<div dir="auto" style="text-align: justify;"><strong>Intresting Facts Of Temple : </strong>भारत अपने सांस्कृतिक, सामाजिक और आध्यात्मिक महत्व के लिए विश्व भर में एक अलग ही पहचान रखता है. यहां हर किसी की अपनी अलग आस्था है. तभी तो यहां पत्थर, नदीं, खेत-खलिहान और गाय तक को पूजा जाता है. अपनी आस्था के चलते ही लोग अपने आराध्य के मंदिर का निर्माण कराते हैं. उन्हें बस अपनी आस्था पर विश्वास होता है, फिर उन्हें इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि उनका आराध्य कौन है. हमारे देश में ऐसे कई मंदिर है जिनके बारे में सुनकर या जानकर बेहद आश्चर्य होता है. कभी-कभी तो इस बात पर यकीन करना भी मुश्किल होता है कि ऐसा भी कुछ हो सकता है, लेकिन यह देश अनेकता में एकता का देश है. यहां कदम-कदम पर अलग-अलग तरह के लोग मिल जाते हैं. ये विभिन्न लोगों देवी-देवताओं रूप में कई चीजों को पूजते हैं. इनके बारे में सुनकर ही काफी अजीब लगता है. आज हम आपको भारत में स्थित कुछ ऐसे ही अनोखे मंदिरों के बारे में बता रहे हैं जिन्हें एक बार आपको जरुर विजिट करना चाहिए. </div>
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<div dir="auto" style="text-align: justify;"><strong>भारत माता मंदिर, वाराणसी</strong></div>
<div dir="auto" style="text-align: justify;">हम भारतवासी अपने देश को अपनी मां का दर्जा देते हैं. वक्त आए तो इस जन्मभूमि पर जान लुटाने में भी पीछे नहीं रहते. भारत मां के प्रति लोगों की आस्था इस कदर है कि उन्हें देवी की तरह पूजते हैं. जी हां हम बात कर रहे हैं उत्तरप्रदेश में एक के वाराणसी में स्थित भारत माता मंदिर (Bharat Mata Mandir) के बारे में. यह देश के सबसे अनोखे मंदिरों में से एक है. बात करें इस मंदिर के बनने कि तो बता दें कि इसका निर्माण 1936 में हुआ था. स्वतंत्रता सेनानी बाबू शिवप्रसाद गुप्ता द्वारा इस मंदिर की निर्माण करवाया गया था. सबसे बड़ी खासियत इस मंदिर की यह है कि इसका उद्घाटन महात्मा गांधी के हाथों हुआ था. यह मंदिर उन स्वतंत्रता सेनानियों को श्रद्धांजलि और सम्मान देता है जिन्होंने देश को आजाद कराने के अपनी जान गवां दी. इस मंदिर में अविभाजित भारत का एक नक्शा है. स्वतंत्रता से पहले बने इस मंदिर में अविभाजित भारत का नक्शा में पाकिस्तान, अफगानिस्तान, बलूचिस्तान, म्यांमार और बांग्लादेश भी शामिल हैं.</div>
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<div dir="auto" style="text-align: justify;"><strong>मलंदा दुर्योधन मंदिर, केरल</strong></div>
<div dir="auto" style="text-align: justify;">केरल के इस मंदिर के बारे में जानकर आपको बड़ा अजीब लगेगा, क्योंकि यह मंदिर दुर्योधन को समर्पित है. इसके अलावा इसमें कोई गर्भगृह या मूर्ति स्थापित नहीं की गई है. यहां केवल एक उठा हुआ मंच है, जिसे मंडपम कहा जाता है. प्राचीन मान्यताओं के अनुसार जब पांडव निर्वासन में थे, तब दुर्योधन केरल के दक्षिण के जंगलों में उनकी खोज में गया था. जब दुर्योधन कोल्लम पहुंचा तो वहां पर कुरवा समुदाय की एक अछूत बूढ़ी स्त्री ने उन्हें पानी पिलाया. तब दुर्योधन ने वहां के लोगों अच्छे की कामना करते हुए वहां के ग्रामीणों को खेती की जमीन का एक बड़ा टुकड़ा दान में दिया. ऐसा कहा जाता है कि इस मंदिर का निर्माण उसी जगह पर किया गया है, जहां दुर्योधन प्रार्थना और ध्यान में बैठे थे. दुर्योधन के प्रति अपनी उसी आस्था के चलते आज भी कुरवा समुदाय के लोग मलंदा दुर्योधन मंदिर में पुजारी के रूप में सेवा करते हैं. </div>
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<div dir="auto" style="text-align: justify;"><strong>भैरव मंदिर या व्हिस्की देवी मंदिर</strong></div>
<div dir="auto" style="text-align: justify;">मध्यप्रदेश में स्थित इस मंदिर के बारे में जो कोई भी सुनता या देखता है उसकी आखें खुली की खुली रह जाती है, क्योंकि सभी मंदिरों में जहां प्रसाद के रूप में मूर्ति को मिठाई और फल भेंट किए जाते हैं, वहीं इस मंदिर में प्रसाद के रूप में कुछ और ही चढ़ता है. बाबा काल भैरव का यह मंदिर बेहद ही अनूठा है. यहां के भगवान को प्रसाद के रूप में शराब चढ़ाई जाती है.बताया जाता है कि वर्षों पहले यहां पंचमकार तांत्रिक अनुष्ठानों के अनुसार पांच वस्तुओं का भोग लगाया जाता था, लेकिन अब शराब प्रसाद के रूप में भेंट की जाती है.</div>
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<div dir="auto" style="text-align: justify;"><strong>चन्नपटना कुत्ता मंदिर, कर्नाटक</strong></div>
<div dir="auto" style="text-align: justify;">देवी-देवताओं के लिए मंदिर तो होते ही हैं, लेकिन कभी आपने सुना है कि किसी मंदिर में जानवर को पूजा जाता है, नहीं सुना होगा. यह सुनकर आपको अचरज भी जरूर होगा, लेकिन कर्नाटक में एक ऐसा ही मंदिर मौजूद है. दरअसल, यहां के एक व्यापारी ने 2010 में देवी केम्पन्ना की पूजा के लिए एक मंदिर बनाया. तब रहस्यमय तरीके से गांव से दो कुत्ते गायब हो गए. कहा जाता है कि उस रात देवी ने उस आदमी के सपने में आकर उन कुत्तों के नाम पर मंदिर बनाने की बात कही, जिसके बाद इस मंदिर का नाम बदलकर चन्नपटना कुत्ता मंदिर रखा गया. इसके बाद से ही यहां उन कुत्तों की पूजा होती आ रही है.</div>
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