Earthquake Fact Check: तुर्किए-सीरिया में आए विनाशकारी भूकंप के बारे में डच (Dutch) रिसर्चर फ्रैंक हूगरबीट्स की भविष्यवाणी सच होने के बाद, सोशल मीडिया पर चर्चा चल रही है कि पाकिस्तान, भारत और दक्षिण एशियाई क्षेत्र में भूकंप आने की संभावना है. पाकिस्तान में भूकंप के बारे में बिना आधार के भविष्यवाणियों ने लोगों को दहशत में डाल दिया. भूकंप की भविष्यवाणी के बाद डच ‘सीस्मोलॉजिस्ट’ फ्रैंक हूगरबीट्स का एक वीडियो ट्वीट किया गया था, जिसमें संभावित एरिया की ओर इशारा किया गया था, जहां पाकिस्तान, अफगानिस्तान और भारत सहित भूकंपीय गतिविधि होने की संभावना है.
सीरिया और तुर्की में भूकंपों की सही भविष्यवाणी करने के लिए हूगरबीट्स की ऑनलाइन सराहना की जा रही है. इसके बाद से सोशल मीडिया और व्हाट्सएप यूजर्स भारत और पाकिस्तान में संभावित भूकंप की भविष्यवाणी करने वाले डच रिसर्चर के वीडियो शेयर कर रहे हैं. साइंटिस्टों ने हूगबीट्स और SSGEOS जैसे संगठनों की उनके गलत और अवैज्ञानिक दृष्टिकोण के लिए आलोचना की है. उन्होंने कहा कि भूकंप की भविष्यवाणी करना असंभव है. यूनाइटेड स्टेट्स जियोलॉजिकल सर्वे (USGS) ने अपनी वेबसाइट पर कहा कि न तो USGS और न ही किसी अन्य साइंटिस्ट ने कभी बड़े भूकंप की भविष्यवाणी की है.
भविष्यवाणियों और अटकलों को खारिज कर दिया
USGS के साइंटिस्टों ने कहा कि हम नहीं जानते न यह जानने की उम्मीद करते हैं कि निकट भविष्य में किसी भी समय कैसे भूकंप आएगा. USGS साइंटिस्टों का कहना है कि वे केवल इस संभावना की गणना कर सकते हैं कि एक खास एरिया में निश्चित सालों के भीतर एक महत्वपूर्ण भूकंप आएगा. हालांकि, पाकिस्तान मेट्रोलॉजिकल (मौसम) डिपार्टमेंट (पीएमडी) के डायरेक्टर ने पाकिस्तान में भूकंप के बारे में भविष्यवाणियों और अटकलों को खारिज कर दिया है. एक निजी टीवी चैनल से बात करते हुए पीएमडी डायरेक्टर ने कहा कि तुर्की और पाकिस्तान फॉल्ट लाइन में कोई समानता नहीं है.
कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है
पीएमडी अधिकारी ने कहा कि भूकंप की भविष्यवाणियों का कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है. पाकिस्तान के पास अपना आधुनिक सर्विलांस सिस्टम है जो तुर्की और सीरिया में आफ्टरशॉक पर नजर रख रहा है. उन्होंने कहा कि पाकिस्तान की दो तिहाई आबादी फॉल्ट लाइन पर बसी है. उन्होंने ये रिजल्ट निकाला कि 2005 और 2013 के भूकंपों के कारण देश को भारी जनहानि हुई थी, जो इस बीच, तुर्की और सीरिया में मरने वालों की संख्या 40 हजार के आसपास है, क्योंकि मरने वालों की संख्या हर बीतते घंटे के साथ बढ़ रही है.