कर्नाटक हाईकोर्ट ने एक महिला के साथ कथित छेड़खानी के सिलसिले में उसके पति और एक ज्योतिषी के खिलाफ आपराधिक कार्यवाही को खारिज करने से इनकार कर दिया. हाईकोर्ट ने महिला के पति दीपा दर्शन एच पी और मोहनदास उर्फ श्रीवारामू (ज्योतिषी) की याचिकाएं खारिज कर दी. इन दोनों ने हाईकोर्ट से भादंसं की विभिन्न संबंधित धाराओं के तहत उन पर लगाये गये आरोपों को खारिज करने का अनुरोध किया था.
इस मामले में जो धाराएं लगाई गई हैं वे 498 ए (किसी महिला के पति या पति के रिश्तेदार द्वारा उसके साथ क्रूरता करना), 354 (महिला का शील भंग करने के इरादे से उस पर हमला या आपराधिक बल का प्रयोग करना), 354 ए (यौन उत्पीड़न और यौन उत्पीड़न के लिए दंड) और 508 (किसी व्यक्ति को यह विश्वास दिलाना कि वह दैवीय नाराजगी का पात्र बन जाएगा) हैं.
मामला यह है कि महिला के कुंडली दोष का निवारण करने के लिए पूजा की आड़ में ज्योतिषी ने अनुचित ढंग से उसे स्पर्श किया था. महिला को उसका पति ज्योतिषी के पास ले गया था और इस घटना के बाद उसने महिला को इसके बारे में किसी को नहीं बताने की धमकी दी.
पति की दलील थी कि उसके खिलाफ 2018 में भादंसं की धारा 498 ए के तहत एक शिकायत दर्ज करायी गयी थी और वर्तमान शिकायत, जो 2019 में दर्ज करायी गयी, को अनुमति नहीं दी जा सकती क्योंकि इसका संबंध उन्हीं आरोपों से है. उसने यह भी दावा किया कि चूंकि शिकायतकर्ता 2018 से उससे अलग रह रही है इसलिए नयी शिकायत का कोई आधार नहीं है. उसने यह भी कहा कि शादी खत्म करने संबंधी याचिका यहां पारिवारिक अदालत में लंबित है.
लेकिन शिकायतकर्ता के वकील ने दलील दी कि वर्तमान मामले में आरोप पिछले मामले के आरोपों से भिन्न हैं. ज्योतिषी पर विधि-विधान कराने के नाम पर शिकायतकर्ता के साथ छेड़खानी करने का आरोप है जबकि पति ने उसे (ज्योतिषी को) ऐसा करने से रोकने के लिए कथित रूप से कुछ नहीं किया. उल्टे उसने शिकायतकर्ता को ही विरोध नहीं करने की चेतावनी दी.