TMC MP Mahua Moitra Slammed Appointment Of Former Judge S Abdul Nazeer As A Governor Of Andhra Pradesh | बेशर्मी है...! पूर्व जज नजीर को गवर्नर बनाए जाने पर भड़कीं महुआ मोइत्रा, बोलीं

Mahua Moitra On Abdul Nazeer: सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज एस अब्दुल नजीर को हाल ही में आंध्र प्रदेश का राज्यपाल बनाया गया है. वो पिछले महीने ही सुप्रीम कोर्ट से रिटायर हुए हैं. अब्दुल नजीर उन 5 जजों में शामिल थे जिन्होंने अयोध्या में राम मंदिर को लेकर फैसला सुनाया था. उनकी इस नियुक्ति पर विपक्षी पार्टियां ऐतराज जता रही हैं. इसी क्रम में तृणमूल कांग्रेस की सांसद महुआ मोइत्रा ने उनकी नियुक्ति की निंदा की है.

महुआ मोइत्रा ने ट्वीट करते हुए कहा, ‘फिर एक और सुप्रीम कोर्ट जज को सेवानिवृत्ति के 2 महीने से भी कम समय में राज्यपाल नियुक्त किया गया. बहुसंख्यक सरकार को धारणा की परवाह नहीं है लेकिन आप इसे स्वीकार करने के लिए कितने बेशर्म हैं, मिलॉर्ड?’ अब्दुल नजीर की नियुक्ति को लेकर टीएमसी ही नहीं बल्कि कांग्रेस ने भी आलोचना की है.

क्या कहा कांग्रेस ने?

कांग्रेस महासचिव (संचार) जयराम रमेश ने ट्विटर पर पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली का एक वीडियो साझा किया, जो साल 2012 का है और वो कहते हुए सुनाई पड़ते है कि सेवानिवृत्ति से पहले के निर्णय सेवानिवृत्ति के बाद की नौकरियों से प्रभावित होते हैं. रमेश ने वीडियो के साथ ट्वीट किया, “निश्चित रूप से पिछले 3-4 सालों में इसके पर्याप्त सबूत हैं.”

तो वहीं, कांग्रेस प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, “दुख की बात है कि आपके (बीजेपी) नेताओं में से एक अब हमारे साथ नहीं रहे, अरुण जेटली ने 5 सितंबर, 2013 को सदन में और बाहर कई बार कहा कि ‘एक पद की इच्छा- सेवानिवृत्ति की नौकरी पूर्व-सेवानिवृत्ति निर्णयों को प्रभावित करती है. यह न्यायपालिका की स्वतंत्रता के लिए खतरा है.”

कौन हैं अब्दुल नजीर

जस्टिस नजीर की सेवानिवृत्ति के 40 दिनों के भीतर नियुक्ति को लेकर एक बड़ा विवाद खड़ा हो गया है. वह उस पांच-न्यायाधीशों की पीठ का हिस्सा थे जिसने नवंबर 2019 में अयोध्या राम जन्मभूमि मामले का फैसला किया था. उन्होंने उस पीठ की भी अध्यक्षता की थी जिसने साल 2016 में नरेंद्र मोदी सरकार के विमुद्रीकरण के कदम को बरकरार रखा था. न्यायमूर्ति नजीर उस संविधान पीठ का भी हिस्सा थे जिसने संविधान के अनुच्छेद 19(1)(ए) के तहत बोलने की आजादी के अधिकार में और प्रतिबंध जोड़े जा सकते हैं.

ये भी पढ़ें: Justice S Abdul Nazeer: कभी समुद्र किनारे मछलियां पकड़ते थे, सुप्रीम कोर्ट जस्टिस बने और अब राज्‍यपाल, पढ़ें एस अब्‍दुल नजीर का प्रोफाइल

Source link

By jaghit