Imran Khan Will Have To Fight A Long Legal Battle After Being Disqualified Fter Getting Convicted In 'Toshakhana' Case

Imran Khan: पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान (Imran Khan) को ‘तोशाखाना’ मामले में दोषी पाए गए. इसके बाद उन्हें पांच साल तक सरकारी पद ग्रहण करने से अयोग्य करार दिया गया है. अब उन्हें अपना पुराना राजनीतिक मुकाम हासिल करने के लिए कठिन कानूनी लड़ाई लड़नी होगी.

पाकिस्तान के चुनाव आयोग ने इमरान को प्रधानमंत्री के तौर पर तोशाखाना (सरकारी भंडार गृह) में विदेशी नेताओं से मिले कीमती उपहारों की बिक्री से हुई आय को छिपाने का दोषी पाया. इसके बाद उनकी संसद सदस्यता चली गई. साथ ही पांच साल तक उनके चुनाव लड़ने पर पाबंदी लगा दी गई है.

प्रतिबंध को लेकर असमंजस है

इस बात को लेकर असमंजस है कि पांच साल का प्रतिबंध मौजूदा असेंबली के पांच साल के कार्यकाल तक रहेगा या फिर चुनाव आयोग का फैसला आने की तारीख से यह प्रतिबंध शुरू होगा. नेशनल असेंबली का वर्तमान कार्यकाल अगस्त 2018 में शुरू हुआ था. खान ने अप्रैल में संसद सदस्यता से इस्तीफा दिया था, लेकिन उसे स्वीकार नहीं किया गया था.

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इस लिहाज से, असेंबली का कार्यकाल पूरा होने तक उन पर प्रतिबंध लगा रहेगा. खबर के अनुसार निर्वाचन आयोग का फैसला आने के तुरंत बाद खान ने अपनी पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (PTI) के नेताओं के साथ दो बैठकें कीं. पहले से जारी रिकॉर्ड संदेश में उन्होंने अपने ऊपर लगे आरोपों को खारिज किया. सड़कों पर विरोध प्रदर्शन करने के बजाय कानूनी रूप से अयोग्यता को चुनौती देने की बात कही.

संवैधानिक रास्तों का लेंगे सहारा

इमरान खान ने प्रतिबंध के मामले में संवैधानिक रास्ता अपनाने की बात कही, जो काफी पेचीदा है और कानूनी प्रक्रिया पूरी होने में महीनों न सही लेकिन कई हफ्तों का वक्त लग सकता है. इसके लिए पूर्व प्रधानमंत्री को पहले उच्च न्यायालय और फिर उच्चतम न्यायालय में अपील कर सकते हैं. ‘डॉन’ समाचार पत्र में खान की आगे की कानूनी लड़ाई को लेकर खबर प्रकाशित की गई है.

इसमें कहा गया है कि पार्टी ने अयोग्यता को इस्लामाबाद उच्च न्यायालय (IHC) में चुनौती देने की घोषणा की है, लेकिन खान को सत्र न्यायाधीश के सामने एक और मुकदमे का सामना करना पड़ सकता है. निर्वाचन आयोग ने उपहारों के खुलासों के बारे में गलत जानकारी देने के लिए खान के खिलाफ एक शिकायत न्यायाधीश को भेजी है.

फैसले को लेकर आशंका पहले से थी

इमरान खान के पार्टी की कानूनी शाखा के एक सदस्य के अनुसार, निर्वाचन आयोग की ओर से इस तरह का फैसला आने की आशंका थी, इसलिए पार्टी की कानूनी टीम के प्रमुख सीनेटर सैयद अली जफर ने इस संबंध में पहले से ही एक याचिका का मसौदा तैयार कर लिया था.

हालांकि, लिखित आदेश नहीं होने के कारण खान समय पर फैसले को चुनौती नहीं दे पाएंगे क्योंकि सभी सदस्यों के विधिवत रूप से हस्ताक्षर किए गए फैसले की सत्यापित कॉपी मिलने पर ही उचित अपील दायर की जा सकती है.

ECP की सुनवाई गैर-न्यायिक 

PTI पार्टी की मुख्य आपत्ति यह है कि पाकिस्तान निर्वाचन आयोग (ECP) की सुनवाई गैर-न्यायिक थी. जिसका अर्थ एक ऐसी कानूनी कार्यवाही से है, जो किसी विशेष मंच के दायरे से बाहर होती है. ‘PTI’ की कानूनी टीम के एक वरिष्ठ सदस्य एडवोकेट फैसल हुसैन ने ‘डॉन’ को बताया कि पार्टी ने इस्लामाबाद उच्च न्यायालय के समक्ष एक याचिका दायर करने की योजना बनाई है.

जो उच्चतम न्यायालय में फैसले को चुनौती नहीं देगी.उन्होंने कहा, “आदेश अपने आप में काफी कमजोर है और यह टिक नहीं पाएगा क्योंकि इसमें कई खामियां हैं.”

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By jaghit

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