S Jaishankar On Human Rights: संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद के 52वें सत्र में भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने आतंकवाद को मानवाधिकार के लिए गंभीर खतरा बताया. सत्र को भेजे वीडियो सन्देश में उन्होंने कहा, “भारत उन वैश्विक चुनौतियों से निपटने में आगे रहता है जो मानवाधिकारों पर प्रतिकूल प्रभाव डालती हैं. आतंकवाद इसमें प्रमुख है.”
जयशंकर ने आतंकवाद पर पूरी दुनिया को जीरो टॉलरेंस की नीति पर काम करने की अपील की. उन्होंने कहा, “भारत का मानना है कि दुनिया को इस संबंध में जीरो टॉलरेंस दिखाना चाहिए, क्योंकि आतंकवाद मानवाधिकारों का सबसे अक्षम्य उल्लंघन है. इसे किसी भी परिस्थिति में सही नहीं ठहराया जा सकता है. इसके अपराधियों को हमेशा जवाबदेह बनाया जाना चाहिए.”
मानवाधिकारों पर भारत संजीदा
मानवाधिकारों के लिए भारत की संजीदगी की जानकारी देते हुए भारतीय विदेश मंत्री ने कहा, “मैं दोहराता हूं कि भारत सुशासन और समावेशी और सतत विकास सहित अपने लोगों के बुनियादी मानवाधिकारों का पूर्ण आनंद सुनिश्चित करने के लिए हर संभव कदम उठाने की अपनी प्रतिबद्धता पर अडिग है.” विदेश मंत्री ने कहा, “कोविड महामारी के प्रति हमारी प्रतिक्रिया में भी हमारी प्रतिबद्धता स्पष्ट थी. हमने 99 देशों को टीके और संयुक्त राष्ट्र की दो संस्थाओं के साथ-साथ 150 से अधिक देशों को दवाओं की आपूर्ति की है.”
UNHRC में भारत के प्रयास
उन्होंने कहा, “परिषद के सदस्य के रूप में भारत अन्य सदस्यों के साथ-साथ पर्यवेक्षकों के साथ आम सहमति बनाने की दिशा में काम करता है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि परिषद अपने मूल जनादेश को पूरा करने में सक्षम है. हम सभी बुनियादी मानवाधिकारों को समान प्राथमिकता देते हैं. मानवाधिकारों के प्रति हमारा दृष्टिकोण, एक विकासशील देश के रूप में वैश्विक एकजुटता की एक मजबूत भावना के साथ हमारे अनुभव को दर्शाता है. हमारा सभ्यतागत लोकाचार संपूर्ण मानवता के कल्याण के लिए एक मजबूत प्रतिबद्धता की परिकल्पना करता है. हमारी घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय नीतियों के बीच सामंजस्य सुनिश्चित करता है.”
भारतीय योजनाओं की जानकारी दी
जयशंकर ने अपनी सरकार की तारीफ करते हुए कहा, “प्रधानमंत्री मोदी के ‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विकास और सबका प्रयास’ के तहत भारत अपने लोगों के लिए गरिमापूर्ण जीवन सुनिश्चित करने के लिए दृढ़ता से प्रतिबद्ध है.” उन्होंने बताया, “भारत में कोविड के दौरान लाखों लोगों ने मुफ्त भोजन प्राप्त किया. इतना ही नहीं भारत सरकार ने उनके बैंक खातों में पैसा भी भेजा. यह सब बिना किसी भेदभाव के डिजिटल डिलीवरी के माध्यम से किया गया. यह हमारी निष्पक्षता और सामाजिक कल्याण कार्यक्रमों को सुनिश्चित करने की विशेषता है.”