गंगा दशहरा 2023 गंगा ने अपने 7 पुत्रों को राजा शांतनु से विवाह के लिए रखा था

गंगा दशहरा 2023: हिंदू धर्म में गंगा नदी को मां का स्थान प्राप्त है. हर साल ज्येष्ठ महीने के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को गंगा दशहरा का पर्व मनाया जाता है. इस साल गंगा दशहरा 30 मई को है. मान्यता है कि इसी दिन मां गंगा पृथ्वी पर अवतरित हुईं थी.

मां और संतान का रिश्ता दुनिया का सबसे अटूट और खूबसूरत रिश्ता होता है. मां के लिए उसकी संतान तो पूरे संसार के समान होती है. इसलिए तो बच्चे को लगी एक छोटी सी चोट मां के लिए पीड़ा होती है. मां के प्रेम को शब्दों में बयां करना संभव नहीं है.

लेकिन पौराणिक काल से जुड़ी एक कहानी को जानकर आप हैरान रह जाएंगे, जिसमें मां गंगा ने अपने 7 नवजात संतानों की हत्या कर दी. गंगा नदी को मां का दर्जा प्राप्त है और इसे शुभ व पवित्र नदी माना जाता है. लेकिन महाभारत के अनुसार मां गंगा ने अपने 7 संतानों को नदी में बहाकर हत्या कर दी थी. आइये जानते हैं मां गंगा से जुडी इस पौराणिक कथा के बारे में.

धर्म रीलों

गंगा ने क्यों कर दी अपने 7 संतानों की हत्या

राजा शांतनु को मां गंगा से प्रेम हो गया था और शांतनु ने उनसे विवाह की इच्छा जताई. मां गंगा भी इसके लिए मान गई. लेकिन राजा के सामने मां गंगा ने यह शर्त रखी कि वह अपनी इच्छा के अनुसार रहेगी और उन्हें कोई रोका-टोकी नहीं करेगा. अगर उन्हें किसी कारण रोका-टोका गया तो वह राजा शांतनु को छोड़कर चली जाएगी. राजा गंगा से प्रेम करता था इसलिए उसने उनकी यह शर्त भी मान ली और वचन दिया कि वो कभी गंगा को किसी बात पर नहीं रोकेंगे. लेकिन बाद में गंगा को दिया यही वचन उनके लिए मुसीबत बन गया.

जब गंगा और शांतनु का विवाह हुआ तो गंगा गर्भवती हुई. लेकिन शिशु को जन्म देने के बाद गंगा हर नवजात शिशु को नदी में बहा देती थी. इस तरह से गंगा ने अपने 7 पुत्रों को नदी में बहाकर हत्या कर दी. राजा शांतनु ने मां गंगा को वचन दिया था कि वह कभी किसी बात को लेकर उनसे प्रश्न नहीं करेंगे. इसलिए वो गंगा से कुछ नहीं कह पाते थे. वो अकेले में रोते थे और विलाप करते थे और बिना कोई प्रश्न किए एक विवश मछली की तरह तड़प रहे थे.

8वां पुत्र होने पर शांतनु ने गंगा से किया प्रश्न

7 संतानों को नदी में बहाने के बाद गंगा ने 8वें पुत्र को जन्म दिया. उसे भी गंगा बहाने के लिए नदी की ओर ले जा रही थी. शांतनु भी गंगा के पीछे-पीछे जा रहे थे. जैसे ही गंगा 8वें संतान को नदी में बहाने वाली थी कि शांतनु ने उन्हें रोक लिया और कहा कि अब उनसे यह सहन नहीं होता. तब गंगा ने कहा कि आप वचनबद्ध हैं. राजा ने कहा कि, जिसने तुम्हें वचन दिया था वह चंद्रवंशी राजा था और आज जो तुम्हें रोक रहा है वह पिता है. तुमने एक-एक कर मेरे सातों पुत्रों की हत्या कर डाली लेकिन अब मैं तुम्हें अपने आठवें संतान की हत्या करने नहीं दूंगा. आखिर तुम ऐसा क्यों कर रही हो?

गंगा ने बताई संतानों की हत्या करने की वजह

गंगा ने शांतनु से कहा कि मैं अपने संतानों की हत्या नहीं कि बल्कि उन्हें श्रापमुक्त किया है. मैं स्वर्ग में रहने वाली ब्रह्मापुत्री गंगा आपके साथ यहां धरती पर एक श्राप के साथ रह रही हूं. गंगा ने शांतनु से कहा कि, पिछले जन्म में महाराज महाभिषक थे, जोकि एक दिन स्वर्ग में देवताओं के साथ इंद्रलोक में आए थे. तभी मैं (गंगा) और मेरे पिता (ब्रह्मा देव) वहां पहुंचे. महाराज महाभिषक मेरी सुंदरता देखकर मोहित हो गए और मैं भी उनमें खो गई. यह देखकर ब्रह्म देव को गंगा और महाभिषक पर क्रोध आ गया, जिसके बाद उन्होंने माहभिषक और गंगा दोनों को मनुष्य के रूप में जन्म लेने का श्राप दे दिया.

इतना सुनते ही शांतनु ने कहा कि, क्या हमारी सभी संतानें भी उसी श्राप का हिस्सा हैं. तब मां गंगा ने कहा कि, नहीं आर्यपुत्र आपके आठों संतान तो वसु हैं. वरिष्ठ ऋषि के गाय को चुराने पर ऋषि ने उन्हें धरती पर जन्म लेने के लिए श्राप दिया था. तब मैंने ही ऋषि वरिष्ठ को वचन दिया था कि मैं अपनी कोख से इन्हें जन्म दूंगी और इसके बाद मृत्यु लोक से उन्हें मुक्ति दिलाऊंगी. लेकिन आपने जिस आठवें पुत्र को आज मृत्यु से बचाया है, उसे धरती पर रहकर श्राप भोगना पड़ेगा. क्योंकि चोरी में इसी का मुख्य हाथ था.

भीष्म पितामह थे गंगा और शांतनु के 8वें पुत्र

गंगा और शांतनु का यह आठवां पुत्र और कोई नहीं बल्कि देवव्रत था जोकि अपनी प्रतिज्ञा के कारण भीष्म पितामह कहलाए. भीष्म पितामह को कोई सांसापरिक सुख की प्राप्ति नहीं हुई और इन्हें जीवन से लेकर मृत्यु तक बहुत कष्ट झेलना पड़ा.

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By jaghit