Tripura Assembly Election 2023 Results: त्रिपुरा विधानसभा चुनाव के लगभग सभी नतीजे आ गए हैं. राज्य की 60 विधानसभा सीटों में से बहुमत के लिए जरूरी 31 सीटें बीजेपी ने जीत ली हैं और एक पर वह बढ़त बनाए हुए है. बीजेपी की जीत का श्रेय मौजूदा सीएम और बीजेपी के वरिष्ठ नेता माणिक साहा को दिया जा रहा है. साहा ने बारडोवली से कांग्रेस के दिग्गज नेता आशीष कुमार साहा को 1257 वोटों के अंतर से हराया है.
उन्हें पिछले वर्ष 15 मई, 2022 को ही मुख्यमंत्री बनाया गया था. इस पद पर बने हुए उन्हें लगभग दस महीने ही हुए हैं. इससे पहले बिप्लब देव मुख्यमंत्री थे, जिन्हें हटाकर साहा को मौका दिया गया था. आखिर साहा ने 10 महीने में त्रिपुरा में बीजेपी के लिए सफलता का रास्ता कैसे तय कर दिया जो जो बिप्लब देव नहीं कर पा रहे थे, आइए जानते हैं.
साहा ने कम समय में ऐसे गाड़ा कामयाबी का झंडा
- बिप्लब देब जब सीएम थे तब उन पर विवादास्पद बयानों से राज्य में बीजेपी की छवि खराब करने का आरोप लग रहा था. इसी के साथ उन पर सरकार सही से न चला पाने के भी आरोप लगा था. आखिर 10 महीने पहले बीजेपी ने अचानक फैसला लिया और पार्टी के तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष माणिक साहा को मुख्यमंत्री बना दिया. माणिक साहा साफ छवि वाले नेता माने जाते हैं. नतीजों से पता चलता है कि वह जनता में अपने प्रति विश्वास बनाए रखने में कामयाब हुए हैं.
- त्रिपुरा में अपनी जीत और पार्टी के प्रदर्शन से साहा ने साबित कर दिया है कि वह सभी मोर्चों पर नतीजे देने में सक्षम हैं. इसके पीछे बड़ी वजह है कि वह महज 10 महीनों में राज्य में बीजेपी की छवि बहाल करने में सफल हुए हैं.
- साहा ने लोगों के बीच ‘डबल इंजन विकास मॉडल’ को रखा और सजगता के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की राष्ट्रीय छवि का इस्तेमाल किया. नतीजे वाले दिन शुरुआती रुझान आने के बाद उन्होंने पीएम मोदी को धन्यवाद भी दिया.
- साहा की ‘मिस्टर क्लीन’ और ‘मेहनती नेता’ की छवि ने उनके लिए काम किया. मतगणना से ठीक पहले साहा ने अपनी बेबाक राय रखी. उन्होंने कहा कि उन्हें आगे जो भी पद मिलेगा, उसमें पूरी मेहनत के साथ काम करेंगे.
- माणिक साहा ने 2016 में बीजेपी ज्वाइन की थी. इससे पहले वह एक डेंटल सर्जन के रूप में काम कर रहे थे. पिछले साल वह सीएम बनाए गए थे और अब एक बार फिर उन्हें मुख्यमंत्री बनाए जाने की उम्मीद है. सात साल की उनकी यह राजनीतिक यात्रा देखने में छोटी लग सकती है, लेकिन यह सीधे ऊपर गई है. इसके पीछे उनकी विवादों से रहित मेहनत रही हैं.
- साहा को सीएम बनाए जाने के बाद बीजेपी की राज्य इकाई के वरिष्ठ नेताओं, विधायकों और मंत्रियों में असंतोष देखा गया था. माना जा रहा है कि साहा और पार्टी को इस बार मिली सफलता से उस असंतोष पर विराम लग गया.
- डॉक्टरी के पेशे ने भी मतदाताओं के बीच साहा की लोकप्रियता में इजाफा करने का काम किया है. वह एक ओरल और मैक्सिलोफेशियल सर्जरी विशेषज्ञ हैं और राजनीति में आने से पहले त्रिपुरा मेडिकल कॉलेज में एक शिक्षक थे. जनवरी में उन्होंने ट्वीट के जरिये जानकारी दी थी कि लंबे समय बाद उन्होंने एक दस साल के बच्चे की सर्जरी की. इंटरनेट पर उनके इस काम की जमकर तारीफ हुई थी. यूजर्स के बीच ऐसी धारणा बनी थी कि राजनीति में आने के बाद साहा ने अपने भीतर के डॉक्टर को जिंदा रखा है और अपने कर्तव्य का पालन किया है. लोगों ने इसे प्रेरणा के रूप में लिया था. इन सभी बातों ने कम समय में भी साहा को तरक्की दिला दी.
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