India Did Not Participate In Voting For Sri Lanka The Adoption Of The Resolution On Promoting Reconciliation And Statement In UNHRC Geneva | DNP- Sri Lanka Crisis: UNHRC के प्रस्ताव पर भारत ने नहीं की वोटिंग, श्रीलंका बोला

UNHRC Resolution: जिनेवा में संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद(UNHRC) ने श्रीलंका में सुलह, जवाबदेही और मानवाधिकारों को बढ़ावा देने के लिए एक मसौदा प्रस्ताव को स्वीकार किया लेकिन इस दौरान भारत ने मतदान में भाग नहीं लिया.

हिंदुस्तान ने वोटिंग में भाग नहीं लेते हुए जोर दिया कि वह श्रीलंका के तमिलों की वैध आकांक्षाओं और सभी श्रीलंकाई लोगों की समृद्धि से संबंधित उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए श्रीलंका और अंतरराष्ट्रीय समुदाय के साथ काम करेगा. जिनेवा में हुए मानवाधिकार परिषद के 51वें सत्र में ‘श्रीलंका में सुलह, जवाबदेही और मानवाधिकारों को बढ़ावा देना’ के संबध में मसौदा प्रस्ताव स्वीकार किया गया.

47 सदस्यीय परिषद में 20 देशों ने मसौदा प्रस्ताव के पक्ष में मतदान किया जबकि चीन और पाकिस्तान समेत सात देशों ने इसके खिलाफ वोट दिया और भारत, जापान, नेपाल तथा कतर इससे गैर हाजिर रहे. प्रस्ताव के पक्ष में वोट करने वालों में ब्रिटेन, अमेरिका, अर्जेंटीना, फिनलैंड, फ्रांस, जर्मनी, मैक्सिको और नीदरलैंड समेत अन्य देश हैं.

इसको स्वीकार करने के दौरान एक बयान में संयुक्त राष्ट्र एवं अन्य अंतरराष्ट्रीय संगठनों में भारत के स्थायी प्रतिनिधि राजदूत इंद्रामणि पांडे(Indramani Pandey) ने कहा कि भारत ने श्रीलंका के 13वें संविधान संशोधन की भावना के अनुसार प्रतिबद्धताओं के कार्यान्वयन, सार्थक हस्तांतरण और जल्द प्रांतीय चुनाव कराने के मुद्दों पर वहां की सरकार द्वारा की गई प्रतिबद्धताओं का संज्ञान लिया है हालांकि ‘हम मानते हैं कि इस दिशा में की गई प्रगति नाकाफी है.’ भारत ने श्रीलंका से इन प्रतिबद्धताओं के शीघ्र कार्यान्वयन की दिशा में सार्थक कार्य करने का आग्रह किया.

भारत ने क्या कहा?
स्थायी प्रतिनिधि राजदूत इंद्रामणि पांडे ने कहा, “सभी श्रीलंकाई लोगों के लिए समृद्धि प्राप्त करना और श्रीलंका के तमिलों की समृद्धि, गरिमा और शांति की वैध आकांक्षाओं को साकार करना एक ही सिक्के के दो पहलू हैं.” उन्होंने कहा कि पड़ोसी होने के नाते भारत ने 2009 के बाद श्रीलंका में राहत, पुनर्वास और पुनर्निर्माण प्रक्रिया में महत्वपूर्ण योगदान दिया है. साथ ही बताया कि श्रीलंका में शांति और सुलह के प्रभावी और स्थायी समाधान की तलाश में, भारत ने हमेशा दो मूल सिद्धातों का पालन किया जिसमें तमिलों की समानता, न्याय, गरिमा और शांति के लिए आकांक्षाओं का समर्थन और श्रीलंका की एकता, क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुत्ता की हिमायत शामिल है.

‘संप्रभुता का हुआ उल्लंघन’
इस प्रस्ताव की महत्वपूर्ण विशेषता यह है कि इसमें श्रीलंका के मौजूदा आर्थिक संकट की जांच करने और जिम्मेदार लोगों पर मुकदमा चलाने की मांग की गई है. श्रीलंका में सुलह, जवाबदेही और मानवाधिकारों को बढ़ावा देने संबंधी प्रस्तावों को 2012, 2013, 2014, 2015, 2017, 2019 और 2021 में भी लाया गया था. श्रीलंका सरकार ने इनका विरोध किया है और इन्हें अपनी संप्रभुता का उल्लंघन बताया है. श्रीलंका सरकार के आंकड़ों के अनुसार, उत्तर और पूर्व में श्रीलंकाई तमिलों के साथ तीन दशक तक चले युद्ध सहित विभिन्न संघर्षों के कारण 20,000 से अधिक लोग लापता हैं. इस युद्ध में कम से कम एक लाख लोग मारे गए थे.

यह भी पढ़ें-

India-Sri Lanka Relation: राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे बोले- भारत के साथ व्यापार समझौते को और बेहतर बनाएगा श्रीलंका

सुब्रमण्यम स्वामी ने की श्रीलंका के पूर्व राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे से मुलाकात, भारत-श्रीलंका के संबंधों को लेकर हुई चर्चा

Source link

By jaghit

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

%d bloggers like this: