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Where Is The Coronavirus Variants Including Omicron Disappeared XBB Variants Abpp

अस्पताल के बाहर मरीजों की लंबी कतारें.. ऑक्सीजन सिलेंडर के लिए जूझते लोग और अपनों की टूटती सांसे… करीब डढ़े साल पहले देश ने कोरोना का ये खौफनाक मंजर देखा था. साल 2021 में कोविड के दूसरे लहर ने करोड़ों लोगों की जान ले ली थी.

इसके बाद भी इस वायरस के कई वेरिएंट आए और लोगों की इम्यूनिटी प्रभावित होती रही. इस वायरस से निजात पाने के लिए दुनियाभर की सरकारों ने कई प्रतिबंध लगाए. लॉकडाउन से लेकर वर्क फ्रॉम होम जैसे नियम लाए गए. लेकिन फिर भी हर साल कोरोना अपने नए-नए वेरिएंट के साथ पैर पसारता गया. 

हालांकि एक राहत देने वाली खबर ये सामने आ रही है कि XBB वेरिएंट को छोड़ कोरोनावायरस के बाकी वेरिएंट गायब होने लगे हैं. खत्म हो रहे वेरिएंट में ओमिक्रॉन के सब वेरिएंट भी शामिल हैं, जिसने पिछले कुछ महीनों में संक्रमितों की संख्या बढ़ाई थी. 

कोरोना के कई वेरिएंट अब खत्म होने लगे हैं

एक्सपर्ट का कहना है कि भारत में जीनोम सीक्वेंसिंग लगातार कम हो रही है. इन्साकॉग की ये रिपोर्ट उसी सीक्वेंसिंग के आधार पर तैयार की गई है. इस रिपोर्ट के आधार पर ये कहना गलत नहीं होगा कि कोरोना वायरस बीतते समय के साथ नियंत्रण में आने लगा है और इसके कई वेरिएंट अब खत्म होने लगे हैं.

इस रिपोर्ट की मानें तो भारत के मध्य, पश्चिम और दक्षिण हिस्सों के राज्य में कोविड के सभी वेरिएंट गायब हो गए हैं. पिछले महीने की बात करें तो फरवरी 2023 में 100 प्रतिशत सैंपल में सिर्फ एक्सबीबी वेरिएंट की पुष्टि हुई है. वहीं, पूर्वोत्तर के राज्यों में 50 प्रतिशत सैंपल में XBB और अन्य 50 में BA.2.75 वेरिएंट पाए गए हैं. कोविड का ये दोनों वेरिएंट ओमिक्रॉन का ही है. इनके अलावा उत्तर भारत में XBB के साथ-साथ BQ वेरिएंट के मरीज भी मिल रहे हैं. 

कितना खतरनाक है कोरोना वायरस का XBB वेरिएंट 
 
कोविड का XBB वेरिएंट अब तक दुनिया के लगभग 28 देशों में दस्तक दे चुका है. यह सब वेरिएंट कितना खतरनाक हो सकता है इसपर छह महीने की लंबी स्टडी से पता चलता है कि कोरोना का यह सब वेरिएंट केवल हल्के लक्षणों के साथ आता है. 

साल 2022 के अगस्त महीने में एक्सबीबी (XBB) ने भारत और एशिया के अन्य हिस्सों में लोगों को संक्रमित करना शुरू कर दिया था. नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी और इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस एजुकेशन एंड रिसर्च (IISER), पुणे के विशेषज्ञों की तरफ से की गई एक स्टडी में ओमिक्रॉन सब वेरिएंट BA.2.10, BA.2.38, BA.2.75 से संक्रमित 494 मरीजों का विश्लेषण किया गया. 

इस स्टडी में पाया गया कि BQ.1 और XBB वेरिएंट BA.2.10.1 और BA.2.75 का रिकॉम्बिनेंट है. स्टडी के अनुसार एक्सबीबी को डेल्टा वेरिएंट की तुलना में कम खतरनाक पाया गया है. डेल्टा वेरिएंट ने 2021 में कोविड की घातक दूसरी लहर को ट्रिगर किया था.

आखिर क्या है XBB वेरिएंट

कोरोना वायरस के नए वेरिएंट को XBB.1.5 नाम दिया गया है. यह सबसे पहले अमेरिका में पाया गया था. XBB वेरिएंट दो वेरिएंट्स के दोबारा मिलने से बना है. 

