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Indo-US Military Exercise: भारत ने अक्टूबर में उत्तराखंड (Uttarakhand) में होने वाले भारत-अमेरिका सैन्याभ्यास (Indo-US Military Exercise) पर चीन की आपत्ति को गुरुवार को खारिज कर दिया. चीन के रक्षा मंत्रालय ने सैन्याभ्यास का जिक्र करते हुए कहा था कि वह सीमा के मुद्दे पर किसी तीसरे पक्ष के हस्तक्षेप का पुरजोर विरोध करता है. इस पर भारत की प्रतिक्रिया आई है.
भारत और अमेरिका के ‘युद्धाभ्यास’ नामक सैन्याभ्यास के 18वें संस्करण का आयोजन उत्तराखंड के औली में 14 से 31 अक्टूबर तक किया जाएगा. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा, ‘‘मैं तीसरे पक्ष के हस्तक्षेप के संदर्भ को समझ नहीं पा रहा. भारत-अमेरिका अभ्यास पूरी तरह अलग चीज है और मुझे नहीं पता कि कौन सा रंग दिया गया है कि इसका निशाना उस तरफ है या यह किसी मौजूदा समझौते का उल्लंघन कर रहा है.’’
द्विपक्षीय समझौतों का पालन करेगा चीन!
चीन के राष्ट्रीय रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता द्वारा सैन्याभ्यास पर की गयी टिप्पणियों के बारे में मीडिया ब्रीफिंग में बागची से सवाल पूछा गया था. चीन के राष्ट्रीय रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता वरिष्ठ कर्नल तान केफेई ने उम्मीद जताई कि भारतीय पक्ष वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के पास सैन्याभ्यास नहीं करने के द्विपक्षीय समझौतों का पालन करेगा.
बागची ने चीन द्वारा समझौतों का उल्लंघन करके पूर्वी लद्दाख में गतिरोध को बढ़ावा देने का परोक्ष उल्लेख करते हुए कहा, ‘‘दोनों पक्षों को अतीत में हुए समझौतों पर कायम रहना चाहिए और जाहिर है कि ऐसा नहीं हुआ.’’ भारत लगातार इस बात को कहता रहा है कि द्विपक्षीय संबंधों के समग्र विकास के लिए एलएसी पर शांति और अमन जरूरी है.
यूक्रेन (Ukraine) के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की (President Volodymyr Zelensky0 को डिजिटल तरीके से भाषण देने की अनुमति देने के लिए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (United Nations Security Council) में भारत के मतदान के बारे में पूछे जाने पर बागची ने कहा कि यह रूस के खिलाफ नहीं है. उन्होंने कहा, ‘‘मेरी समझ है कि हमने किसी के खिलाफ मतदान नहीं किया है. यह उन्हें डिजिटल तरीके से बोलने की अनुमति देने का प्रस्ताव है और हमने इसका समर्थन किया. मुझे लगता है कि वह तीसरी बार वर्चुअल माध्यम में बोले हैं.’’
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