Corona In Fruit: कोरोना ने 2 साल तक भारत में कहर बरपाया. मार्च 2020 में दस्तक देने के बाद पूरे देश में लॉकडाउन लग गया. लोग घरों में कैद होने को मजबूर हो गए. वायरस गूगल पर टॉप सर्चिंग में आ गया. आज भी इस वायरस की चपेट में आए लोग कराह रहे हैं. लेकिन एक कोरोना केला की फसलों को भी लगा है. हालांकि इंसानों में हुए कोरोना और केले की फसल में लगे कोरोना में जमीन आसमान का अंतर है. कोरोना की वजह से देश के कई राज्यों में किसान इस फसल से मुंह मोड़ रहे हैं.
पनामा विल्ट रोग को कहते हैं कोरोना
इंडिया में सबसे पहले बोनी प्रजाति के केले में वर्ष 2015 में पनामा विल्ट रोग मिला था. यह रोग बिहार के कटिहार जिले में पाया गया. फिलहाल यह बीमारी केले की हर प्रजाति को अपनी चपेट में ले रही है. पनामा विल्ट रोग क्यूवेन्स नामक फफूंद के कारण होता है. इसे केले का ‘कोरोना रोग’ कहा जाता है. यदि एक बार किसी फसल में लग जाए तो करीब 40 साल तक वहां की मिट्टी में जिंदा रह सकता है. यह रोग पूरे केले को खत्म कर देते हैं.
देश के कई स्टेट में बनी है समस्या
पनामा विल्ट रोग India ही नहीं world में फैला हुआ है. देश में यह तमिलनाडु, आन्ध्रप्रदेश, केरल, बिहार ओडिसा, पश्चिम बंगाल समेत अन्य स्टेट में बड़े पैमाने पर हो रहा है. राज्यों में यह रोग बड़े पैमाने पर पाया गया है. इस बीमारी की वजह से बिहार, मध्यप्रदेश, गुजरात व अन्य राज्यों में किसान केले की बागवानी छोड़ रहे हैं. उन्होंने हल्दी, मक्का, गन्ना, गेहूं जैसी फसलें बोनी शुरू कर दी हैं. इस रोग में पत्तियां पीली पड़कर मुरझा जाती हैं. मुख्य तना सड़कर नीचे गिर जाता है. इसके बचाव के लिए कृषि विशेषज्ञों से सलाह लेकर कीटनाशकों का छिड़काव भी फसल में कर सकते हैं.
रोग होने पर केले को जला दें
कृषि विशेषज्ञ बताते हैं कि पनामा विल्ट रोग केले का गंभीर रोग है. एक बार होने पर इसका खत्म होना मुश्किल है. फिर कुछ उपाय कर इस रोग के प्रभाव को काफी कम किया जा सकता है. यदि कोई केला इस रोग से मर जाए तो उसे तुरंत जला देना चाहिए या अन्य पौधों की पैदावार निकालने तक वेट करें. इन्फेक्टेड पौधों को उखाड़कर खेत या सिंचाई चैनल में नहीं रखें. अगर ऐसा नहीं किया तो यह दूसरी फसलों को संक्रमित कर सकता है.
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