आसान भाषा में समझे तो कोरोना का वेरिएंट BJ1 और BM1.1.1 आपस में मिले, तो इन दोनों के DNA यानी जेनेटिक मैटेरियल एक दूसरे से कंबाइन हुए और  XBB वेरिएंट बना. फिर XBB वेरिएंट ने म्यूटेट किया यानी रूप बदला और वह XBB1 बना. इसका फिर G2502V के साथ म्यूटेशन हुआ, जिसके बाद वो XBB.1.5 वेरिएंट बना.

लंग्स को संक्रमित करने की क्षमता कम 

इस वेरिएंट को लेकर की गई स्टडी में ये भी पाया गया कि एक्सबीबी वेरिएंट की लंग्स को संक्रमित करने की क्षमता BA.2.75 की तुलना में कम है. जीनोम सीक्वेंसिंग के लिए महाराष्ट्र के बीजे मेडिकल कॉलेज के एक वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. राजेश कार्यकर्ता ने बताया कि यह स्टडी भारत में अपनी तरह की पहली स्टडी थी. इसमें वेरिएंट से जुड़े सारे लक्षणों को लेकर रिसर्च की गई. डेटा बताता है कि XBB कम से कम भारत में ओमिक्रॉन के BA.2.75 और डेल्टा दोनों की तुलना में हल्का है.

अब तक कितनी बार म्यूटेट कर चुका है कोरोना वायरस 

अल्फा वेरिएंट: साल 2020 के सितंबर महीने में कोविड का अल्फा वेरिएंट आया था. इसने पूरी दुनिया में तहलका मचाया दिया था.  कोरोना के इस वेरिएंट को वैज्ञानिक भाषा में B.1.1.7 नाम से जाना जाता है. यह सबसे पहले ब्रिटेन में पाया गया था, जिसके बाद यह पूरे विश्व में फैल गया. कोरोना के इस वेरिएंट ने अमेरिका में काफी तबाही मचाई थी. 

बीटा वेरिएंट: कोरोना वायरस का एक और वेरिएंट है बीटा. यह साल 2020 में सबसे पहले दक्षिण अफ्रीका में खोजा गया था. इसका वैज्ञानिक नाम B.1.351 है. कोरोना के इस स्वरूप का दो स्ट्रेन था E484K और N501Y. यह इससे पहले आए सभी पुराने वेरिएंट से काफी ज्यादा संक्रामक था. 

गामा वेरिएंट: कोरोना वायरस के इस स्वरूप को सबसे पहले ब्राजील में पाया गया था. गामा वेरिएंट का साइंटिफिक नाम P.1 है. इसका दो स्ट्रेन E484K और N501Y को काफी खतरनाक सब वेरिएंट माना जाता है. गामा का ये दोने स्ट्रेन वैक्सीन लगवाने के बाद भी मामूली रूप से असर करता है.

लैम्‍बडा वेरिएंट: यह वेरिएंट अगस्त 2020 में सबसे पहले पेरू में पाया गया था. हालांकि मार्च 2021 के महीने में इसका संक्रमण तेज होने लगी थी. इसी साल लैम्बडा वेरिएंट को वैज्ञानिक नाम C.37 नाम दिया गया था.

डेल्‍टा वेरिएंट: कोविड का ये वेरिएंट सबसे पहले भारत में पाया गया था. इस वेरिएंट की पहचान साल 2020 के अक्टूबर महीने में  की गई थी. इस वेरिएंट का वैज्ञानिक नाम B.1.617.2 है. डेल्टा वेरिएंट को दुनियाभर में सबसे ज्यादा संक्रामक और खतरनाक वेरिएंट माना जाता है. इस वेरिएंट ने भारत में करोड़ों लोगों की जान ली है. और यह वेरिएंट दुनिया के 100 देशों में पाया गया था. 

एमयू वेरिएंट: इस वेरिएंट को सबसे पहले कोलंबिया पाया गया था. एमयू वेरिएंट की पहचान भी जनवरी साल 2021 में हुई थी और  डब्‍लूएचओ ने इस वेरिएंट को वैज्ञानिक नाम B.1.621 दिया था. 

