Hormone Imbalance: हॉर्माेन किसी भी व्यक्ति की बॉडी को बैलेंस और उसक संचालन में अहम भूमिका निभाते हैं. हॉर्माेनल डिसबैलेंस होने पर कई तरह की दिक्कतें फेस करनी पड़ती हैं. अब ऐसा ही हॉर्माेन सामने आया है कि जो भविष्य वक्ता माना जा रहा है. यानि पुरुषों में पाया जाने वाला यह हॉर्माेन उनको भविष्य में होने वाली बीमारियों के बारे में भी बता देता है. इसको लेकर रिसर्च की गई. रिसर्च में हॉर्माेन की इंपोर्टेंस सामने आई.
बॉडी में INSL3 हार्माेन का महत्व
भविष्य में हो सकने वाली बीमारियों को बताने वाले हॉर्माेन का नाम INSL3 है. नॉटिंघम विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने इसपर एक रिसर्च की. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, शोधकर्ताओं ने बताया कि टीम ने ब्रिटेन समेत यूरोप के उत्तर, दक्षिण, पूर्व और पश्चिम में फैले आठ क्षेत्रीय केंद्रों के 3,000 पुरुषों के ब्लड सैंपल जांचे. सैंपलों की जांच भी दो बार की गई. जांच में सामने आया कि टेस्टोस्टेरोन से अलग लोगों में आईएनएसएल 3 का लेवल स्थिर रहा. सामान्य पुरुष आबादी में इस हॉर्माेन की सांद्रता में 10 गुना से अधिक उतार-चढ़ाव देखा गया. देख गया कि इस हॉर्माेन का युवा अवस्था में और उम्र बढ़ने के साथ स्थिर ही होना चाहिए. लेकिन यदि इस हॉर्माेन का लेवल गिर रहा है तो कई बीमारियों की चपेट में आने की संभावना बढ़ जाती है.
क्यों की गई रिसर्च
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हॉर्माेन को लेकर लगातार रिसर्च की जा रही है. शोध को लेकर जानकारों का कहना है कि उम्र के साथ दिव्यांगता और बीमारियां लोगों में होने लगती हैं. इन बीमारियों के विकसित होने के पीछे कई तरह के हॉर्माेनल डिसबैलेंस होते हैं. कई बार गंभीर बीमारियां लोगों को अपनी चपेट में लेती हैं. इस रिसर्च की मदद से यही देखने की कोशिश की गई है कि आखिर बीमारियां लोगों को होती क्यों हैं. कैसे लोग लंबा और हेल्दी जीवन जी सकते हैं. उम्र से संबंधित बीमारियों की बात करें तो हड्डियां कमजोर होना, हार्ट डिजीज, सेक्सुअल प्रॉब्लम, हाइपरटेंशन और मेंटल बीमारियां घर करने लगती हैं. इनका संबंध भी हॉर्माेन से देखा जा रहा है.
कैसे कम होगा हॉर्माेन
साइंटिस्ट का कहना है कि यह पता चल गया है कि हॉर्माेन किसी व्यक्ति की बॉडी में बीमारी के बारे में बताता है. उसे भविष्य में कौन सी गंभीर बीमारी हो सकती है. वैज्ञानिक यह पता करने की कोशिश रहे हैं कि अलग-अलग लोगों में हॉर्माेन में अंतर क्या है? कौन से ऐसे कारक हैं जो INSL3 3 पर प्रभाव डालते हैं. वैज्ञानिकों की प्राइमरी जांच में सामने आया है कि शुरुआती जीवन का खानपान इस हॉर्माेन की स्थिति बताता है.
Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. किसान भाई, किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.
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