहिए’

एनसीईआरटी की 12वीं कक्षा की नई पाठ्यपुस्तकों से कथित तौर पर कुछ संदर्भों को हटाने को लेकर राज्यसभा सांसद कपिल सिब्बल ने भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार पर निशाना साधा है. उन्होंने बुधवार (5 अप्रैल) को कहा कि पीएम मोदी के भारत के मुताबिक आधुनिक भारतीय इतिहास 2014 से शुरू होना चाहिए.

सिब्बल ने एक ट्वीट मेंं कहा, “एनसीईआरटी की टेक्स्टबुक्स को मिटा दिया गया: 1) गांधी की हिंदू मुस्लिम एकता की खोज 2) आरएसएस पर प्रतिबंध 3) गुजरात दंगों के सभी संदर्भ 4) विरोध प्रदर्शन जो समकालीन भारत मेंं सामाजिक आंदोलनों मेंं बदल गए.”  पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा, “मोदी जी के भारत के अनुरूप आधुनिक भारतीय इतिहास 2014 से शुरू होना चाहिए….” 2014 मेंं बीजेपी सरकार सत्ता मेंं आई थी. 

एनसीईआरटी के निदेशक ने कहा ये झूठ है

एनसीईआरटी का दावा है कि इस साल सिलेबस मेंं कोई कटौती नहीं की गई है और बीते साल जून मेंं सिलेबस को तर्कसंगत बनाया गया था. बीते साल अपने “सिलेबस रेशनलाइजेशन” के हिस्से के तौर पर एनसीईआरटी ने “ओवरलैपिंग” और “अप्रासंगिक” वजहों का हवाला देते हुए सिलेबस से कुछ हिस्सों को हटा दिया. हटाए गए हिस्सों मेंं गुजरात दंगों, मुगल अदालतों, आपातकाल, शीत युद्ध, नक्सली आंदोलन जैसे लेसन (Lessons) शामिल थे. रेशनलाइजेशन नोट मेंं महात्मा गांधी के बारे मेंं अंशों का कोई जिक्र नहीं था.

एनसीईआरटी के निदेशक दिनेश प्रसाद सकलानी (Dinesh Saklani) कहते हैं, “यह झूठ है. (चैप्टर्स पर ) मुगलों को नहीं छोड़ा गया है. बीते साल रेशनलाइजेशन  प्रक्रिया थी, क्योंकि कोविड की वजह से छात्रों पर हर जगह दबाव था. विशेषज्ञ समितियों ने कक्षा 6 से 12 की किताबों की जांच की और उन्होंने सिफारिश की कि यदि यह चैप्टर हटा दिया जाता है, तो इससे बच्चों के ज्ञान पर कोई असर नहीं पड़ेगा और एक तरह से ये अनावश्यक बोझ हटाया जा सकता है. बहस अनावश्यक है. जो नहीं जानते हैं, वे टेक्स्टबुक्स की जांच कर सकते हैं.”

हालांकि, इस बीच उन्होंने टेक्स्टबुक्स से हटाए उन अंशों के बारे में कोई टिप्पणी नहीं की जिनका रेशनलाइजेशन के वक्त एलान नहीं किया गया था. इसे लेकर एनसीईआरटी के एक अधिकारी ने पीटीआई से कहा, “विषय विशेषज्ञ पैनल ने गांधी पर टेक्स्ट को हटाने की सिफारिश की थी. इसे बीते साल ही मंजूर कर लिया गया था. चूक की वजह से तर्कसंगत सामग्री की लिस्ट मेंं इसका जिक्र नहीं किया गया. किसी भी छूटे गए कॉन्टेंट की लिस्ट एक या दो दिन मेंं नोटिफाई की जाएगी.”

एनसीईआरटी ने वेबसाइट पर लिखा

एनसीईआरटी ने अपनी वेबसाइट पर एक नोट मेंं लिखा है, “कोविड-19 महामारी को देखते हुए, छात्रों पर के पाठ्य सामग्री के बोझ को कम करना जरूरी महसूस किया गया. राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 भी इस बोझ को कम करने और रचनात्मक मानसिकता के साथ अनुभवात्मक सीखने के अवसर देने पर जोर देती है. इस पृष्ठभूमि मेंं, एनसीईआरटी ने सभी कक्षाओं और सभी विषयों की पाठ्यपुस्तकों को तर्कसंगत बनाने की कवायद शुरू की थी.”

“मौजूदा एडिशन मेंं बदलावों को करने के बाद एक सुधारा हुआ एडिशन है. मौजूदा टेक्स्ट बुक तर्कसंगत हैं. इन्हें सत्र 2022-23 के लिए तर्कसंगत बनाया गया था और 2023-24 मेंं ये जारी रहेगा.”

शिक्षा मंत्रालय के पहचान जाहिर न करने वाले एक अधिकारी ने कहा कि एनईपी के मुताबिक नए पाठ्यक्रम की फ्रेमवर्क पर अभी भी काम किया जा रहा है और अपटेड पाठ्यक्रम के मुताबिक, नई पाठ्यपुस्तकों को केवल 2024 शैक्षणिक सत्र से पेश किया जाए. 

इससे पहले, यह बताया गया था कि उत्तर प्रदेश के सरकारी स्कूल इस शैक्षणिक सत्र से एनसीईआरटी की 12वीं कक्षा की नई इतिहास की पाठ्यपुस्तकों को अपनाएंगे, जिसमें मुगल दरबारों के कुछ हिस्सों को हटा दिया गया है. 

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By jaghit