India Criticize Pakistan in UN: संयुक्त राष्ट्र की एक सभा में एक बार फिर भारत ने पाकिस्तान को करारा जवाब दिया है. बुधवार को विदेश मंत्री एस जयशंकर ने पाकिस्तान के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो जरदारी की ओर से यूएन में कश्मीर का मुद्दा उठाए जाने के बाद जो जवाब दिया, उसकी चर्चा खूब हो रही है. जयशंकर ने किसी भी देश का नाम लिए बिना पाकिस्तान की निंदा करते हुए कहा, ”संयुक्त राष्ट्र की विश्वसनीयता हमारे समय की प्रमुख चुनौतियों पर प्रभावी प्रतिक्रिया पर निर्भर करती है, फिर चाहे वह महामारी, जलवायु परिवर्तन, संघर्ष या आतंकवाद की ही बात क्यों न हो.”
उन्होंने आगे कहा, ”दुनिया जिसे अस्वीकार्य मानती है, उसे सही ठहराने का सवाल ही नहीं उठना चाहिए.” पाकिस्तान की ओर इशारा करते हुए उन्होंने कहा, ”यह निश्चित रूप से सीमा पार आतंकवाद प्रायोजित करने वाले देश पर लागू होता है. उन्होंने कहा कि न ही ओसामा बिन लादेन की मेजबानी करना और न ही पड़ोसी देश की संसद पर हमला करना इस परिषद के सामने उपदेश देने के लिए प्रमाण के रूप में काम कर सकता है.”
इस वजह से दी यह प्रतिक्रिया
जयशंकर की प्रतिक्रिया तब आई जब भुट्टो ने यूएनएससी की भारत की दिसंबर की अध्यक्षता के तहत सुधारित बहुपक्षवाद (एनओआरएम) के लिए नई ओरिएंटेशन पर बहस के लिए बुलाई गई बैठक के दौरान कश्मीर का मुद्दा उठाया. पाकिस्तान के विदेश मंत्री ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) मुख्य रूप से अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा बनाए रखने के लिए जिम्मेदार है.
News Reels
EAM @DrSJaishankar hits out at Pakistan as Pak FM Bilawal Bhutto Zardari raked up Kashmir at the UNSC @ABPNews pic.twitter.com/F4URoidssn
— Ashish Kumar Singh (ABP News) (@AshishSinghLIVE) December 14, 2022
बिना नाम लिए कहा बहुत कुछ
जयशंकर ने कहा, ”सुरक्षा परिषद की छतरी के नीचे बहुपक्षीय समाधान शांति को बढ़ावा देने और संघर्षों को हल करने के लिए सबसे प्रभावी दृष्टिकोण प्रदान करते हैं. किसी विवाद के पक्ष एक दिन बहुपक्षीय प्रक्रिया, एक दिन बहुपक्षीय सुधारों की वकालत नहीं कर सकते हैं और अगले दिन द्विपक्षीय रास्ते पर जोर देते हैं और अंततः एकतरफा कार्रवाई लागू करते हैं.”
बिलावल भुट्टो ने कही थी ये बात
सुरक्षा परिषद में भारत को शामिल करने की मांग के बीच भुट्टो ने कहा, ”यूएनएससी में नए स्थायी सदस्यों को जोड़ने से सुरक्षा परिषद में संयुक्त राष्ट्र के अधिकांश सदस्य देशों के उपस्थित होने के अवसर संख्यात्मक रूप से कम हो जाएंगे. हमें सभी की संप्रभु समानता का पालन करना चाहिए, कुछ की श्रेष्ठता का नहीं.”
ये भी पढ़ें