चीनी जासूसी गुब्बारे को मारना भारत के लिए कितना आसान है?


<p style="text-align: justify;">चीन के जासूसी गुब्बारे को मार गिराने के बाद अब अमेरिका ने उसके अवशेष देने से मना कर दिया है. विदेश मंत्रालय ने मंत्री एंटोनी ब्लिंकेन की अगले महीने प्रस्तावित बीजिंग दौरे को भी रद्द कर दिया है. अमेरिका के इस कठोर फैसले की चीन ने आलोचना की है.</p>
<p style="text-align: justify;">इधर, अमेरिकी वायुसेना की एक खुफिया रिपोर्ट से पूरी दुनिया में हड़कंप मच गई है. अप्रैल 2022 की इस रिपोर्ट में जासूसी करने वाले चीनी गुब्बारे के बारे में जानकारी दी गई है. रिपोर्ट में कहा गया है कि 2019 से पहले भी एक गुब्बारे दुनिया के कई देशों में घुम-घुम कर जानकारी जुटा रहा था.&nbsp;</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>कैसे रडार पर आया चीनी गुब्बारा?</strong><br />अमेरिकी रक्षा विभाग पेंटागन के मुताबिक 200 फीट आकार का यह जासूसी गुब्बारा 5वीं बार लैटिन अमेरिकी तटों के आसमान में उड़ रहा था. कनाडा से जानकारी मिलने के बाद अमेरिकी एजेंसी अलर्ट मोड में आई और अटलांटिक महासागर में इसे मार गिराया गया.&nbsp;</p>
<p style="text-align: justify;">अमेरिकी रक्षा मंत्रालय के एक अधिकारी ने वाशिंगटन पोस्ट को बताया कि पहले यह नॉर्मल लगा, लेकिन फिर कनाडा से सूचना आई, जिसके बाद इस पर मॉनिटरिंग की गई. बाद में हमने एफ-16 जेट से मार गिराया. गुब्बारे का वजन करीब 2000 पाउंड है.</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>भारत में कब आया था यह जासूसी गुब्बारा?</strong><br />अमेरिकी वायुसेना की खुफिया रिपोर्ट के मुताबिक जनवरी 2022 में भारत के अंडमान निकोबार द्वीप के पास इस गुब्बारे को उड़ता हुआ देखा गया था.&nbsp;</p>
<p style="text-align: justify;">इससे पहले यह गुब्बारा 2020 में जापान के तटीय भागों में भी उड़ता हुआ पाया गया था. फरवरी 2023 में कोलंबिया में भी इसे गुब्बारे को देखा जा चुका है.&nbsp;</p>
<p style="text-align: justify;">दरअसल, अंडमान निकोबार द्वीप भारतीय नौसेना का एक महत्वपूर्ण अड्डा है. यहां जलक्षेत्रों में तल की गहराई, लवणता, और समुद्री तापमान का आंकड़ा एकत्रित किया गया है. यह पनडुब्बी से लड़ाई में अहम होता है.&nbsp;</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>जासूसी गुब्बारा से निपटने की क्या है तैयारी?</strong><br />चीन गुब्बारा के साथ ही कई बार पानी के भीतर जासूसी करने वाले सी-विंग का भी इस्तेमाल करता है. इसकी निगरानी के लिए भारत ने एसवीएल पोत रखा है, जो समुद्र के भीतर निगरानी का काम करता है.&nbsp;</p>
<p style="text-align: justify;">वर्तमान में भारतीय नौसेना के बेड़ा में 6 सीवीएल पोत है और 4 सीवीएल पोत पर काम चल रहा है, जो जल्द ही बेड़ा में शामिल हो जाएगा.&nbsp;</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>क्या इतना काफी है?</strong><br />चीन की जासूसी से निपटने लिए भारत को अभी निगरानी स्तर पर काफी काम करना होगा. आइए 3 प्वॉइंट्स में जानते हैं…</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>1.</strong> संवेदनशील क्षेत्रों में जैमर का उपयोग करना होगा, जिससे जानकारी लेना आसान न हो. इसके लिए बड़े पैमाने पर संवेदनशील क्षेत्रों को चिह्नित भी करना पड़ेगा.</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>2.</strong> जासूसी गुब्बारा को मारने वाला किफायती जेट का इंतजाम करना होगा, जिससे किसी भी संदिग्ध गुब्बारा को मारा जा सके.&nbsp;</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>3.</strong> जासूसी अभियान के तहत स्पेस में प्रोक्सी वार भी चीन ने छेड़ रखा है. ऐसे में भारत को अंतरिक्ष के क्षेत्र में भी बड़े कदम उठाने होंगे.</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>कैसे काम करता है जासूसी गुब्बारा?</strong><br />120 फीट चौड़ा और 130 फीट लंबा यह गुब्बारा आसमान में 37 किमी तक ऊंचा उड़ सकता है. इसमें अंदर हीलियम गैस भरी होती है, जबकि ऊपर सोलर पैनल लगा होता है. इस वजह से यह गुब्बारा अधिक समय तक आसमान में उड़ता रहता है.&nbsp;</p>
<p style="text-align: justify;">जासूसी गुब्बारा में कैमरा, रडार, सेंसर्स और कम्युनिकेशन इक्विपमेंट लगा होता है. यह चीजों को आसानी से ट्रैक करता है और इसकी जानकारी सिस्टम को देते रहता है. इतना ही नहीं, यह गुब्बारा काफी ऊंचा रहता है और इसे मार गिराना भी आसान नहीं है.</p>

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By jaghit