Khalistan Supporters In America: लंदन के बाद अमेरिका के सैन फ्रांसिस्को में भी खालिस्तानी समर्थकों ने भारतीय वाणिज्यिक दूतावास में घुसकर तोड़फोड़ कर दी. इसको लेकर भारत की तरफ से कड़ी प्रतिक्रिया आई है और अपना विरोध व्यक्त किया है.
विदेश मंत्रालय ने वरिष्ठ अमेरिकी राजनयिक के आगे सैन फ्रांसिस्को में भारतीय कॉन्सुलेट पर हुई तोड़फोड़ पर सख्त ऐतराज दर्ज कराया. अमेरिका की दूतावास प्रमुख को विदेश मंत्रालय ने बुलाकर आपत्ति दर्ज कराने के साथ ही घटना में शामिल लोगों पर कार्रवाई करने को भी कहा. साथ ही भारत ने अमेरिका में मौजूद भारतीय दूतावासों की सुरक्षा सुनिश्चित करने को भी कहा है. ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकने का भी आग्रह किया है.
क्या कहा विदेश मंत्रालय ने?
भारतीय वाणिज्य दूतावास पर हमले को लेकर ‘फाउंडेशन फॉर इंडिया एंड इंडियन डायस्पोरा स्टडीज’ (एफआईआईडीएस) ने कहा, ‘‘हम लंदन के साथ-साथ सैन फ्रांसिस्को में भी कानून-व्यवस्था की विफलता से चकित हैं, जहां कुछ कट्टरपंथी अलगाववादियों ने भारत के राजनयिक मिशन पर हमला किया.’’ वहीं, विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा कि नई दिल्ली में अमेरिकी प्रभारी डी’अफेयर के साथ एक बैठक में, भारत ने भारत के महावाणिज्य दूतावास और सैन फ्रांसिस्को की संपत्ति के विध्वंस पर अपना कड़ा विरोध व्यक्त किया.
इस बैठक में अमेरिकी सरकार को राजनयिक प्रतिनिधित्व की सुरक्षा और सुरक्षित करने के अपने मूल दायित्व की याद दिलाई गई. ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति को रोकने के लिए उचित उपाय करने को कहा गया. इसके अलावा, वाशिंगटन डीसी में दूतावास ने भी इसी तरह की तर्ज पर अमेरिकी विदेश विभाग को अपनी चिंताओं से अवगत कराया.
क्या है मामला?
खालिस्तान समर्थक नारे लगाते हुए प्रदर्शनकारियों ने शहर की पुलिस के बनाए गए अस्थाई सुरक्षा अवरोधकों को तोड़ दिया और वाणिज्य दूतावास परिसर के अंदर दो तथाकथित खालिस्तानी झंडे लगा दिए. वाणिज्य दूतावास के कर्मियों ने जल्द ही इन झंडों को हटा दिया. इसके तुरंत बाद, गुस्साए प्रदर्शनकारियों का एक समूह भारतीय वाणिज्य दूतावास परिसर में घुस गया और दरवाजे और खिड़कियों को क्षतिग्रस्त कर दिया.
अजय भूटोरिया ने की निंदा
भारतीय-अमेरिकी समुदाय के एक नेता अजय भूटोरिया ने सैन फ्रांसिस्को में भारत के वाणिज्य दूतावास भवन पर खालिस्तान समर्थक प्रदर्शनकारियों द्वारा किए गए हमले की कड़ी निंदा की. उन्होंने कहा, ‘‘हिंसा का यह कृत्य न केवल अमेरिका और भारत के बीच राजनयिक संबंधों के लिए खतरा है, बल्कि हमारे समुदाय की शांति और सद्भाव पर भी हमला है.’’
एफआईआईडीएस ने कहा कि यह बेहद चिंताजनक है कि ब्रिटेन और अमेरिका राजनयिक मिशन की सुरक्षा संबंधी वियना संधि के अनुसार प्रतिबद्धताओं को पूरा करने में विफल रहे हैं, इस बीच, कट्टरपंथी उपदेशक अमृतपाल सिंह और उसके सहयोगियों पर पंजाब पुलिस की कार्रवाई के विरोध में खालिस्तान समर्थक प्रदर्शनकारी कैनबरा में ऑस्ट्रेलियाई संसद के बाहर इकट्ठा हुए.
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