Delhi Karkardooma Court News: दिल्ली की कड़कड़डूमा फैमिली कोर्ट (Karkardooma Family Court) ने एक मामले पर फैसला सुनाते हुए कहा है कि अविवाहित बेटी (Unmarried Daughter) का उच्च शिक्षा (Higher Education) का खर्च उठाने की जिम्मेदारी उसके पिता की है. कोर्ट में लड़की ने इस संबंध में याचिका दायर की थी.
लड़की ने मांग की थी कि उसके पिता हायर एजुकेशन का खर्च उठाएं. 19 वर्षीय लड़की ने कोर्ट में दायर की अपनी याचिका में कहा कि मां उसकी पढ़ाई कराने में सक्षम नहीं हैं और पिता जानबूझकर खर्च नहीं उठा रहे हैं.
अदालत ने क्या कहा ?
रिपोर्ट्स के मुताबिक, कड़कड़डूमा फैमिली कोर्ट ने मामले पर सुनवाई करते हुए कहा कि अगर बेटी अविवाहित है और आगे पढ़ना चाहती है तो उसे प्रोत्साहित किया जाना चाहिए. कोर्ट ने कहा कि बेटी की उच्च शिक्षा का खर्च उठाने की जिम्मेदारी पिता की है. हालांकि, कोर्ट ने यह भी कहा कि पिता की आर्थिक स्थिति को भी देखा जाना जरूरी है कि वह बेटी को आगे पढ़ा सकता है या नहीं. कोर्ट ने मामले पर एक रिपोर्ट तलब की तो पता चला कि याचिकाकर्ता का पिता एक कारोबारी है.
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रिपोर्ट में पता चला कि पति और पत्नी अलग रह रहे हैं और बेटी अपनी मां के साथ रहती है. इस वजह से पिता अपनी बेटी की हायर एजुकेशन का खर्च नहीं उठा रहा है.
कोर्ट ने सुनाया यह फैसला
कोर्ट ने कहा कि बेटी को पढ़ाई का खर्च न देने के लिए यह कोई आधार नहीं है. पति-पत्नी को अलग रहना पड़ रहा है, इसकी कोई वजह होगी लेकिन इसके चलते लड़की को शिक्षा से वंचित नहीं किया जा सकता है, लिहाजा पिता को उसकी अविवाहित बेटी की उच्च शिक्षा का खर्च उठाना होगा.
जनवरी में दिल्ली हाईकोर्ट ने दिया था ऐसा ही फैसला
इसी साल जनवरी में एक मामले में दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा था कि एक पिता अपनी अविवाहित बेटियों की देखभाल करने की अपनी जिम्मेदारी से पीछे नहीं हट सकता है और उनका पालन-पोषण करना उसका कर्तव्य और दायित्व है, जिसमें बेटियों की शिक्षा और शादी के खर्चों का ध्यान रखना भी शामिल है.
दिल्ली हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति विपिन सांघी और जसमीत सिंह की खंडपीठ ने कहा था कि कन्या दान एक हिंदू पिता का पवित्र और धार्मिक दायित्व है, जिससे वह पीछे नहीं हट सकता. एक अविवाहित बेटी भले ही नौकरीपेशा और कमाने वाली हो, उसके लिए यह नहीं माना जा सकता है कि वह वैवाहिक खर्चों को पूरा करने के लिए पर्याप्त संसाधन रखती है.