Arrest Warrant Against Jaysukh Patel In Morbi Bridge Case: गुजरात के मोरबी केबल पुल (Morbi Cable Bridge) हादसा मामले में, पुल के रखरखाव, नवीनीकरण और संचालन की जिम्मेदारी रखने वाली ओरेवा फर्म (Oreva Group) के प्रबंध निदेशक जयसुख पटेल (Jaysukh Patel) के खिलाफ पुलिस (Gujarat Police) ने रविवार (22 जनवरी) को गिरफ्तारी वॉरंट जारी कर दिया. मोरबी (Morbi) में मच्छू नदी पर बना केबल पुल पिछले वर्ष 30 अक्टूबर को टूट गया था. पुल हादसे में 141 लोगों ने जानें गंवा दी थीं.
जयसुख पटेल अजंता ओरेवा समूह के प्रमोटर भी हैं. गुजरात पुलिस ने उनके खिलाफ गिरफ्तारी वॉरंट निकालने के साथ ही एक लुकआउट सर्कुलर भी जारी किया है. ब्रिटिश कालीन झूला पुल के संचालन और प्रबंधन के लिए उनकी कंपनी जिम्मेदार थी.
अग्रिम जमानत याचिका की है दायर
इससे पहले 16 जनवरी को जयसुख पटेल ने गिरफ्तारी की आशंका के मद्देनजर मोरबी सत्र अदालत में एक अग्रिम जमानत याचिका दायर की थी. शनिवार (21 जनवरी) को अदालत ने पटेल की अग्रिम जमानत याचिका पर सुनवाई एक फरवरी तक के लिए स्थगित कर दी थी. पटेल की याचिका पर प्रधान जिला और सत्र न्यायाधीश पीसी जोशी सुनवाई कर रहे हैं. शनिवार को सरकारी वकील के मौजूद न होने के कारण सुनवाई एक फरवरी तक के लिए टाल दी गई थी.
मोरबी पुल हादसे में ओरेवा ग्रुप की क्या है भूमिका?
मोरबी नगरपालिका के साथ हुए एक करार के अनुसार, मच्छू नदी पर बने पुल का रखरखव और संचालन का जिम्मा ओरेवा ग्रुप के पास था. पुल के संचालन और रखरखाव के लिए 15 साल के समझौते पर मोरबी नगर निगम और अजंता ओरेवा कंपनी के बीच मार्च 2022 में समझौते पर हस्ताक्षर किए गए थे. यह करार 2037 तक के लिए वैध था.
FSL की रिपोर्ट में क्या कहा गया था?
हादसे के बाद, फॉरेंसिक विज्ञान प्रयोगशाला (FSL) की एक रिपोर्ट में कहा गया था कि जंग लगी केबल, टूटे एंकर पिन और ढीले बोल्ट उन खामियों में से थे जिन्हें पुल के नवीनीकरण के दौरान ठीक नहीं किया गया था. एफएसएल की रिपोर्ट में आगे कहा गया था कि ओरेवा ग्रुप ने पुल को जनता के लिए खोलने से पहले इसकी भार झेलने की क्षमता का आकलन करने के लिए किसी विशेषज्ञ एजेंसी को नहीं लगाया था. वहीं, मोरबी त्रादसी की जांच के लिए सरकार की ओर से एक विशेष जांच दल (SIT) का गठन किया गया था, जिसने पुल को लेकर ओरेवा ग्रुप की ओर से कई खामियों का हवाला दिया था.
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