Saamana Editorial On BJP Muslim Love Claims Pootna Mausi Uddhav Thackeray Shiv Sena Targets Bjp Ann | Maharashtra Politics: 'बीजेपी का मुस्लिम प्रेम पूतना मौसी वाला', सामना में सियासी तंज, कहा

Maharashtra Politics: उद्धव ठाकरे की शिवसेना के मुखपत्र सामना के संपादकीय में बीजेपी को ‘नवकव्वाल’ बताते हुए निशाना साधा गया है. इस नाम के टाइटल के सहारे दुनिया के सबसे बड़े राजनैतिक दल बीजेपी के सूफियाना अंदाज पर तंज कसा गया है. संपादकीय में बीजेपी को ढोंगी, नौटंकीबाज और स्वार्थी का सर्टिफिकेट दिया गया है. इसके अलावा मुसलमानों के साथ बीजेपी के व्यवहार की भी आलोचना की गई है. इसमें लिखा गया कि बीजेपी का मुस्लिम प्रेम असली न होकर पूतना मौसी वाला ही है.

सामना संपादकीय में लिखा गया है कि बीजेपी जैसी ढोंगी और नौटंकीबाज पार्टी हिंदुस्थान में दूसरी कोई भी नहीं होगी. राजनीतिक स्वार्थ के लिए ये लोग कब, क्या ढोंग रचाएंगे, इसका भरोसा नहीं है. एक तरफ हिंदुत्व के नाम पर मुस्लिम समुदाय पर हमले करवाते हैं तो चुनाव आते ही उन्हीं मुसलमानों को चूम कर सेकुलरवाद का बुर्का पहन लेते हैं. अभी भी कहा जा रहा है कि बीजेपी लोग मुस्लिम मतदाताओं से ‘सूफी संवाद’ स्थापित करेंगे.

मुस्लिम वोटों के लिए है प्रेम
बीजेपी के मुस्लिम नेता, केंद्रीय मंत्री, राज्य मंत्री विभिन्न दरगाहों पर जाएंगे और वहां कव्वाली सुनेंगे. पूरे देश में यह मुहिम चलाई जाएगी. ऐसे में बीजेपी के अल्पसंख्यक विभाग की ओर से ‘सूफी संवाद महाअधिवेशन’ के आयोजन की तैयारी चल रही है. साथ ही बताया कि सूफी दरगाहों पर जाने वाले मुसलमानों को कव्वाली के जरिए ऐसा कहा जाएगा कि मुसलमानों के संदर्भ में बीजेपी के मन में किसी तरह का द्वेष नहीं है. बीजेपी का यह मुस्लिम प्रेम असली न होकर पूतना मौसी वाला ही है. ऐसी आत्मीयता मुस्लिम समाज के प्रति नहीं, बल्कि मुस्लिम वोटों के लिए है.

लोकसभा चुनाव के लिए बीजेपी कर रही है ऐसा
सामना संपादकीय में लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर बीजेपी की रणनीति पर कमेंट है. सामना संपादकीय में लिखा गया कि 2024 के लोकसभा चुनाव में अब केवल एक साल ही रह गया है, जिसकी वजह से बीजेपी को मुस्लिम प्रेम की हिचकी आने लगी है. यह हिचकी एक साल तक जारी रहेगी और चुनाव खत्म होते ही रुक जाएगी. एक तरफ हिंदू-मुस्लिम विवाद भड़काकर दंगे कराना और उस पर खुद की राजनीतिक रोटी सेंकना, यही इस टोली का ‘हिंदुत्ववाद’ है. साथ ही कहा कि अब तो इस विवाद में तथाकथित ‘कथावाचकों’ के भड़काऊ भाषण का तेल डालने और धार्मिक दंगों को जोरदार ढंग से भड़काने की योजना अमल में लाई जा रही है.

बीजेपी की है दोहरी भूमिका 
हाल ही में संपन्न हुए रामनवमी और हनुमान जयंती के दिन देश के विभिन्न भागों में हुए दंगे इसी योजना का एक हिस्सा थे. हिंदू-मुस्लिम ध्रुवीकरण की राजनीति करने वाली बीजेपी का ये परंपरागत तंत्र है. चुनाव के मौके पर होने वाले हिंदू-मुस्लिम दंगे और बाद में होने वाले मतों के ध्रुवीकरण पर सेंकी गई सत्ता की रोटी बीजेपी का ‘वास्तविक चेहरा’ है. इसके अलावा  फिर भी राजनीतिक जरूरत और अपरिहार्यता के रूप में बीच-बीच में वे इस पर मुस्लिम प्रेम का मुखौटा चढ़ाते रहते हैं. हाल की ‘सूफी संवाद’ मुहिम इसी तरह का एक मुखौटा है. उनका मुस्लिम प्रेम भी शुद्ध भावना न होकर उनके वोटों के लिए है.

मुस्लिम नेताओं को राज्यसभा में जगह से लेकर मुस्लिम समाज के लोगो को पद्म पुरस्कारों को सम्मानित करने के विषय पर. इसके अलावा आरएसएस सरसंघचालक के बयान से लेकर बीजेपी की दोहरी भूमिका पर संपादकीय में लिखा गया है. जम्मू-कश्मीर में ‘पीडीपी’ पार्टी के साथ सरकार स्थापित करना बीजेपी का राजनीतिक स्वार्थ था. एक तरफ उत्तर प्रदेश में नए मदरसों को सरकारी अनुदान नकारना, ढाई हजार मदरसों की मान्यता रद्द करना और दूसरी तरफ उसी उत्तर प्रदेश में ‘सूफी संवाद’ ड्रामे का प्रयोग करना, उत्तर प्रदेश के मदरसों में प्रधानमंत्री मोदी के ‘मन की बात’ की उर्दू प्रति बांटना. प्रधानमंत्री और इस्लाम के स्कॉलरों के बीच हुई चर्चा की भी उर्दू प्रतियां मदरसों में वितरित करना. मुस्लिम प्रेम का यह झरना बीजेपी के मन में अभी क्यों फूटा?

Sachin Pilot Protest: सचिन पायलट नई राह पकड़ने वाले हैं? अनशन तो हुआ, लेकिन नहीं दिखा कांग्रेस का नाम-निशान

Source link

By jaghit