Kerala University Maternity Leave: राज्य सरकार के स्मावित्व वाले केरल विश्वविद्यालय ने अपने स्टूडेंट्स के लिए एक बड़ी घोषणा की है. अब यूनिवर्सिटी में पढ़ाई करने वाली 18 वर्ष से अधिक की छात्राएं छह महीने तक के लिए मातृत्व अवकाश यानी मैटरनिटी लीव ले सकती हैं. केरल विश्वविद्यालय ने सोमवार (6 मार्च) को इसके संबंध में आदेश जारी किया. राज्य में उच्च शिक्षा संस्थान पहले ही पीरियड्स लीव के संदर्भ में छात्राओं की अटेंडेंस को 75 से 73 प्रतिशत चर चुके हैं.
विश्वविद्यालय सिंडिकेट के फैसले के अनुसार, जो भी छात्रा मातृत्व अवकाश पर जाती है वो 6 महीने बाद फिर से बिना एडमिशन करवाए अपनी क्लास को रिज्यूम कर सकती है. मातृत्व अवकाश से आने के बाद कैंडिडेट के लिए कोर्स के ड्यूरेशन को भी बढ़ा दिया जाएगा, ताकि उनकी पढ़ाई इससे प्रभावित न हो.
विश्वविद्यालय प्रबंधन ने कहा कि उम्मीदवारों के मेडिकल रिकॉर्ड को सत्यापित करने और उन्हें विश्वविद्यालय की मंजूरी के बिना कॉलेज में फिर से शामिल होने की अनुमति देने की जिम्मेदारी कॉलेज के प्रिंसिपल की होगी.
पीरियड्स लीव पर लिया जा चुका फैसला
जनवरी में उच्च शिक्षा विभाग ने केरल के सभी उच्च शिक्षा संस्थानों के छात्रों को मासिक धर्म की छुट्टी (Periods Leave) देने का आदेश जारी किया था. विश्वविद्यालय के नियमों के तहत अब तक अनिवार्य 75 प्रतिशत उपस्थिति के मुकाबले छात्राएं अब 73 प्रतिशत उपस्थिति के साथ अपनी सेमेस्टर परीक्षा में शामिल हो सकती हैं. कोचीन विज्ञान और प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय उच्च शिक्षा क्षेत्र में अभूतपूर्व लिंग-संवेदनशील सुधार की घोषणा करने वाला पहला विश्वविद्यालय था.
महिलाओं की पीरियड्स लीव पर SC की टिप्पणी
भारत में इस समय कामकाजी महिलाओं को भी पीरियड्स लीव देने की मांग उठ रही है. हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने इससे जुड़ी एक याचिका बीते दिनों खारिज कर दी. कोर्ट ने कहा है कि यह एक नीतिगत मसला है. इसके लिए महिला और बाल विकास मंत्रालय को ज्ञापन दिया जाना चाहिए. कोर्ट ने ये भी कहा, “इस बात की भी आशंका हो सकती है कि अगर ऐसी छुट्टी के लिए नियोक्ता को बाध्य किया गया, तो वह महिलाओं को नौकरी पर रखने से परहेज करे.”
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