कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज और हॉस्पिटल की ट्रेनी महिला डॉक्टर के रेप और मर्डर केस पर मंगलवार (20 अगस्त, 2024) को सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़ ने अस्पताल और ममता बनर्जी सरकार को फटकार लगाई. उन्होंने मामले में प्रशासन के लापरवाही भरे रवैया पर भी सवाल उठाए. सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा कि जमीनी स्तर पर बदलाव के लिए एक और बलात्कार का इंतेजार नहीं कर सकते हैं.
चीफ जस्टिस चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच मामले पर सुनवाई कर रही थी. मुख्य न्यायाधीश चंद्रचूड़ ने कहा कि अब वर्क प्लेस पर महिलाओं की संख्या बढ़ती जा रही है. ऐसे में देश जमीनी बदलाव के लिए एक और बलात्कार होने का इंतेजार नहीं कर सकता है. उन्होंने कहा कि मौजूदा अधिनियम डॉक्टरों और मेडिकल वर्कर्स के लिए संस्थागत सुरक्षा मानकों को पर्याप्त रूप से संबोधित नहीं करते हैं.
सीजेआई चंद्रचूड़ ने एफआईआर में देरी को लेकर आरजी मेडिकल कॉलेज के पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष को लेकर भी सवाल उठाए. उन्होंने कहा, ‘ऐसा लगता है कि इस क्राइम के बारे में सुबह ही पता चल गया था, लेकिन प्रिंसिपल इसको आत्महत्या बताकर टालने की कोशिश कर रहे थे. उन्होंने पीड़िता के माता-पिता को भी उसकी बॉडी नहीं देखने दी. मर्डर की कोई एफआईआर भी नहीं दर्ज की गई.’
इस पर ममता बनर्जी सरकार की ओर से पेश हुए सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल ने कहा, ‘ऐसा नहीं है और जैसे ही पता चला कि यह एक मर्डर है तो तुरंत एफआईआर दर्ज कर दी गई.’ सीजेआई चंद्रचूड़ ने अस्पताल के रवैये पर सवाल उठाते हुए कहा कि जब महिला डॉक्टर के माता-पिता वहां मौजूद नहीं थे तो हॉस्पिटल की जिम्मेदारी थी कि वह एफआईआर दर्ज करवाए.
जस्टिस चंद्रचूड़ ने पूछा कि महिला डॉक्टर के अंतिम संस्कार के लिए बॉडी कब माता-पिता को दी गई. कपिल सिब्बल ने कहा कि रात को साढ़े आठ बजे. सीजेआई ने आगे पूछा कि एफआईआर रात को 11.45 पर दर्ज की गई, यानी बॉडी हैंड ओवर करने के तीन घंटे बाद. ऑटोप्सी दोपहर 1.45 से 4 बजे के बीच हुई, जिसमें साफ हो गया कि महिला डॉक्टर का मर्डर हुआ है, फिर भी रात को 11.45 पर क्यों एफआईआर दर्ज कराई गई? प्रिंसिपल और हॉस्पिटल क्या कर रहे थे? पीड़िता के माता-पिता वहां मौजूद नहीं थे इसलिए ये हॉस्पिटल की ड्यूटी थी कि एफआईर दर्ज करवाए.
कपिल सिब्बल ने इस पर जवाब दिया, ‘बॉडी के फोटो लिए जा रहे थे और तुरंत अननैचुरल डेथ का केस शुरू किया गया. हमने एक बोर्ड बनाया और ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट को भी उपस्थित रहने के लिए कहा गया था.’ सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान 15 अगस्त की रात हॉस्पिटल में प्रदर्शन कर रहे डॉक्टरों पर भीड़ के हमले को लेकर भी चिंता जताई और डॉक्टरों की सेफ्टी के लिए कड़े इंतेजाम करने के लिए कहा है. साथ ही कोर्ट ने डॉक्टरों से काम पर वापस लौटने को कहा है.