Kerala Kudumbashree Mission Row: केरल सरकार (Kerala Govt) के कुटुंबश्री मिशन (Kudumbashree Mission) ने ऐसी खबरों का खंडन किया है, जिनमें कहा गया है कि संपत्ति में महिलाओं के समान अधिकार ( Equal Rights for Women in Property) की मांग वाले संकल्प को उसने वापस ले लिया है. कुछ मुस्लिम संगठन राज्य सरकार के इस मिशन का विरोध कर रहे हैं. वे इसे शरिया कानून के सिद्धांतों का विरोधी (Anti Sharia) बता रहे हैं.
टीओआई की रिपोर्ट के मुताबिक, कुटुंबश्री मिशन के जरिये करीब महीनेभर से लैंगिक न्याय अभियान के माध्यम से महिलाओं के लिए समान संपत्ति अधिकार की वकालत की जा रही है. केरल में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी की सरकार ने 1998 में कुटंबश्री मिशन की शुरुआत की थी. यह मिशन पूरी तरह से महिलाओं पर आधारित है. मिशन के जरिये ‘गरीबी हटाओ’ और महिला सशक्तिकरण संबंधी कार्य किए जाते हैं.
कुटुंबश्री मिशन का उद्देश्य
इस मिशन के जरिये स्थानीय प्रशासन के नेतृत्व में सामुदायिक कार्य किए जाते हैं ताकि महिलाओं को रोजगार मिले और उनके जरिये समाज में गरीबी पर प्रहार किया जा सके. मुख्य उद्देश्य यह है कि इस मिशन के जरिये महिलाओं को सशक्त किया जाए, फिर उनके माध्यम से परिवार और परिवार के माध्यम से समुदाय को मजबूत किया जाए.
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ऐसी खबरें आई थीं कि कुटुंबश्री ने ‘नई चेतना’ नामक अपने अभियान के दौरान महिला स्वयंसेवकों को रोक दिया है कि वे समान संपत्ति अधिकार की मांग का वाला संकल्प न दोहराएं.
कुटुंबश्री के कार्यकारी निदेशक ने यह कहा
कुटुंबश्री के कार्यकारी निदेशक जफर मलिक ने रविवार (4 दिसंबर) की शाम एक विज्ञप्ति में स्पष्ट किया कि संकल्प वापस लेने संबंधी मीडिया रिपोर्ट्स झूठी हैं. रिपोर्ट के मुताबिक, इससे पहले कुटुंबश्री के जिला-स्तरीय अधिकारियों ने अनौपचारिक रूप से आस-पड़ोस के समूहों को कहा था कि समान संपत्ति के अधिकार का संकल्प स्थगित कर दिया जाए.
विरोध जताने वाले संगठनों का क्या कहना है?
मुस्लिम संगठनों ने पुरुषों और महिलाओं के पारिवारिक संपत्ति पर समान अधिकार वाली बात पर आपत्ति जताई है. सुन्नी नेता नजर फैजी कूडातयी ने कहा है कि पारिवारिक संपत्ति में समान अधिकार वाली बात शरिया में निर्धारित मुसलमानों के मौलिक अधिकारों और कानून के सिद्धांतों के खिलाफ है.
केरल बीजेपी का रुख
मामले को लेकर सियासत भी गरमा गई है. रविवार को ही केरल बीजेपी अध्यक्ष के सुरेंद्रन ने मीडया रिपोर्ट्स के हवाले से कुटुंबश्री के कथित संकल्प निलंबन के बारे में बयान देते हुए कहा था था कि यह साबित करता है कि कट्टरपंथी ताकतें प्रशासन को नियंत्रित कर रही है.
रिपोर्ट में कहा गया है कि कुटुंबश्री के कोझिकोड के मिशन को-ऑर्डिनेटर गिरीसन पीएम ने जानकारी दी थी कि उन्होंने स्थानीय इकाइयों को आदेश दिया था कि फिलहाल समान अधिकार वाले संकल्प को न दोहराया जाए. टीओआई के मुताबिक, गिरीसन ने कहा था, ”संकल्प ने कई जगहों पर विवाद खड़ा कर दिया है, इसलिए हमने अयालकुट्टम (केरल के एक स्थानीय समूह) से कहा है कि वे इस समय संकल्प की बात न उठाए.”