Corona Vaccine: कोविड-19 महामारी ने पूरी दुनिया में भूचाल ला दिया था. वायरस के तेजी से फैलने के बाद इसकी वैक्सीन बनाई गई जिसको लेकर भी कई तरह की अफवाहें फैलीं. कुछ लोग इसे लगवाना चाहते थे तो कुछ लोग इसकी ज्यादा डोज को लेकर चिंतित थे लेकिन जर्मनी के रहने वाले एक 62 साल के बुजुर्ग ने 29 महीने के अंदर 2017 वैक्सीन डोज लिए.
इस मामले से जुड़ी केस स्टडी 4 मार्च को द लांसेट में पब्लिश हुई है. शोधकर्ताओं को मीडिया रिपोर्ट्स के जरिए इस मामले का पता चला था उसके बाद इस शख्स के शरीर पर रिसर्च की गई, जिसमें कई बातें सामने आईं. इस शख्स की तुलना उन लोगों से की गई जिन्होंने कोविड-19 के मात्र तीन डोज लिए थे.
क्या मिला शोधकर्ताओं को?
खास बात ये रही कि 62 साल के इस बुजुर्ग पर इसका कोई दुष्प्रभाव देखने को नहीं मिला और न ही रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हुई. नवंबर 2019 और अक्टूबर 2023 के बीच इस शख्स की कई तरह की जांचें की गईं जिसमें 62 मापदंडों पर ये शख्स खरा उतरा. शोधकर्ताओं ने 214वीं से 217वीं वैक्सीन डोज के दौरान के खून और लार के सैंपल इकट्ठे किए. उन्होंने उसकी प्रतिरक्षा प्रतिक्रियाओं की तुलना उन 29 लोगों से की जिन्होंने स्टैंडर्ड तीन डोज लगवाए थे.
इस जर्मन शख्स ने टीकों की बढ़ती संख्या के दौरान कभी भी वैक्सीन से होने वाले दुष्प्रभाव को महसूस ही नहीं किया. शोधकर्ताओं ने पाया कि इस शख्स का इम्युन सिस्टम उन्हीं लोगों की तरह था जिन्होंने सीमित मात्रा में कोरोना वैक्सीन के डोज लिए थे. हालांकि नई खुराक के बाद उसके खून में वैक्सीन की एंटीबॉडी का लेवल बढ़ा तो लेकिन फिर घटने लगा.
खड़े हुए कई सवाल
भले ही जांच में इस शख्स को कोई नुकसान नहीं पहुंचा हो लेकिन इससे कई सवाल जरूर खड़े हो गए हैं. जिनमें क्या रैंडमली अधिक वैक्सीन लेना सुरक्षित है? क्या कोई सिंगल केस सुरक्षा का पैमाना तय कर सकता है? क्या टीके की सुरक्षा का आकलन करने के लिए दो से तीन साल पर्याप्त हैं? इतनी अधिक वैक्सीन खुराकें किसी व्यक्ति की प्रतिरक्षा प्रणाली को कैसे प्रभावित कर सकती हैं? जैसे सवाल शामिल हैं.
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