Pawan Khera Row: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनके पिता पर अमर्यादित टिप्पणी मामले में कांग्रेस नेता पवन खेड़ा को मिली अंतरिम राहत अभी जारी रहेगी. खेड़ा की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई शुक्रवार (3 मार्च) के लिए टल गई है. पिछली सुनवाई में कोर्ट ने खेड़ा को बड़ी राहत दी थी. असम पुलिस की तरफ से दिल्ली में गिरफ्तार खेड़ा को असम जाने से पहले ही अंतरिम जमानत दे दी गई थी.
अगली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट असम और यूपी में दर्ज कुल 3 एफआईआर को एक जगह ट्रांसफर करने पर विचार करेगा. असम और यूपी सरकार ने जवाब दाखिल करने के लिए कोर्ट से समय मांगा. इसी वजह से सुनवाई टल गई है. दरअसल, 23 फरवरी को कांग्रेस के महाधिवेशन में रायपुर जा रहे पवन खेड़ा को असम पुलिस ने फ्लाइट से उतारकर गिरफ्तार किया था. इसके बाद अभिषेक मनु सिंघवी की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने 28 फरवरी तक के लिए अंतरिम जमानत देकर राहत दे दी थी.
पवन खेड़ा पर 3 एफआईआर
सुप्रीम कोर्ट ने पवन खेड़ा पर यूपी के लखनऊ, वाराणसी और असम में दर्ज 3 एफआईआर को क्लब करने का आदेश दिया था. इसको लेकर कोर्ट ने यूपी और असम सरकार को नोटिस भी जारी किया था. 23 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद दिल्ली की द्वारका कोर्ट ने खेड़ा को 30 हजार रुपये के बॉन्ड पर अंतरिम जमानत दे दी थी. ये फैसला असम पुलिस की ट्रांजिट रिमांड की मांग पर सुनाया गया था.
सुप्रीम कोर्ट ने खेड़ा को लगाई थी फटकार
कोर्ट ने पवन खेड़ा को राहत तो दी थी लेकिन उन्हें फटकार लगाते हुए चेतावनी भी दी थी. चीफ जस्टिस ने कहा था, “हमने आपको प्रोटेक्शन (गिरफ्तारी से) दिया है, लेकिन बयानबाजी का भी कोई स्तर होना चाहिए.” इस पर खेड़ा के वकील सिंघवी ने कहा था कि हम भी इस तरह की बयानबाजी का समर्थन नहीं करते हैं.
क्यों दर्ज हुई पवन खेड़ा के खिलाफ एफआईआर?
दरअसल, पवन खेड़ा ने 20 फरवरी को हिंडनबर्ग की रिपोर्ट पर कहा था, “जब अटल बिहारी वाजपेयी जेपीसी बना सकते हैं तो नरेंद्र गौतम दास मोदी को क्या समस्या है?” इसके बाद उन्होंने आसपास खड़े लोगों से पूछा था कि गौतम दास या दामोदर दास. फिर, उन्होंने कहा कि नाम भले ही दामोदर दास है. उनका काम गौतम दास का है. हालांकि उन्होंने बाद में सफाई देते ये भी कहा था कि प्रधानमंत्री के नाम को लेकर उन्हें कन्फ्यूजन था.
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