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Putin Answer Us Questions Mothers Of Russian Soldiers Fighting In Ukraine To President

Russian Soldiers Mothers: रूस-यूक्रेन युद्ध को शुरू हुए 9 महीने से भी ज्यादा का वक्त हो गया है. ऐसे में अब रूसी सैनिकों की मां और पत्नियां भी सवाल उठाने लगी हैं. इन लोगों की मांग है कि राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने जो वादे किए थे उनको निभाने का वक्त आ गया है और वो इन्हें पूरा करें. इसको लेकर सोशल मीडिया पर वीडियो भी डाले जा रहे हैं, जो वायरल हो रहे हैं. तो वहीं, व्लादिमीर पुतिन ने शुक्रवार को यूक्रेन में लड़ रहे सैनिकों की माताओं के एक ग्रुप से कहा कि रूस अपने सैन्य अभियान के लक्ष्यों को प्राप्त करेगा. पुतिन ने कहा, “हमें अपने लक्ष्यों को हासिल करना चाहिए और अंत में हम उन्हें हासिल करेंगे.”

हाल ही में चर्चा थी कि क्रेमलिन अब रूस से अच्छी तरह से प्रशिक्षित लोगों को यूक्रेन में युद्ध लड़ने के लिए भेजेगा. इसके बाद से रूस में गुस्सा और चिंता पैदा हो गई है. इसके कुछ समय बाद अराजकता का माहौल बनने लगा और इस चर्चा पर भी विराम लग गया. इन सब के बीच व्लादिमीर पुतिन ने इस चिंता को गंभीरता से लेते हुए सैनिकों की माताओं और पत्नियों के समूह से मिलने का मन बनाया है.

पुतिन के कदम पर माताओं की प्रतिक्रिया

तो वहीं, सैनिकों के कुछ रिश्तेदारों ने इस बैठक से पहले ही इसका बहिष्कार करने का मन बनाया है. इन लोगों का मानना है कि इस मंच पर एक स्पष्ट चर्चा नहीं हो पाएगी. तो वहीं, इस मामले पर एक एक्टविस्ट मां ओल्गा त्सुकानोवा ने कहा कि राष्ट्रपति अपना समय निकालकर कुछ माताओं से मिलेंगे जो सही सवाल कर सकेंगी और उनका धन्यवाद कर सकेंगी. हमेशा की तरह. इनका बेटा रूसी सेना में है और वो सुनिश्चित करना चाहती हैं कि उसे यूक्रेन नहीं भेजा जाएगा.

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ओल्गा त्सुकानोवा ने राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को उनके दूसरे नाम से पुकारते हुए कहा कि मैं अकेली नहीं हूं. व्लादिमीरोविच हमें आमंत्रित करें. तो वहीं विश्लेषकों का कहना है कि इस स्थिति ने क्रेमलिन को मुश्किल में डाल दिया है. जबकि अधिकारियों ने यूक्रेन से युद्ध के दौरान राजनीतिक असंतोष पर कार्रवाई की है.

दो दशक पहले भी हुई थी पतिन की आलोचना

पुतिन के लिए ये समय मुश्किलों भरा है. अगस्त 2000 में कुर्स्क पनडुब्बी डूब गई थी जिसमें 118 चालकों का दल डूब गया था. उस वक्त भी पुतिन ने धीमी प्रतिक्रिया दी थी और आलोचनाओं का शिकार हुए थे. ऐसे में अगर पुतिन फिर वही गलती दोहराते हैं तो उनके दो दशक पहले की गई गलती की यादें ताजा हो जाएंगी. चेचन्या में दो युद्धों ने इन माताओं के आंदोलन को जन्म दिया है जो अब क्रेमलिन के लिए कांटा बन गया है. तो वहीं माहौल भी बदल गया है देश में स्वतंत्र मीडिया नहीं बचा है जो सीधे तौर पर पुतिन की आलोचना कर सके. इस पर प्रतिबंध लगा दिया गया है.

ये भी पढ़ें: ‘रोज मारे गए 10 रूसी सैनिक’… खेरसॉन के लोगों ने बताई बहादुरी की कहानी, यूक्रेन के खिलाफ पस्त पड़े पुतिन

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jaghit

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