Opposition On EC Proposal: चुनावी घोषणाओं को लेकर देश में चल रही चर्चा के बीच चुनाव आयोग (Election Commission) ने राजनीतिक पार्टियों (Political Parties) को एक संशोधन प्रस्ताव भेजा है. इस मामले पर विपक्षी पार्टियां (Opposition Parties) हमलावर हो गई हैं. विपक्षी पार्टियों ने इसे लोकतंत्र (Democracy) पर एक और हमला करार दिया है.
दरअसल, चुनाव आयोग ने मंगलवार को कहा कि राजनीतिक दल जनता को बताएं कि चुनावों के दौरान किए गए वादों को कैसे पूरा करेंगे? इसको लेकर आयोग ने आदर्श आचार संहिता में संशोधन का प्रस्ताव दिया है. इस प्रस्ताव के बाद राजनीतिक दलों को चुनावी वादों की वित्तीय व्यवहारिकता पर मतदाताओं को प्रमाणिक जानकारी देने के लिए कहा जा सकेगा. निर्वाचन आयोग ने सभी मान्यता प्राप्त राष्ट्रीय और राज्य स्तर के दलों को लिखे पत्र में 19 अक्टूबर तक प्रस्ताव पर अपने विचार पेश करने के लिए कहा है.
विपक्षी पार्टियों की प्रतिक्रिया
इस मामले पर कांग्रेस के महासचिव जयराम रमेश ने कहा है कि इससे चुनाव आयोग का कोई लेना देना नहीं है. ये राजनीतिक प्रतिस्पर्धा के सार और भावना के खिलाफ है. ये भारत के लोकतंत्र के ताबूत में एक और कील होगी. उन्होंने आगे कहा कि अगर ऐसा नौकरशाही दृष्टिकोण होता तो कोई भी कल्याणकारी और सामाजिक विकास योजना, जो दशकों से परिवर्तनकारी रही है, कभी भी वास्तविकता नहीं बन पाती.
टीएमसी
तो वहीं राज्यसभा में टीएमसी के सांसद डेरेक ओ ब्रायन ने इसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के फ्री की रेवड़ियों वाले बयान से जोड़ दिया. उन्होंने कहा कि यहां ये सब क्या चल रहा है. पहले प्रधानमंत्री प्रस्ताव करते हैं, बाद में चुनाव आयोग इसका निपटारा करता है. संविधान चुनाव आयोग को सबसे प्रतिष्ठित संस्थानों में से एक बनाता है, इसे ऐसा कुछ नहीं करना चाहिए जिससे इसकी विश्वसनीयता कम हो.
आरजेडी
राष्ट्रीय जनता दल के नेता मनोज सिन्हा ने कहा है कि चुनाव आयोग ऐसे इलाके में घुस रहा है जहां पर उसे नहीं घुसना चाहिए. चुनाव आयोग का ये निर्देश उस क्षेत्र पर अतिक्रमण है जो उसका है ही नहीं. ऐसे कई संस्थान हैं जो पिछले 7-8 सालों से अपने जनादेश को समझने में विपल रहे हैं.
समाजवादी पार्टी
समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय सचिव राजेंद्र चौधरी ने कहा कि ये साफ है कि सरकार बनाने वाले सभी दल कल्याणकारी उपायों पर बजट से प्रावधान करते हैं. चुनाव आयोग ऐसी चीजें लेकर आता है, जबकि स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराने की उसकी संवैधानिक जिम्मेदारी पर सवालिया निशान है.
बीजेडी
तो वहीं बीजेडी ने माना कि मुफ्त उपहार खतरनाक हो सकते हैं लेकिन ये भी कहा है कि चुनाव आयोग के पास संशोधन पेश करने का अधिकार नहीं हो सकता. बीजेडी के राज्यसभा सांसद प्रसन्ना आचार्य ने कहा कि पार्टियों को वादा पूरा करने के तरीके तलाशने होंगे. आचार्य ने कहा कि हालांकि, मैं मानता हूं कि राजनीतिक दलों को राज्य या देश की अर्थव्यवस्था को तबाह करने वाले मुफ्त उपहार देने का वादा नहीं करना चाहिए.
हालांकि अभी बीजेपी की तरफ इस मामले को लेकर कोई बयान नहीं आया है.
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