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Maharashtra Covid-19: साल 2021 में जब भारत के सभी अस्पताल कोविड -19 की डेल्टा लहर (Delta Wave) से जूझ रहे थे. इस दौरान देश की आर्थिक राजधानी महाराष्ट्र (Maharashtra) में होने वाली मौतों के ग्राफ में बीते साल की तुलना में अचानक उछाल आया था. यहां साल 2021 में सभी वजहों से होने वाली कुल मौतों की संख्या बीते साल 2020 से बढ़कर 20.47 फीसदी तक जा पहुंची थी. इस साल इस राज्य में साल 2020 की तुलना में 9.47 लाख अधिक मौतें हुईं. यह जानकारी सूचना के अधिकार अधिनियम (Right To Information Act) के तहत राज्य की नागरिक पंजीकरण प्रणाली-सीआरएस (Civil Registration System-CRS) से मिली जानकारी में सामने आई हैं.
महाराष्ट्र में डेल्टा वैरिएंट का तांडव
महाराष्ट्र में साल 2021 में कोविड-19 के डेल्टा वैरिएंट (Delta Variant) ने तांडव मचाया. राज्य में साल 2020 की तुलना में 2021 में सभी वजहों से होने वाली मौतों में 16.57 फीसदी से अधिक की बढ़ोतरी दर्ज की गई. साल 2020 में पूरे भारत में सभी कारणों से होने वाली मौतों का लगभग 10 फीसदी महाराष्ट्र में था. साल 2021 के तीन महीने यानी अप्रैल से लेकर जून में महाराष्ट्र में 37 फीसदी मौतें हुई हैं.
मतलब साल 2021 में सभी वजहों से होने वाली कुल मौतों में से एक तिहाई से अधिक मौतें इन तीन महीने में दर्ज की गई हैं. इन्हीं तीन महीनों में कोविड -19 से सबसे अधिक मौतें भी हुई और इसी दौर में कोविड-19 के डेल्टा वैरिएंट का सबसे अधिक प्रकोप भी देखा गया था. इस राज्य में इस साल हुई कोविड-19 से होने वाली कुल मौतों में अप्रैल-जून में सबसे अधिक मौतें दर्ज की गईं. पूरे साल हुई कोविड मौतों में से तीन-चौथाई मौतें जो 76.71 फीसदी से भी अधिक रहीं वो साल 2021 के अप्रैल से जून महीनों में हुईं.
साल 2021 में मुंबई रहा मौतों में अव्वल
अगर 2021 में सबसे अधिक मौतों की बात की जाए तो इस मामले में इस राज्य की राजधानी मुंबई (Mumbai) टॉप पर है. यहां राज्य की 11 फीसदी मौतें दर्ज की गई हैं. मुंबई में कुल1,08,113 मौतें हुई हैं, जबकि साल 2020 में यहां 1,11,942 मौतें दर्ज की गईं थीं. राज्य में सभी कारणों से होने वाली मौतों के एक महीने के विश्लेषण से पता चला है कि महामारी से पहले महीने में होने वाली मौतें औसतन लगभग 58,000 थी. जो बढ़कर 2020 में 67,398 और 2021 में 81,197 हो गई.
बीते साल यानी 2020 की तुलना में 2021 में सभी कारणों से होने वाली मौतों में सबसे अधिक मौतें पांच जिलों में दर्ज की गई हैं. यहां होने वाली मौतों में 43 फीसदी से लेकर 63 फीसदी तक का इजाफा देखा गया. ये जिले अर्ध-ग्रामीण (Semi-Rural) इलाकों में आते हैं. इनमें जलगांव (Jalgaon), सिंधुदुर्ग (Sindhudurg), नंदुरबार (Nandurba), अहमदनगर (Ahmednagar ) और यवतमाल (Yavatmal) जैसे सेमी रूरल इलाके शामिल रहे. इन इलाकों में सभी कारणों से होने वाली कुल मौतों का 12.5 फीसदी दर्ज किया गया. महाराष्ट्र में कोविड -19 से हुई कुल मौतों का 12 फीसदी इन जिलों में रहा.
महामारी से पहले कम थीं महीने में औसतन मौतें
महाराष्ट्र में सभी कारणों से होने वाली मौतों के एक महीने के विश्लेषण से पता चला है कि महामारी से पहले महीने में होने वाली औसतन मौतें लगभग 58,000 थी. जो 2020 में बढ़कर 67,398 और 2021 में 81,197 हो गई. वैश्विक स्तर पर हुए कई अध्ययनों में खुलासा हुआ है कि कोविड के बाद की स्थिति में खतरे बढ़े हुए हैं. जिन लोगों की मौत कोविड -19 की वजह से हुई है. उन लोगों में साफ तौर पर मौत की वजहों में कोविड होने की बात नहीं की गई है.
महाराष्ट्र में कोविड मृत्यु समिति के प्रभारी डॉ अविनाश सुपे (Dr Avinash Supe) ने कहा, “निश्चित रूप से, महाराष्ट्र में सभी कारणों से होने वाली मौतों में वृद्धि हुई है. इस डेटा में कोविड का प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष दोनों तरह का प्रभाव शामिल है जिसे विश्व स्तर पर देखा गया है.” हिंदुजा (Hinduja) अस्पताल के महामारी विशेषज्ञ और पल्मोनोलॉजिस्ट डॉ लैंसलॉट पिंटो (Dr Lancelot Pinto) ने कहा कि कोविड -19 महामारी जब चरम पर थी उस दौरान हेल्थ सिस्टम को उसकी हद तक बढ़ाया गया था.
