Major Shaitan Singh Memorial Demolished: वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर बने बफर जोन की वजह से 1962 युद्ध के नायक मेजर शैतान सिंह का स्मारक ध्वस्त कर दिया गया. कैलाश रेंज के दर्रे रेजांग ला में हुई लड़ाई में मेजर शैतान सिंह और 113 लोगों ने हजारों चीनी सैनिकों के खिलाफ अंत तक लड़ाई लड़ी थी. इसके बाद सिंह का स्मारक उसी स्थान पर बनाया गया, जहां उनकी मृत्यु हुई थी.
लद्दाख स्वायत्त पहाड़ी विकास परिषद के सदस्य खोनचोक स्टैनजिन ने द टेलीग्राफ को बताया, “सिंह का स्मारक अब बफर जोन में है.” उन्होंने कहा कि यह वह स्थान है, जहां 1962 में मेजर शैतान सिंह का शव मिला था. दुर्भाग्य से इसे नष्ट करना पड़ा क्योंकि यह अब बफर जोन में आता है.
द टेलीग्राफ के मुताबिक स्टैनजिन ने एक तस्वीर भी शेयर की है, जिससे पता चलता है कि स्मारक अक्टूबर 2020 तक भारतीय के कंट्रोल में था. उस समय कुमाऊं रेजिमेंट की 8वीं बटालियन ने इसका नवीनीकरण किया था.
114 वीर जवानों ने किया चीन की आर्मी का मुकाबला
वहीं, इस संबंध में कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर कहा, “मेजर शैतान सिंह के नेतृत्व में 13 कुमाऊं की C कंपनी का रेजांग ला की रक्षा किया जाना भारतीय युद्ध इतिहास के सबसे ऐतिहासिक प्रसंगों में से एक है. C कंपनी के 114 वीर जवानों ने बड़ी संख्या में आए चीनियों के खिलाफ पूरी ताकत से लड़ाई लड़ी और चुशूल हवाई अड्डे का सफलतापूर्वक बचाव करते हुए लद्दाख को बचाया था.”
परमवीर चक्र से सम्मानित हुए मेजर सिंह
कांग्रेस नेता ने कहा कि मेजर सिंह को भारत के सर्वोच्च वीरता पुरस्कार परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया था. वहीं, उनकी कंपनी के अन्य लोगों को पांच वीर चक्र और चार सेना पदक से नवाजा गया.
उन्होंने कहा कि चुशूल के काउंसलर कोंचोक स्टैनजिन ने खुलासा किया है कि जहां मेजर सिंह लड़ाई के दौरान शहीद हुए थे और जहां उनकी याद में एक स्मारक बनाया गया था, उस जगह को नष्ट कर दिया गया है, क्योंकि वह जगह 2021 में चीन के साथ हुई बातचीत के मुताबिक बफर जोन में आता है.
मेजर शैतान सिंह के नेतृत्व में 13 कुमाऊं की C कंपनी द्वारा रेजांग ला की रक्षा किया जाना भारतीय युद्ध इतिहास के सबसे ऐतिहासिक प्रसंगों में से एक है। C कंपनी के 114 वीर जवानों ने बड़ी संख्या में आए चीनियों (पांच जीवित पकड़े गए थे) के ख़िलाफ़ पूरी ताक़त से लड़ाई लड़ी और चुशूल हवाई… https://t.co/uhRNyfep4V
— Jairam Ramesh (@Jairam_Ramesh) December 28, 2023
जयराम रमेश ने कहा कि यह मेजर सिंह और चार्ली कंपनी के शहीद अन्य नायकों का बहुत बड़ा अपमान है. अगर अभी भी किसी सबूत की आवश्यकता है कि मोदी सरकार ने चीन के साथ बातचीत के दौरान जिन क्षेत्रों में बफर जोन बनाए जाने पर सहमति बनाई वे पहले भारत के नियंत्रण में थे तो यह सबसे शर्मनाक सबूत है.
‘सरकार ने नाकामी छिपाने की कोशिश की’
उन्होंने मोदी सरकार पर हमला करते हुए कहा कि चार साल तक मोदी सरकार ने अपनी DDLJ नीति: Deny (इंकार करो), Distract (ध्यान भटकाओ), Lie (झूठ बोलो) Justify (न्यायोचित ठहराओ) से भारत के लिए छह दशकों की सबसे शर्मनाक क्षेत्रीय नाकामी को छिपाने की कोशिश की है.
उन्होंने आगे कहा कि 2017 में डोकलाम में भारतीय जीत के खोखले दावों के बावजूद चीन ने पिछले छह साल में भूटानी क्षेत्र पर अपना दबदबा बढ़ा लिया है. इस वजह से भारत के सिलीगुड़ी कॉरिडोर, जिसे चिकन नेक भी कहा जाता है के लिए ख़तरा बढ़ गया है. कांग्रेस नेता ने कहा कि अब भारत के लोगों को सच्चाई बताने और यह एक्सप्लेन करने का समय आ गया है कि लद्दाख में पहले जैसी स्थिति कब और कैसे बहाल होगी?
गलवान संघर्ष के बाद बना बफर जोन
जून 2020 में भारत और चीनी सैनिकों के बीच गलवान घाटी में हुई झड़प के बाद वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर चीन के साथ सैनिकों की वापसी की प्रक्रिया में बफर जोन बनाया गया था. वहीं, सरकार इस बात से इनकार करती आई है कि भारत ने चीन को एक इंच जमीन भी नहीं दी है.