Supreme Court On Marital Rape: मैरिटल रेप यानी पति के पत्नी से जबरन संबंध बनाने को बलात्कार के दायरे में लाने की मांग पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) 21 मार्च को सुनवाई करेगा. कोर्ट ने केंद्र सरकार को 15 फरवरी तक जवाब दाखिल करने को कहा है. पिछले साल सितंबर में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को नोटिस जारी किया था. यह मामला सुप्रीम कोर्ट में तब पहुंचा था जब दिल्ली हाईकोर्ट के 2 जजों ने इस पर अलग-अलग फैसला दिया था.
11 मई 2022 को मैरिटल रेप को अपराध घोषित करने पर दिल्ली हाईकोर्ट के 2 जजों ने अलग-अलग राय दी थी. जस्टिस राजीव शकधर ने पति की तरफ से पत्नी के साथ जबरन संबंध बनाने को अपराध माना था. वहीं दूसरे जज, जस्टिस सी हरिशंकर ने कहा था कि कानून में इसे बलात्कार के दायरे से बाहर माना गया है. इसे बदलने की ज़रूरत नहीं है. दोनों जज इस बात पर सहमत थे कि इस मसले पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होनी चाहिए.
क्या है मामला?
दिल्ली हाई कोर्ट में 2015 से लंबित मुकदमे में आईपीसी की धार. 375 के अपवाद 2 को अमान्य घोषित करने की मांग की गई थी. बलात्कार की परिभाषा तय करने वाली धारा 375 के अपवाद 2 में कहा गया है कि अगर पत्नी की उम्र 15 साल से अधिक है, तो पति का उससे जबरन संबंध बनाना बलात्कार नहीं है. इस प्रावधान को आरआईटी फाउंडेशन, आल इंडिया डेमोक्रेटिक वुमेंस एसोसिएशन, खुशबू सैफी समेत कुछ अन्य याचिकाकर्ताओं ने चुनौती दी थी. उनका कहना था कि पत्नी की मर्जी के खिलाफ अगर पति जबरन शारीरिक संबंध बनाता है, तो उसे रेप माना जाना चाहिए.
पुरुष संगठनों ने किया विरोध
इन याचिकाओं का विरोध करते कई पुरुष अधिकार संगठनों ने भी याचिका दाखिल की थी. उन्होंने कहा था कि अगर धारा 375 के अपवाद 2 को रद्द किया गया, तो इसका व्यापक दुरुपयोग होगा. पति-पत्नी के बीच मनमुटाव या पारिवारिक तनाव के मामलों में भी पति पर रेप का केस दर्ज करवा दिया जाएगा. इससे समाज के लिए ज़रूरी परिवार जैसी संस्था को बहुत नुकसान होगा. सुप्रीम कोर्ट में कर्नाटक हाई कोर्ट के एक फैसले को भी चुनौती देने वाली अपील दाखिल हुई है. कर्नाटक हाई कोर्ट ने एक व्यक्ति पर अपनी पत्नी से बलात्कार का केस चलाने का आदेश दिया था. उसने भी इसे चुनौती दी है.
केंद्र की राय अस्पष्ट
दिल्ली हाई कोर्ट में सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने इस मामले में अलग-अलग मौकों पर अलग-अलग स्टैंड लिया था. 2016 में केंद्र ने कहा कि अगर वैवाहिक जीवन मे बने संबंध को बलात्कार न मानने की धारा को रद्द किया गया तो इसके व्यापक दुष्परिणाम होंगे. भारतीय समाज पश्चिमी समाज से अलग है. यहां ऐसी व्यवस्था का नकारात्मक असर हो सकता है. इससे मुकदमों की बाढ़ आ जाएगी. हालांकि, 2021 में केंद्र ने कहा कि वह इस मसले पर कानूनविदों, सामाजिक संगठनों और दूसरे लोगों से व्यापक चर्चा करेगा. उसके बाद वह अपना दृष्टिकोण स्पष्ट करेगा.
ये भी पढ़ें:
राम मंदिर पर आतंकी हमले की साजिश…जैश-ए-मोहम्मद ने बनाया प्लान, इंटेलिजेंस एजेंसियों को मिला इनपुट
<p style="text-align: justify;"><strong>Madhya Pradesh News Today:</strong> भारत सहित पूरी दुनिया ने 3 साल वैश्विक महामारी…
Hina Khan’s birthday is on October 2. (Photo Credits: Instagram)From a stunning view of her…
Food and grocery delivery major Swiggy has received markets regulator Sebi’s clearance to launch its…
NEW DELHI: Prime Minister Narendra Modi on Wednesday lauded the efforts of each and every…
Waqf Amendment Bill Email: वक्फ संशोधन बिल पर संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) को सुझाव के लिए…
Meloni And Musk Viral Photos : दुनिया के सबसे अमीर शख्स एलन मस्क ज्यादातर किसी…