Chaitra Navratri 2023 1st Day: चैत्र नवरात्रि का प्रारम्भ आज 22 मार्च से हो गया है. चैत्र प्रतिपदा के पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा विधिवत की जाती है. मां शैलपुत्री पर्वतराज हिमालय की पुत्री है. पहले दिन नवरात्रि का आरम्भ मां शैलपुत्री की पूजा के साथ होता है. नवरात्रि के पहले दिन दुर्गा सप्तशती का पाठ किया जाता है और कलश स्थापना भी की जाती है, कलश स्थापना को भगवान गणेश का स्वरुप माना जाता है इसीलिए नवरात्रि के पहले दिन इनकी पूजा
की जाती है.
मां शैलपुत्री का स्वरुप
मां शैलपुत्री पर्वतराज हिमालय की पुत्री हैं. मां के एक हाथ में त्रिशूल और दूसरे हाथ में कमल का पुष्प है. यह नंदी
नामक बैल पर सवार संपूर्ण हिमालय पर विराजमान हैं. इसलिए इनको वृषोरूढ़ा और उमा के नाम से भी जाना जाता है. यह वृषभ वाहन शिवा का ही स्वरूप है. घोर तपस्या करने वाली शैलपुत्री समस्त वन्य जीव-जंतुओं की रक्षक भी हैं. शैलपुत्री के अधीन वे समस्त भक्तगण आते हैं, जो योग, साधना-तप और अनुष्ठान के लिए पर्वतराज हिमालय कीशरण लेते हैं.
पूजन विधि
- चैत्र नवरात्री के दिन सूर्योदय से पहले उठ कर स्नान आदि से निवृत होकर साफ़ कपड़े पहने इसके बाद चौकी को
- गंगाजल से साफ करके मां दुर्गा की प्रतिमा या फोटो को स्थापित करें.
- इसके बाद कलश स्थापना करें नवरात्री में कलश के उपर कलावा बांधे और उपर आम और अशोक के पत्ते रखे.
- ये बहुत ही शुभ रहता है और मां शैलपुत्री का ध्यान करें और व्रत का संकल्प लें.
- इसके बाद माता को रोली-चावल लगाएं और सफेद फूल मां को चढ़ाएं.
- सफेद वस्त्र मां को अर्पित करें. मां के सामने धूप, दीप जलाएं और मां की देसी घी के दीपक से आरती उतारें.
- माता शैलपुत्री की पूजा में सभी नदियों , तीर्थो का आह्वान किया जाता है.
- नवरात्री के पहले दिन से लेकर आखिरी दिन तक हर रोज़ घर में कपूर जलाना चाहिए ऐसा करने से घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और नकारात्मकता का नाश होगा.
मां को कैसे लगाएं भोग
मां शैलपुत्री को शुद्ध देसी घी के हलवे का भोग लगाए आपको निरोग्य काया का वरदान मिलेगा.
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