COVID-19 Fear: कोरोना का लोगों के दिलों में कितना खौफ है, इसकी एक घटना गुरुग्राम में देखने को मिली. यहां कोरोना के डर से एक महिला ने खुद को घर में बंद कर लिया था. वह पिछले 3 साल से खुद को और अपने 10 साल के बच्चे को घर में कैद किए हुए थी. इतना ही नहीं पति को नौकरी पर जाने के कारण घर में नहीं घुसने देती थी. मजबूरन पति 3 साल से किराए के मकान में रह रहा था.
महिला के पति ने मजबूरन पुलिस को शिकायत दी. जिस पर पुलिस ने स्वास्थ्य विभाग की टीम के साथ जाकर बच्चे को बाहर निकाला. पीटीआई न्यूज एजेंसी के अनुसार, यह घटना गुरुग्राम थाना सेक्टर-29 क्षेत्र के मारुति विहार सोसाइटी की है. महिला का नाम मुनमुन मांझी बताया जा रहा है. महिला के पति की शिकायत पर स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों और बाल कल्याण विभाग के सदस्यों की एक टीम ने घर का मुख्य दरवाजा तोड़ा और मुनमुन मांझी के साथ उनके 10 साल के बेटे को बचाया.
ऐसे हुआ मामले का खुलासा
मामला 17 फरवरी को तब सामने आया जब मुनमुन के पति सुजान मांझी ने चक्करपुर पुलिस चौकी में तैनात सहायक उपनिरीक्षक प्रवीण कुमार से संपर्क किया. पुलिस ने बताया, “सुजान मांझी एक निजी कंपनी में इंजीनियर है. उसे नौकरी पर जाना होता था, इसलिए मुनमुन ने उसके घर में प्रवेश पर रोक लगा रखी थी. सुजान ने पहले कुछ दिन दोस्तों और रिश्तेदारों के साथ बिताए और अपनी पत्नी को मनाने में नाकाम रहने के बाद, वह उसी इलाके में किराए के मकान में रहने लगा. वह वीडियो कॉल के जरिए पत्नी और बेटे से संपर्क करता था.”
पुलिस को पहले नहीं हुआ था भरोसा
सुजान दोनों मकानों का खर्चा उठा रहा था. पत्नी और बच्चे के लिए वह घर के बाहर ही राशन और सब्जियां रखकर चला आता था. मकान का किराया, बिजली का बिल और बेटे की फीस देता था. एएसआई कुमार ने पीटीआई को बताया, “पहले मुझे सुजान के दावों पर भरोसा नहीं हुआ, लेकिन जब उसने वीडियो कॉल पर पत्नी और बेटे से बात की तो हस्तक्षेप करने का फैसला लिया गया.” उसने आगे कहा, “जिस घर में महिला रह रही थी वहां इतनी गंदगी और कचरा जमा हो गया था कि अगर कुछ दिन और बीत जाते तो कुछ भी अनहोनी हो सकती थी.”
तीन साल से नहीं देखा था सूरज
पुलिस अधिकारी ने कहा, “महिला के बेटे ने पिछले तीन साल में सूरज तक नहीं देखा था. उसने कोविड के डर से इन तीन सालों में रसोई गैस और भंडारण के पानी का भी इस्तेमाल नहीं किया.” वहीं सुजान तीन साल बाद अपनी पत्नी और बेटे को पाकर काफी खुश था और उसने पुलिस को धन्यवाद दिया. उसने कहा, “दोनों का इलाज किया जा रहा है और मुझे उम्मीद है कि मेरी जिंदगी जल्द ही पटरी पर आ जाएगी.”
मां-बेटे दोनों को अस्पताल में भर्ती करा दिया है. गुरुग्राम के सिविल सर्जन डॉ. वीरेंद्र यादव ने बताया, “महिला को कुछ मानसिक परेशानी है. दोनों को पीजीआई, रोहतक रेफर किया गया है, जहां उन्हें इलाज के लिए मनोरोग वॉर्ड में भर्ती किया गया है.”
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