Shashi Tharoor Advice For S Jaishankar: कांग्रेस नेता और तिरुवनंतपुरम से लोकसभा सांसद शशि थरूर (Shashi Tharoor) ने सोमवार (3 अप्रैल) को केंद्रीय विदेश मंत्री एस जयशंकर (S Jaishankar) से थोड़ा ‘कूल’ (शांत) रहने का आग्रह किया. हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि वह जयशंकर को लंबे समय से जानते हैं और दोस्त की तरह मानते हैं. थरूर ने ये बातें पश्चिमी देशों को लेकर विदेश मंत्री की ओर से की गई टिप्पणी पर कहीं.
दरअसल, कांग्रेस नेता राहुल गांधी की संसद सदस्यता रद्द होने के मामले में जर्मनी और अमेरिका से भी टिप्पणियां आई हैं. विदेश मंत्री एस जयशंकर से इस बारे में एक कार्यक्रम में सवाल पूछा गया था. विदेश मंत्री के जवाब के बाद कांग्रेस नेता शशि थरूर का बयान आया.
क्या कहा शशि थरूर ने?
कांग्रेस ने शशि थरूर ने कहा, ”मैं उन्हें (एस जयशंकर) लंबे वक्त से जानता हूं और उन्हें एक दोस्त की तरह मानता हूं लेकिन इस मुद्दे पर मुझे लगता है कि हमें संकुचित होने की जरूरत नहीं है. मुझे लगता है कि यह बहुत महत्वपूर्ण है कि एक सरकार के रूप में हम किसी चीज से शांत तरीके से निपटते हैं. अगर हम हर टिप्पणी पर प्रतिक्रिया देते हैं तो खुद का नुकसान कर रहे हैं. मैं अपने दोस्त जय से पुरजोर आग्रह करूंगा कि थोड़ा कूल (शांत) हो जाएं.”
#WATCH | We need not be so thin-skinned, I think it’s very important that as govt we take something in stride. If we react to every comment, we are doing ourselves a disservice. I will strongly urge EAM Jaishankar to cool a little bit: Shashi Tharoor on EAM’s “West has a bad… pic.twitter.com/2DtYLWspMO
— ANI (@ANI) April 3, 2023
क्या कहा था विदेश मंत्री जयशंकर ने?
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने रविवार (2 अप्रैल) को कहा था कि पश्चिमी देशों को लंबे समय से दूसरों पर टिप्पणी करने की ‘बुरी आदत’ रही है और वे सोचते हैं कि अन्य देशों के आंतरिक मामले में उनके पास बोलने का ‘ईश्वर प्रदत्त अधिकार’ है. बेंगलुरु के कब्बन पार्क में 500 से ज्यादा युवा मतदाताओं, जॉगर्स और आगंतुकों के साथ बेंगलुरु दक्षिण के सांसद तेजस्वी सूर्या और बेंगलुरु मध्य के सांसद पीसी मोहन की ओर से आयोजित ‘मीट एंड ग्रीट’ कार्यक्रम के दौरान जयशंकर ने यह बात कही थी.
कांग्रेस नेता राहुल गांधी को लोकसभा की सदस्यता से अयोग्य ठहराये जाने को लेकर जर्मनी और अमेरिका की टिप्पणी से संबंधित एक सवाल का जवाब देते हुए विदेश मंत्री ने कहा, ‘‘(इसके) दो कारण हैं. ऐसा इसलिए है क्योंकि पश्चिम में लंबे समय से दूसरों पर टिप्पणी करने की बुरी आदत है. वे यही सोचते हैं कि ऐसा (दूसरों पर टिप्पणी) करना किसी न किसी रूप में उनका ‘ईश्वर-प्रदत्त अधिकार’ है. उन्हें केवल अनुभव से सीखना होगा कि अगर आप टिप्पणी करना जारी रखते हैं तो आपके खिलाफ दूसरे भी टिप्पणी करना शुरू कर देंगे और ऐसा अगर होता है तो उन्हें पसंद नहीं आएगा. मैं देख रहा हूं कि ऐसा हो रहा है.’’
‘…सच्चाई का दूसरा पहलू यह है’
विदेश मंत्री ने कहा था, ”हमारे हिसाब से सच्चाई का दूसरा पहलू यह है कि आप लोगों को अपने ऊपर टिप्पणी करने के लिए आमंत्रित कर रहे हैं. फिर अधिक से अधिक लोग टिप्पणी करने को उत्सुक हैं. हमें दुनिया को यह कहते हुए उदार निमंत्रण देना बंद करना होगा कि भारत में समस्याएं हैं और अमेरिका और यूरोप आप चुपचाप क्यों खड़े हैं और कुछ क्यों नहीं कर रहे हैं?”
विदेश मंत्री ने कहा, ‘‘अगर यहां से (वहां) कोई जाता है और कहता है कि ‘आप चुपचाप क्यों खड़े हैं और कुछ क्यों नहीं कह रहे हैं’ तो जाहिर है कि वे टिप्पणी करेंगे. समस्या का हिस्सा वे हैं, समस्या का हिस्सा हम भी हैं और मुझे लगता है कि दोनों को ठीक किए जाने की जरूरत है.’’