ओमिक्रॉन वेरिएंट: कोरोना के इस वेरिएंट का वैज्ञानिक नाम B.1.1.529 रखा गया है और विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन ने इसे ओमिक्रॉन का नाम दिया है. यह कोरोना का अब तक का सबसे ज्यादा संक्रामक वेरिएंट माना गया है. सबसे पहले इसकी पहचान दक्षिण अफ्रीका में हुई थी. अब तक ओमिक्रॉन के कई अलग-अलग सब वेरिएंट सामने आ चुके हैं, जिसमें BA.1, BA.2, BA.4, BA.5, XE और ओमिक्रॉन BF.7 शामिल हैं. 

कोरोना की तरह ही इस वायरस ने बढ़ाई चिंता

मारबर्ग वायरस- विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार भूमध्यवर्ती गिनी में यह वायरस लोगों को बीमार कर रहा है. डब्ल्यूएचओ के अनुसार इस इबोला से संबंधित वायरस के कारण कम से कम नौ लोगों की मौतें हुई हैं और एक व्यक्ति पॉजिटिव पाया गया है.

सीडीसी के अनुसार मारबर्ग वायरस से संक्रमित होने से मरीज को एक दुर्लभ तरह का बुखार होता. यह आरएनए वायरस फाइल वायरस परिवार का सदस्य है, जिसमें इबोला वायरस भी शामिल है. मारबर्ग वायरस रोग का संक्रमण सबसे पहले 1967 में जर्मनी के मारबर्ग और फ्रैंकफर्ट और सर्बिया के बेलग्रेड में हुआ था. यह वायरस सबसे पहले अफ्रीकी हरे बंदरों पर प्रयोगशाला में प्रयोग के काम से फैला था.
 
H3N2 वायरस- भारत में कोरोना के संक्रमण के बाद से ही एडिनोवायरस और इन्फ्लूएंजा जैसी बीमारियां फैल रही हैं. इनमें से ज्यादातर मामले एच3एन2 वायरस की वजह से हो रहे हैं. एच3एन2 एक तरह का इन्फ्लूएंजा ए वायरस है.  ये एक श्वसन वायरल इंफेक्शन है जो हर साल बीमारियों का कारण बनता है. इस तरह के इन्फ्लूएंजा ए वायरस के सबटाइप को साल 1968 के दौरान इंसानों में पाया गया था.

इस वायरस से संक्रमित होने के लक्षण में खांसी, नाक बहना, गले में खराश, सिर दर्द, शरीर में दर्द, बुखार, ठंड लगना, थकान, दस्त और उल्टी शामिल हैं.  इन्फ्लूएंजा वायरस को 4 हिस्सों ए, बी, सी और डी में बांटा गया है. इन्फ्लूएंजा वायरस ए और बी फ्लू की मौसमी महामारी की वजह से मरीजों को होता है, इसमें अधिकतर मरीजों को सांस लेने में परेशानी होती है. 

भारत में कोरोना के कितने नए केस?

पिछले कुछ महीनों में भारत में कोरोना की रफ्तार काफी धीमी हो गई थी लेकिन एक बार फिर से कोरोना संक्रमितों के मामले आने शुरू हो गए हैं.  स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा जारी किए गए रिपोर्ट के अनुसार  कल की तुलना में आज देश में कोरोना के दैनिक मामले में थोड़ी गिरावट दर्ज की गई. 

भारत में आज यानी 14  मार्च को जारी रिपोर्ट के अनुसार देश में कोरोना के 444 नए मामले सामने आए हैं. इस दौरान एक संक्रमित व्यक्ति की मौत की खबर है. ये मौत की तमिलनाडु में हुई है. इससे पहले पिछले दिन रविवार को देश में कोरोना के 524 नए मामले आए थे, रविवार को भी एक व्यक्ति की मौत हुई थी. यानी कल के मुकाबले आज देश में कोरोना के 80 कम नए केस सामने आए हैं.

देश में कोरोना संक्रितों की संख्या 4,46,90,936 हुई 

आज के मामले के साथ ही देश में कुल कोरोना संक्रमितों की संख्या बढ़कर 4 करोड़ 46 लाख 90 हजार 936 हो गई है. जबकि इस संक्रमण से ठीक होने वाले लोगों का आंकड़ा बढ़कर 4 करोड़ 41 लाख 56 हजार 345 हो गया है. वहीं देश में अब तक कुल 5 लाख 30 हजार 782 लोग कोरोना वायरस संक्रमण की वजह से दम तोड़ चुके हैं.

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