President Draupadi Murmu Speech Over Overcrowded Prison Supreme Court Want Detail In 15 Days

Draupadi Murmu Speech: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू द्वारा जमानत के बावजूद छोटे-मोटे अपराधों में जेलों में बंद लोगों की दुर्दशा को लेकर दिए गए भावुक भाषण के कुछ दिनों बाद सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार (29 नवंबर) को देश भर के जेल अधिकारियों को ऐसे कैदियों का ब्योरा 15 दिन के भीतर राष्ट्रीय कानूनी सेवा प्राधिकरण (NALSA) को उपलब्ध कराने का निर्देश दिया, ताकि उनकी रिहाई के लिए एक राष्ट्रीय योजना तैयार की जा सके.

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 26 नवंबर (शनिवार) को सुप्रीम कोर्ट में अपने पहले संविधान दिवस संबोधन में झारखंड के अलावा अपने गृह राज्य ओडिशा के गरीब आदिवासियों की दुर्दशा पर प्रकाश डालते हुए कहा था कि जमानत राशि भरने के लिए पैसे की कमी के कारण वे जमानत मिलने के बावजूद जेल में हैं.

अंग्रेजी में अपने लिखित भाषण से हटकर, मुर्मू ने हिंदी में बोलते हुए न्यायपालिका से गरीब आदिवासियों के लिए कुछ करने का आग्रह किया था. उन्होंने कहा था कि गंभीर अपराधों के आरोपी मुक्त हो जाते हैं, लेकिन इन गरीब कैदियों, जो हो सकता है कि किसी को थप्पड़ मारने के लिए जेल गए हों, को रिहा होने से पहले वर्षों जेल में बिताने पड़ते हैं.

कोर्ट ने क्या कहा? 

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जस्टिस एस के कौल सीजेआई डी वाई चंद्रचूड़ के साथ उस समय मंच पर बैठे थे जब राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने अपने ओडिशा में विधायक के रूप में और बाद में झारखंड की राज्यपाल के रूप में कई विचाराधीन कैदियों से मिलने का अपना अनुभव बताया.

जस्टिस कौल और न्यायमूर्ति अभय एस ओका की पीठ ने मंगलवार (29 नवंबर) को जेल अधिकारियों को ऐसे कैदियों का विवरण संबंधित राज्य सरकारों को प्रस्तुत करने का निर्देश दिया, जो 15 दिन के भीतर दस्तावेजों को राष्ट्रीय कानूनी सेवा प्राधिकरण (NALSA) को भेजेंगी.

बेंच ने मांगी यह जानकारी 

बेंच ने कहा कि जेल अधिकारियों को विचाराधीन कैदियों के नाम, उनके खिलाफ आरोप, जमानत आदेश की तारीख, जमानत की किन शर्तों को पूरा नहीं किया गया और जमानत के आदेश के बाद उन्होंने जेल में कितना समय बिताया है, इस तरह के विवरण प्रस्तुत करने होंगे.

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By jaghit