Global Hunger Index 2022 Row: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) से संबंधित स्वदेशी जागरण मंच (SJM) ने रविवार (16 अक्टूबर) को वैश्विक भुखमरी सूचकांक रिपोर्ट (Global Hunger Index 2022) को ‘गैर-जिम्मेदाराना और शरारतपूर्ण’ बताते हुए केंद्र सरकार (GOI) से आग्रह किया कि वह भारत (India) को बदनाम करने वाले इसके प्रकाशकों (Publishers) के खिलाफ कार्रवाई करे.
2022 की वैश्विक भुखमरी सूचकांक रिपोर्ट (GHI 2022) में 121 देशों में भारत 107वें स्थान पर है. रिपोर्ट के अनुसार भारत अपने दक्षिण एशियाई पड़ोसियों से बहुत पीछे है जबकि भारत में बच्चों में ‘चाइल्ड वेस्टिंग रेट’ (ऊंचाई के हिसाब से कम वजन) 19.3 प्रतिशत है जो दुनिया के किसी भी देश से सबसे अधिक है. हाल में गैर-सरकारी संगठनों कंसर्न वर्ल्डवाइड (आयरलैंड) और वेल्ट हंगर हिल्फ (जर्मनी) ने यह रिपोर्ट जारी की है.
क्या कहा स्वदेशी जागरण मंच ने?
आरएसएस से जुड़े स्वदेशी जागरण मंच ने रिपोर्ट पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा, “जर्मन गैर-सरकारी संगठन वेल्ट हंगर हिल्फ ने एक बार फिर वैश्विक भुखमरी सूचकांक विषय पर 121 देशों की रैंकिंग जारी की है, जिसे भारत को बदनाम करने के लिए बेहद गैर-जिम्मेदाराना तरीके से तैयार किया गया है.”
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मंच ने कहा, “रिपोर्ट वास्तविकता से कोसों दूर और दोषपूर्ण है. यह आंकड़ों के दृष्टिकोण से ही नहीं, बल्कि विश्लेषण और कार्यप्रणाली के नजरिये से भी हास्यास्पद है. इससे पहले पिछले साल अक्टूबर में 116 देशों की सूची में भारत 101वें स्थान पर था.” मंच ने आरोप लगाया कि यह रिपोर्ट इसके प्रकाशकों के दुर्भावनापूर्ण इरादे को स्पष्ट करती है. बयान में कहा गया है, “स्वदेशी जागरण मंच इस रिपोर्ट के खिलाफ अपनी आपत्ति व्यक्त करता है और सरकार से इसे खारिज करने और उन संगठनों के खिलाफ उचित कार्रवाई करने का अनुरोध करता है जो भारत की खाद्य सुरक्षा के बारे में झूठ फैलाकर देश को बदनाम कर रहे हैं.”
सरकार ने भी रिपोर्ट को छवि खराब करने वाला बताया
केंद्र सरकार ने कहा कि वैश्विक भूख सूचकांक 2022 में भारत को 107वें स्थान पर रखना देश की छवि को ‘एक राष्ट्र जो अपनी आबादी की खाद्य सुरक्षा और पोषण संबंधी आवश्यकताओं को पूरा नहीं करता है’ के रूप में खराब किए जाने के निरंतर प्रयास का हिस्सा है. वैश्विक भुखमरी सूचकांक के जरिये वैश्विक, क्षेत्रीय और राष्ट्रीय स्तरों पर भूख पर नजर रखी जाती है और उसकी गणना की जाती है. 29.1 अंकों के साथ भारत में भूख का स्तर ‘गंभीर’ है.
गौरतलब है कि रिपोर्ट में 109वें स्थान पर मौजूद अफगानिस्तान एशिया महाद्वीप में एकमात्र ऐसा देश है जो भारत से पीछे है. वहीं, नेपाल, भूटान, पाकिस्तान, बांग्लादेश और आर्थिक संकट से जूझ रहे श्रीलंका की स्थिति भी भारत से बेहतर दिखाई गई है. भारत 2021 में 116 देशों में 101वें नंबर पर था जबकि 2020 में वह 94वें पायदान पर था. पड़ोसी देश पाकिस्तान (99), बांग्लादेश (84), नेपाल (81) और श्रीलंका (64) भारत के मुकाबले कहीं अच्छी स्थिति में हैं. रिपोर्ट में कहा गया है कि दुनिया में सबसे अधिक भूख के स्तर वाले क्षेत्र, दक्षिण एशिया में बच्चों में नाटापन की दर (चाइल्ड स्टंटिंग रेट) सबसे अधिक है.
महिला और बाल विकास मंत्रालय ने यह कहा
सरकार ने कहा कि यह रिपोर्ट न सिर्फ जमीनी हकीकत से परे है बल्कि इसमें जानबूझ कर सरकार द्वारा आबादी की खाद्य सुरक्षा, खास तौर पर कोविड के दौरान, किए गए प्रयासों को नजरअंदाज कर दिया गया है. महिला और बाल विकास मंत्रालय ने कहा, ‘‘भारत की छवि को एक ऐसे राष्ट्र के रूप में धूमिल करने के लिए जारी प्रयास एक बार फिर दिखाई दे रहा है, जो अपनी आबादी की खाद्य सुरक्षा और पोषण संबंधी आवश्यकताओं को पूरा नहीं करता है. गलत सूचना साझा करना वैश्विक भूख सूचकांक की पहचान बनता दिख रहा है.’
जीएचआई ने क्या कहा?
जीएचआई ने कहा, ‘‘अनुसंधानकर्ताओं ने चार भारतीय राज्यों छत्तीसगढ़, गुजरात, ओडिशा और तमिलनाडु में 2006 से 2016 के बीच नाटेपन की स्थिति में गिरावट के लिए जिम्मेदार कारकों की पड़ताल की.’’ रिपोर्ट में कहा गया है कि अनुसंधानकर्ताओं ने पाया कि स्वास्थ्य और पोषण की स्थिति, घरेलू स्थिति (जैसे कि सामाजिक-आर्थिक स्थिति और खाद्य सुरक्षा) और मातृत्व कारक (जैसे कि माताओं का स्वास्थ्य और शिक्षा) में सुधार आने के कारण नाटेपन की दर में गिरावट आई.
जीएचआई ने कहा कि दुनिया संघर्ष, जलवायु संकट और यूक्रेन में युद्ध के साथ ही कोविड-19 महामारी के आर्थिक परिणामों के साथ भूख को खत्म करने के प्रयासों में गंभीर चुनौती का सामना कर रही है. रिपोर्ट में आगाह किया गया है कि वैश्विक संकट के बढ़ने पर हालात और बिगड़ सकते हैं. इसमें कहा गया है, ‘‘संभावित समाधान और आवश्यक निवेश का पैमाना ज्ञात और परिमाणित है. इसके बजाय, समस्या नीति के क्रियान्वयन में है और दुनिया में राजनीतिक इच्छाशक्ति की कमी है.’’ भुखमरी सूचकांक में भारत की स्थिति को लेकर सामाजिक कार्यकर्ताओं और नेताओं ने सरकार पर निशाना साधा है.
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