उनका कहना है कि यह हो सकता है कि कई लोगों की मौत उस वक्त कोविड की वजह से नहीं बल्कि हेल्थ केयर सिस्टम तक देर से पहुंच पाने की वजह से हुई हो और कोविड टेस्ट से पहले ही उनकी मौत हो गई हो. डॉ पिंटो कहते है हो सकता है कि वो लोग टेस्ट करा ही न पाए हों. सांस लेने की प्रणाली के संक्रमण (Respiratory Tract Infection) वाले व्यक्तियों को दिल के दौरे और स्ट्रोक का अधिक खतरा रहता है. ये हो सकता है कि इन लोगों की मौत को इन्हीं कारणों से जोड़कर देखा गया हो. उनका कहना है कि उस वक्त हो सकता है कि उनकी मौत को सार्स-सीओवी-2 (SARS-CoV-2) से जोड़कर न देखा गया हो या फिर इसे रिपोर्ट करने के लिए अहम नहीं माना गया हो.
स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने यह भी नोट किया कि महामारी ने आबादी पर और अधिक असर डाला है. खासकर लंबे वक्त से सेहत संबधी दिक्कतों का सामना कर रहे लोगों के मामले में ये सही साबित होता है. गौरतलब है कि इस साल जून में एक अलग आरटीआई से मिली जानकारी की बात की जाए तो साल 2021 के पहले छह महीनों में मुंबई में हृदय (Heart) से संबंधित मौतों में छह गुना बढ़ोतरी देखी गई. कार्डियोलॉजिकल सोसाइटी ऑफ इंडिया -सीएसआई की दिशा-निर्देश समिति (Chairman of Guidelines Committee Of Cardiological Society Of India -CSI ) के अध्यक्ष इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजिस्ट डॉ प्रफुल्ल केरकर (Dr Prafulla Kerkar)ने कहा.”इन मौतों के लिए महामारी को दोष दिया गया, क्योंकि इसकी वजह से लोगों हार्ट अटैक का अंदेशा होने के बाद भी देर से अस्पताल पहुंच पाए थे. इसने मृत्यु दर को बढ़ा दिया.”
क्या कहता है सीआरएस का विश्लेषण
कोविड-19 (COVID-19) में साइटोकाइन रिलीज सिंड्रोम-सीआरएस (Cytokine Release Syndrome- CRS) बीमारी और मृत्यु दर को बताता है. सीआरएस के जिलेवार विश्लेषण से मिले आंकड़ों से पता चला है कि महाराष्ट्र के 36 जिलों में से 22 में औसतन मौतों में बढ़ोतरी दर्ज की गई. जलगांव में मौतों में सबसे अधिक 45 फीसदी की वृद्धि देखी गई. साल 2020 में इस जिले में सभी कारणों से होने वाली मौतों की संख्या 23,458 थी. साल 2021 में बढ़कर 38,121 हो गईं. इसमें से केवल 1,267 या 3.3 फीसदी मौतें कोविड -19 हुई थीं.
इसके बाद एक अन्य ग्रामीण जिले सिंधुदुर्ग में 2020 में सभी कारणों से होने वाली मौतों की संख्या 6,539 थीं, जो 2021 में बढ़कर 10,300 हो गईं. हालांकि, यहां कोविड -19 से हुई मौतों की संख्या 1,304 रही जो कुल मौतों की 34.67 फीसदी थीं.राज्य में सबसे अधिक आदिवासी आबादी वाले जिले नंदुरबार में मौतों में 46.70 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई. क्योंकि 2020 में सभी कारणों से होने वाली मृत्यु संख्या 10,068 से बढ़कर 2021 में 14,770 तक पहुंच गई. इस साल हुई 4,702 अतिरिक्त मौतों में से 778 या 16.52 फीसदी कोविड-19 से हुई थीं.
संयोग से इन सभी छोटे जिलों में कोविड मामले की मृत्यु दर-सीएफआर (Covid Case Fatality Rate -CFR) राज्य में आई दूसरी लहर में औसतन 1.81 फीसदी अधिक रहा था. साल 2020 में मुंबई का सीएफआर 4.06 फीसदी था जो घटकर 1.40 फीसदी रह गया. लेकिन सिंधुदुर्ग,उस्मानाबाद जैसे छोटे जिलों में सीएफआर 3 फीसदी से अधिक रहा था. डॉक्टर ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में सभी वजहों से होने वाली मौतों की संख्या में असमानता के पीछे कई कारकों को जिम्मेदार ठहराते हैं. इन कारकों में क्रिटिकल केयर बेड, सुपर स्पेशियलिटी सेवाएं. उन्नत नैदानिक सुविधाएं में कमी और उनका तेजी से मुहैया न होना शामिल है.
कोविड-19 टास्क फोर्स के सदस्य रहे और क्रिटिकल केयर सर्विसेज, नानावती अस्पताल के निदेशक डॉ अब्दुल समद अंसारी (Dr Abdul Samad Ansari) ने बताया, “मुंबई जैसे शहरों में प्रति 1,000 लोगों पर लगभग दो क्रिटिकल केयर बेड थे. कई ग्रामीण इलाकों में लगभग 2,500-3,000 लोगों के लिए केवल एक क्रिटिकल केयर बेड उपलब्ध था. अगर सही से देखा जाए तो इस क्षेत्र में इंटेंसिव केयर यूनिट बेड की उपलब्धता का ग्राफ इस राज्य में केस मृत्यु दर (Case Fatality Rate) के समानांतर चल रहा था.”
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